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खो जाते हैं घर
बब्बू
क्लीनिक से रिलीव हो गया है मिसेज राय उसे अपने साथ ले जा रही हैं।उन्होंने
क्लीनिक का पूरा पेमेन्ट कर दिया है।
वे एक
बार फिर डॉक्टर को याद दिला रही हैं
- ''
अगर वो
आदमी आए इस बच्चे के बारे में पूछने तो मुझे तुरंत खबर करें।
प्लीज। मिसेज राय ने ड्राइवर से सारा सामान उठाने के लिये कहा है और वार्ड बॉय को इशारा किया है बच्चे को कार में बिठा देने के लिये। बब्बू को कार में बिठा देने के बाद वे खुद कार में आयी हैं। बब्बू जिन्दगी में पहली बार किसी कार में बैठा है और हैरानी से सारी चीजें देख रहा है। बहुत ज्यादा आरामदायक सीटें, ठंडी - ठंडी हवा, बहुत हौले - हौले बजता संगीत और पानी पर चलती सी कार। वह शीशे से आंख सटा कर बाहर का नजारा देखना चाहता है। मिसेज राय उसे आराम से बिठा कर खिडक़ी के नजदीक सरका देती हैं। वह अचानक कार में से अनुपस्थित हो गया है और बाहर भागती - दौडती दुनिया में शामिल हो गया है। मिसेज राय उसके सिर पर हौले हौले उंगलियां फिरा रही हैं। वे अपनी तरफ से कुछ कह कर या पूछ कर बच्चे और उसकी दुनिया में बाधक नहीं बनना चाहतीं। उन्हें कोई जल्दी नहीं है। बब्बू थोडी ही देर के लिये कार के भीतर की दुनिया में लौटता है और उनसे आंखें मिलाता है। वे मुस्कुराती हैं। बब्बू भी उनकी मुस्कुराहट के बदले अपने चेहरे पर कीमती मुस्कुराहट लाने की कोशिश करता है।
वे
उसका गाल सहलाते हुए पूछती हैं
- ''
बेटे,
अब
कैसा लग रहा है?
''
बब्बू इतने सारे सवालों से थक गया है।
और फिर
उसे अपने घर की भी याद आने लगी है।
उसने
अपनी आंखें मूंद लीं हैं।
मिसेज
राय भी समझ रही हैं कि उससे इतने सवाल एक साथ नहीं पूछने चाहिये थे।
वे उसे
चुप ही रहने देती हैं।
''
वैसे ही
पूछा,
आपकी गाडी
बहुत अच्छी है। ठण्डी - ठण्डी।
तभी
उन्होंने ड्रायवर से कहा है
-
ड्रायवर, जरा सामने रेडीमेड
कपडों
की
दुकान के आगे गाडी तो रोकना।
अपने
राजा बाबू के लिये कुछ कपडे तो लें लें।''
गाडी
एक स्टोर के सामने रुकी है।
मिसेज
राय बच्चे का ड्रायवर के साथ वहीं कार में छोड क़र भीतर जाकर बच्चे के लिये
ढेर सारे कपडे
और
खिलौने
लेकर आई हैं।
गाडी
लोखंडवाला कॉम्पलेक्स में एक बहुत ही बडी
और
भव्य
इमारत के आगे रुकती है।
वे
बच्चे को आराम से नीचे उतारती हैं।
दोनों
लिफ्ट तक आते हैं।
बच्चा
हैरानी से सारी भव्यता देख रहा है।
उसके
लिये ये दुनिया बिलकुल अनजानी और अनदेखी है।
लिफ्ट
आने पर दोनों भीतर आए हैं।
बच्चा
लिफ्ट में पहली बार आ रहा है और हैरानी से पूछता है
- ''
आंटी, ये कमरा क्या है?''
वे
अपनी मंजिल पर पहुंच गये हैं।
वे एक
दरवाजे की घंटी बजाते हैं।
दरवाजा
बाई ने खोला है।
वे उसे
लेकर भीतर गई हैं।
नौकरानी ने उसके हाथ से सामान ले लिया है और बच्चे को देख कर कहती है
-
''
हाय,
किती
छान मुलगा आहे! किसका है मेमसाहब?
