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इसे ऐसा ही होने दो - 3

फरवरी जा चुकी हैये मार्च के उजडे और उबाऊ दिन हैं एकदम शुरू मार्च के कॉलेज में बेहद कम स्टूडेन्ट्स सब अपनी परीक्षाओं की तैयारियों में मश्गूल और चिंतित...

उस दिन के बाद कई दिन मैं कॉलेज नहीं गई, एक धुंधली सी उम्मीद थी कि वे पूजा से पूछेंगे। पर ऐसा कुछ नहीं हुआ और वह उम्मीद भी बुझ गई। पूजा ने बताया कि आजकल काफी व्यस्त दिखते र्हैं कभी प्रिन्सिपल ऑफिस में, किसी मीटिंग में, जो आजकल अकसर हो रही हैं, कभी स्टाफ रूम, कभी सीढियों पर किसी से बातें करते , जल्दबाजी में चढते-उतरतेवह एक निषिध्द दुनिया थी, जिसमें मैं चाहने के बावजूद शामिल नहीं हो पा रही थी।
और यह लाईब्रेरी में किताबें वापस करने का आखिरी दिन था, जब मैं गई और अनायास वे दिख गए। लाईब्रेरियन के सामने कुर्सी पर बैठे किसी किताब के पन्ने पलटते।

दो ही खयाल आए उन्हें वहाँ देख कर- या तो भाग कर उनके गले लग जाऊं या यहीं से वापस लौट जाऊं। और मैं दोनों में से कुछ भी न चुन सकी।

'' गुडमॉर्निंग सर '' मैं ने जब धडक़ते दिल से उनके सामने पहुँच कर धीरे से कहा तो उन्होंने चौंक कर अपना सिर उठाया।
'' गुडमॉर्निंग''  मेरे धीमे स्वर का उन्होंने काफी उत्साह से जवाब दिया।
'' हाउ आर यू? ''
'' नॉट वेल'' मैं ने फीकी मुस्कान से कहा।

लाईब्रेरियन मि. सरकार मुझे देख रहे हैं, मैंने किताबें टेबल पर रख दीं।

उन्हें देखते ही लहू में कुछ होने लगा है। कितना मुश्किल है, स्वीकार और नकार के ठीक मध्य में खडे रहना। हम कुछ नहीं जानते, पर हम जोखिम लेते हैं। यस और नो के मध्य एक पूरा जीवन बिताते हैं, किसी एक तरफ छलांग लगाने को तत्पर - और हैरत की बात है, वह छलांग कभी लगती नहीं । मुझे इस समय अपना ये खयाल बडा अजीब लगा।

'' व्हाट हैपन्ड मिस शिरीन? यू आर लुकिंग सो पेल।'' उन्हें खुद को बडे ध्यान से देखता पाया।
'' नथिंग।'' मैं ने किताबें वापस करदी अब मुझे जाना है।
'' कम हियर प्लीज, आपको देर तो नहीं हो रही?'' वे उठे और उस लम्बी सी टेबल के दूसरी ओर आ गए।

मैं उनके पीछे गई और हम दोनों आमने-सामने बैठ गए। अब मैंने उन्हें ठीक से देखा- क्या है इस चेहरे में कि इसे देखते ही एक तूफान मेरे अंदर दस्तक देने लगता है। आज तो मैं देर तक देख भी नहीं पा रही। मैं ने अपनी निगाहें खिडक़ी के बाहर कर लीं।

'' देर तो बहुत हो चुकी है सर अब कुछ नहीं हो सकता '' मैंने कहना चाहा पर लगा, कुछ भी कहने की कोशिश पागलपन है। ये क्या जानता है कुछ भी तो नहीं।
'' आपका पहला पेपर कब है? ''
'' फ्रॉम ट्वेन्टी सैकण्ड।''
'' तैयारी कैसी है? ''

तुम हमेशा वाहियात प्रश्न ही पूछोगे। यह नहीं कि कहो शिरीन, कहाँ रही इतने दिन? मैं ने तुम्हें कहाँ कहाँ नहीं ढूँढा! और ये क्या हो गया है तुम्हें, ये कहाँ ले आई हो तुम अपने आप को?

