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बडे
दिन की पूर्व
साँझ
''
देखिये प्लीज,
मेरे दोस्तों में मेरी
बहुत हंसी होगी अगर मैं नाच न पाया।'' हमारे फ्लोर पर आते ही बैण्ड शुरु हो गया। वह लडक़ा खुश था। उसने मोमबत्ती जला ली थी और ढूंढ ढूंढ कर दोस्तों की ओर देख रहा था। जिस किसी दोस्त से उसकी आंख मिल जाती, वह मुझे अधिक कस कर पकड लेता जैसे बच्चा एक और बच्चे को देख कर अपना खिलौना पकडता है। मैं सोच रही थी वह मुझसे बोलेगा। उसे शायद नृत्य की तहजीब का पता न था। वह मुझसे बिलकुल बात नहीं कर रहा था, बस नर्वसनेस में बार बार मुस्कुरा रहा था। उसे इस बात का काफी ख्याल था कि मोम मेरी साडी पर न गिर जाये।
प््राथा के विपरीत मैं ने
ही बात शुरु की, ''
तुम्हारा नाम शायद जोशी है।'' वह मुझे आप कह कर सम्बोधित कर रहा था। मैं ने अनुमान लगाया कि उसकी शादी अभी नहीं हुई थी। शादी के पहले मैं भी इतने लोगों को आप कहा करती थी कि अब मुझे ताज्जुब होता था। वह बहुत छोटा और अकेला लग रहा था।
रूप को मैं
जहाँ
खडा छोड
आई
थी, उस ओर इस
वक्त मेरी पीठ थी।
मैं ने उससे कहा,
'' जरा देखना मेरे पति वहीं खडे हैं क्या?''
वह रूप को रुचि से देखता
रहा।
मैं ने पूछा,
'' तुमने चखी है? '' मुझे हंसी आने लगी। मैं रूप को ढूंढने नहीं जा रही थी। दरअसल मैं उस ऊलजूलूल कवायद से तंग आ गई थी। अनभ्यस्त होने की वजह से हमारे जूते बार बार एक दूसरे के पैर पर पड रहे थे। वह मेरी साडी पर बहुत बार पैर रख चुका था और मुझे उसके फटने की आशंका थी।
उसने कहा,
''मेरी मोमबत्ती के नीचे एक नम्बर है,
अगर उद्धोषणाओं के बाद यह शेष रहा तो मुझे कोई उपहार
मिलेगा।
मैं ने उसका जन्मदिन पूछा
और उसका लकी नम्बर बताया।
वह खुश हो गया।
''तुम्हारी
कोई लडक़ी नहीं ?''
उसे लेकर मुझे जिज्ञासा हो
रही थी। वह और नर्वस हो गया। थोडी देर में संयत होकर उसने बताया कि उसकी मां ने अब तक उसके लिये दर्जनों रिश्ते नामंजूर कर दिये हैं। वह खुबसूरत सी लडक़ी चाहती है, बेशक वह इंटर ही पास हो। हमारा नम्बर इस बार आउट हो गया।
मैं हॉल में रूप को खोजना
चाह रही थी।
भार्गव भी साथ साथ देख रहा
था।
मैं ने कहा वह परेशान न हो
मैं स्वयं ढूंढ लूंगी।
मैं हॉल में देखने
के बाद सीधे बार में गई।
रूप बेतहाशा पीरहा
था और उतना ही स्मार्ट लग रहा था जितना तब जब क्लब में घुसा था।
हमारे
वहाँ
जाते ही रूप ने मेरे लिये
जिन और उसके लिये व्हिस्की मंगाई।
भार्गव डर गया।
उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि, कितनी देर में ऑलराइट कह कर चले जाना चाहिये। वह जेब से मोटरसाइकिल की चाबी निकाल कर खेलने लगा। रूप ने मुझे कोट पहनाना शुरु कर दिया क्योंकि हमारा इतनी देर बाहर रहना काफी साहस की बात थी, यह मानते हुए कि हमारी शादी को सिर्फ पांच दिन हुए थे! |
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