''
अपने
कमरे में जाते ही उन्होंने बच्चे को भींचकर सीने से लगा लिया है।
वे जोर
जोर से रोने जा रही हैं।
वे उसे
भींचे भींचे
-
मेरे
लाल,
मेरे
लाल कहे जा रही हैं।
उन्हें
रोते देख बच्चा घबरा गया है और वह भी रोने लगा है।
वे फिर
से रोने लगती हैं
-''
पगले
मैं ने उसे आज तक देखा ही नहीं है।
कितनी
अभागी हूं।
मेरा
पोता पांच साल का हो गया और मैं ने ने उसे आज तक देखा ही नहीं है।
उसे आज
तक देखा ही नहीं।
पास
रखने की बात तो दूर है।
कभी
कभी फोन पर उसकी आवाज सुन लेती
हूं
तो
मेरे कलेजे में ठंडक आ जाती है।''
बच्चा
समझ नहीं पाता इतनी सारी बातें और उनके बंधन से अपने आपको मुक्त कर लेता है।
अब अलग
होने के बाद उसका ध्यान घर पर,
वहां
रखे इतने सामान पर और शानो शौकत पर गया है।
उसने
पूरे घर का एक चक्कर लगाया है।और
लौट कर उनके पास वापस आया है। मुन्ना लेट तो गया है लेकिन उसे नींद नहीं आ रही है। ये सारी चीजें, यहां का माहौल और तामझाम उसकी कल्पना से परे है। वह उठ बैठा है। वह पूरे घर में घूम घूम कर देख रहा है। सारी चीजें उसके लिये नई हैं और उसने पहले कभी नहीं देखी हैं। वह कभी स्टीरियो देखता है तो कभी रंगीन टेलीफोन। कभी कभी तस्वीरें देखता है और मूर्तियां। जब चारों तरफ की चीजें देख चुका तो आंटी के दिये हुए खिलौने अकेले खेलने लगा। वह देर तक बैठे उन सारे खिलौनों को उलटता - पुलटता रहा। उसकी दिक्कत ये है कि ज्यादातर खिलौने या तो बैटरी वाले हैं या उन्हें चलाना उसके बस में नहीं। थक हार कर उसने सारी चीजें एक तरफ सरका दी हैं।
मिसेज राय बच्चे को जुहू घुमा कर लाई हैं। उसने अपनी जिन्दगी में पहली बार समुद्र देखा है। बेशक वह तीन महीने से मुंबई में भटक रहा था लेकिन पता नहीं कैसे वह समुद्र तक नहीं पहुंच पाया। उसे कोई भी उस तरफ लेकर नहीं गया। वह समुद्र से मिलकर बहुत खुश हुआ और पानी में अठखेलियां की उसने। बेसक मिसेज राय डर रही थीं कि बच्चा अभी ही तो बीमारी से उठा है, कहीं समुद्र की ठंडी हवा उस पर कोई असर न कर दे, लेकिन बच्चा मस्त होकर पानी से खूब खेलता रहा। वह कभी लहरों से दूर भागता तो कभी पानी के एकदम पास जाना चाहता। मिसेज राय खुद भी उसके साथ झूले में बैठीं, घोडागाडी क़ी सवारी की और गुब्बारे लेकर उसके साथ गीली रेत पर दौडती रहीं। उन्होंने अरसे बाद अपने आप को पूरी तरह भूल कर, बच्चे के साथ बच्चा बन कर एक नया अनुभव लिया।
घर
पहुंच कर बच्चा बिफर गया है।
उसे
अपने दोस्तों की याद आ गयी है।
वह
रुआंसा हो गया है
-
आंटी, मुझे कबीरा के पास
जाना है।''
बच्चे
को आशा की किरण दिखी है
- ''
मोती को भी लाएगा?''
अब
बच्चा अपने सवालों की दुनिया में वापिस आ गया है।
पूरी
शाम जुहू पर जो सवाल पूछता रहा,
फिर से उसके ध्यान में आ गये हैं - ''
आंटी, समुद्र में इतना पानी
कहां से आता है?''