'' आय डोन्ट नो, मैं ने इस तरह से न सोचा, न तैयारी की।''

मैं ने एक उचटती नजर उन पर डाली और अपने हाथों की उलझती-सुलझती उंगलियां देखती रही। कभी ऐसा होगा कि ये हाथ तुम तक पहुंच कर तुम्हें थाम लेंगे। ओह, ये दुनिया कितनी असंभव घटनाओं से भरी पडी है। मेरे ही साथ कुछ क्यों नहीं होता?

'' जीवन में कुछ पाने के लिये बहुत मेहनत करनी पडती है। देअर इज नो अदर वे टू सक्सेस। पता है आपको? ''
'' ये आप मुझे क्यूं कह रहे हैं सर? उन्हें कहिये जिन्हें सक्सेस चाहिये।'' मैं ने सर उठा कर कुछ सख्त स्वर में कहा।
'' आपको क्या चाहिये मिस शिरीन? ''  वे जरा सा सामने झुके और वही सिगरेट और उनकी मिली जुली महक, जिसके लिये मैं न जाने कब से मारी-मारी फिर रही हूँ। मैं ने जरा सा आगे झुकते हुए टेबल पर कोहनियाँ टिका अपना चेहरा हथेलियों में ले एक लम्बी गहरी साँस भरी और देर तक उसे रोके रखा।

मैंने उनकी बात का जवाब नहीं दिया। मुझे लगा, यह क्षण, वही क्षण है, जिसका मुझे इंतजार है।

'' ये आपका फाईनल ईयर है। इसके बाद क्या करेंगी, सोचा है? ''

क्या था उनकी आवाज में कि मैं तिलमिला गई। मैं ने पैनी हो आई आँखे उन पर टिका दीं -

'' मैरिज ''

जाने क्यों वे हडबडा से गए। शायद उन्हें मुझसे ऐसे उत्तर की उम्मीद न हो।

'' मैरिज '' उनके मुंह से अस्फुट सा निकला, फिर वे संभल गए। हल्के से मुस्कुराए
'' एण्ड आफ्टर मैरिज? ''
'' एण्ड आफ्टर मैरिज व्हाट.. ऑल दैट व्हाट नॉनसेंस कपल डू? '' मेरी पैनी हो आई आँखे उन पर टिकी रहीं।
'' बस यही है आपके जीवन का।'' उन्होंने मानो निराश होते हुए एक गहरी साँस बाहर फेंकी और अपनी पीठ कुर्सी से टिका ली। वह गंध मुझसे दूर हो गई।
'' लक्ष्य होना जरूरी होता है क्या? ''  और अगर मैं कहूँ तुमसे, मेरा लक्ष्य है तुम तक पहुंचना, तो संजय फिर वही आवेग, मैं ने उसे पीछे धकेला।
''
यँहा प्रश्न जरूरी होने या न होने का नहीं है । सवाल हमारे जानने का है। एंड मैरिज इज ऑनली ए सिचुएशन। यू नो इट बेटर।''

कई रंग मेरे चेहरे पर आए और चले गए। क्या कभी तुम समझोगे? क्या कभी नहीं समझोगे? जरूरी है क्या कि सभी कुछ कहा ही जाए। अगर जरूरी है तो मैं क्यूं कुछ भी नहीं कह पा रही। मैं ने उनकी आँखों में देखा- मुझे कभी नहीं लगा कि तुम कुछ भी समझ नहीं रहे, फिर कहते क्यूं नहीं कुछ ?

एक स्टूडेण्ट अन्दर आया और उनसे कुछ पूछने लगा। वह चला गया तो वे मेरी ओर उन्मुख हुए। मैं जैसे उसके जाने की ही प्रतीक्षा कर रही थी। मैं ने पूछा -

'' डू यू नो योर गोल? ''
'' ऑफकोर्स आई नो! ''
'' और आप खुश हैं उससे।''
'' प्रोबेब्ली, यस।''
'' आपको नहीं लगता, आपने इसके अलावा कुछ और चुना होता तो जीने में आसानी होती।''
'' किसके अलावा? ''  वे उत्तर देते में शान्त हैं।
'' उसी के जिसे आप लक्ष्य कहते हैं ।''
'' पता नहीं।अभी तक नहीं लगा।''
'' अगर कभी लगे तो? ''
'' तो मैं लक्ष्य बदल सकता हूँ। कभी भी इतनी देर नहीं होती कि हम रास्ते न बदल सकें।''
'' यही तो, यही तो मैं कह रही हूँ कि कभी भी इतनी देर नहीं होती कि हम रास्ते न बदल सकें।'' आवेश में मेरी मुठ्ठियां भिंच गईं।
'' पर एक दूसरी बात भी उतनी ही सच है शिरीन।'' मैं ने अब उनकी आवाज क़ी गंभीरता को लक्ष्य किया।
'' कभी-कभी दुबारा चुनना असंभव हो जाता है। और हम एक पूरा जीवन चूक जाते हैं।''

मेरे मुंह से एक बोल तक नहीं फूटा, मैं सन्नाटे में बैठी रही

'' इसलिये आपसे कह रहा था कि जो भी चुनें, समझ कर कि इसमें आप कितने शामिल हैं। और जहाँ तक मैं समझता हूँ मिस शिरीन विवाह सिर्फ मुर्दे करते हैं। सिर्फ वे जिन्हें जोखिम नहीं सुरक्षा चाहिये। ये अपने आस-पास देख रही हैं न इतने सारे लोग - इनके लिये बना है विवाह। आप इनमें से तो नहीं हैं।''
''तो मैं हूँ क्या? मैं क्यूं बनी हूँ? किसलिये? तुम्हारे लिये संजय.. क्या तुम समझ रहे हो? ''
'' लव इज टू बि इन बिटवीन ''  उनकी आवाज ज़ैसे कहीं दूर से आई।

मैं स्तब्ध बैठी रही। मुझे एकाएक समझ नहीं आया कि अब क्या ? यह सिर्फ मुझसे कहा गया है, या एक जनरल स्टेटमेंट है।

'' मिस शिरीन'' उनकी आवाज से चौंक कर मैंने उन्हें देखा,
'' आप खुशी ढूंढ रही हैं, वह भी अपने से बाहर।''

खुशी! सिर्फ खुशी? मेरा मन भर आया - जब मैं तेज बारिश में भीगती हुई, भागती हुई कॉलेज आती हूँ और मुझ भीगी हुई को तुम अन्दर आते देख मुस्कुरा देते हो और मैं डगमग कदमों से आगे बढती तुम तक पहुंचती हूँ, तो क्या यह सिर्फ खुशी है?

जब मैं महज तुम्हारी महक के लिये उन रास्तों पर बार-बार जाती हूँ जिनसे तुम गुजर कर गए हो, तो क्या यह सिर्फ खुशी है? जब मैं तुम्हारी आवाज अपनी देह पर लिबास की तरह पहन लेती हूँ, और सारा-सारा दिन उससे लिपटी-लिपटी घूमती हूँ तो क्या यह सिर्फ खुशी है?

यह जो मैं गा-गाकर रोती हूँ, रोते-रोते गाती हूँ, सारा दिन हवाओं पर तुम्हारा नाम लिखती हूँ, तो क्या यह सिर्फ खुशी है? और यह सिर्फ खुशी भी आखिर है क्या? यह सिर्फ खुशी नहीं संजय, पूरा जीवन है मेरा। मैं ने कुछ कहने को मुंह खोला ही था कि एक स्टूडेन्ट को अपनी ओर आता देख चुप हो गई। वह आकर उनकी बगल में बैठ गया और कुछ पूछने लगा

असह्य बेताबी से भर कर मैं ने उनकी ओर देखा-

'' सुनो, मुझे तुम्हें एक बार छूना है। सिर्फ एक बार । देखो मेरे हाथों को सिर्फ क्षण भर तुम्हें छूने को ये कितनी दूर से चलकर आते हैं। एक बार तुम्हारा चेहरा अपनी हथेलियों में लेने की अदम्य आकांक्षा मुझे किस तरह भटका रही है। लव इज टू बि इन बिटवीन हाँ, संजय देखो मैं कहाँ खडी हूँ देखो सिर्फ एक कदम और - और मैं नहीं बचूंगी। मैं नहीं बचना चाहती, तुम्हारी बांहों में मर जाना चाहती हूँ। मेरे संजय, मेरे धैर्य की परीक्षा मत लो मेरे प्यार! इतना प्यार मुझसे संभलता नहीं मैं क्या करूं? क्यूं लिखा था बायरन ने यह,  वाटर्स सॉ हर मास्टर्स एण्ड शी ब्लश्ड... ''

स्टूडेन्ट चला गया और फिर उन्होंने मेरी तरफ देखा

'' यस गो ऑन। ''

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