सवेरे
का समय है।
वह सो
रहा है।
मिसेज
राय ऑफिस जाने की तैयारी कर रही हैं।
उसके
पास आकर प्यार से वे उसे चूमती हैं।
नौकरानी को आवाज देती हैं
-
माया, सुनो हमें शाम को वापस
आने में देर हो जायेगी।
बच्चे
का पूरा ख्याल रखना।
मैं
बीच बीच में फोन करती रहूंगी।''
बच्चे
ने जागने के बाद सबसे पहले पूरे घर में आंटी को ढूंढा है।
कहीं
नहीं मिली उसे।
रुआंसा
हो गया है वह।
उसे
रसोई में माया नजर आई है।
अब वह
उसे भी पहचानने लगा है। लेकिन माया के आश्वासन के बावजूद कबीरा नहीं आया है। वह कई बार बालकनी में, बडे वाले कमरे में और पूरे घर में टहलते हुए अपने दोस्तों का इन्तजार कर रहा है। ड्रायवर भी अब तक वापस नहीं आया है। उसने बेशक स्नान कर लिया है। दूध पी लिया है, दवा भी खा ली है लेकिन उसका ध्यान लगातार दरवाजे पर ही लगा रहा है और एक पल के लिये भी वह आराम नहीं कर पाया है। माया के बार बार कहने के बावजूद वह सोने के लिये तैयार नहीं हुआ है। कहीं ऐसा न हो कबीरा वगैरह आयें और उसे सोया पाकर लौट जायें। वह अकेले बोर हो रहा है। सारे कमरे में खिलौने बिखरे पडे हैं। वह कभी बालकनी में जा रहा है और कभी भीतर आ रहा है। उसका मूड बुरी तरह उखडा हुआ है। वह इस बीच कई बार रो चुका है। उसे समझ में ही नहीं आ रहा कि क्या करे। तभी फोन की घण्टी बजी है। उसे समझ नहीं आता कि फोन की आवाज सुनकर क्या करे। उसे फोन उठाना ही नहीं आता। तभी लपकती हुई माया आयी है और उसने फोन उठाया है। वह फोन सुनते हुए लगातार हां हां कर रही है। फिर उसने उसे बुलाया है - ''बाबा मेमसाहब का फोन है। आप से बात करेंगा।''
बच्चा
फोन ले लेता है।लेकिन
समझ नहीं आता कि कैसे पकडना है।माया
उसे बताती है और कहती है
-
हैलो बोलने का बच्चे का मूड बुरी तरह बिगडा हुआ है। वह जोर जोर से रोए जा रहा है। माया उसे कभी गोद में उठा कर चुप कराने की कोशिश करती है तो कभी खिलौने देकर बहलाना चाहती है। लेकिन बच्चा है कि पूरी तरह बिफर गया है और किसी तरह काबू में नहीं आ रहा। माया इस बीच कई बार मेमसाहब को फोन पर बताने की कोशिश कर चुकी है कि बच्चा किसी भी तरह काबू में नहीं आ रहा ही, वह करे तो क्या करे वे किसी मीटिंग में हैं। और उन तक वह चाह कर भी संदेश नहीं दे पा रही। आज तक उसके सामने ऐसी स्थिति नहीं आई थी। उसने कभी अपनी तरफ से मेमसाहब को फोन ही नहीं किया है। माया उसे बहलाने की कोशिशें कर रही है लेकिन उसे समझ नहीं आता कि क्या करे। तभी माया ने उसे पैंसिल और कागज ला दिया है। बच्चा उस पर आडी - तिरछी रेखाएं खींचने लगा है। कुछ देर के लिये वह बहल गया है। ये देख कर माया की जान में जान आई है।उसका मन बहल गया है और वह अब उसी में मस्त है। कागज रंगते - रंगते उसे नींद आ गयी है और वह वहीं सो गया है।
वह
बालकनी में खडा है।
नीचे
पार्क में बच्चे खेल रहे हैं।
वह
थोडी देर उन्हें खेलते देखता रहता है
।
फिर
माया से पूछता है
-''
मैं नीचे खेलने जाऊं? '' माया ने तो ये देखा कि बच्चा घर में बैठे - बैठे बोर हो रहा है तो थोडी देर नीचे खेल कर लौट आयेगा। माया को ये बात सूज ही नहीं सकती कि वह बच्चे को खुद नीचे ले जाये और सामने थोडी देर खिला कर वापिस ले आये। वह थोडी देर तक लिफ्ट के आगे खडा रहता है लेकिन उसे समझ नहीं आता कि इसे कैसे खोले। इधर माया ने दरवाजा भी बन्द कर दिया है। उसे डोरबैल के बारे में पता है लेकिन उस तक उसका हाथ नहीं पहुंचता। वह तीन चार बार हौले से दरवाजा थपकाता है लेकिन भीतर काम कर रही माया तक उसकी आवाज नहीं पहुंचती। वह धीरे धीरे सीढियां उतरने लगता है। वह बच्चों के पार्क में पहुंच गया है और उन्हें खेलता हुआ टुकुर - टुकुर देख रहा है। वैसे भी वह उन बच्चों के सामने अपने आपको बौना महसूस कर रहा है। धीरे धीरे वह सामने आता है लेकिन यह तय नहीं कर पाता कि कौन खेल खेले या किस खेल में शामिल हो जाये। अचानक एक गेंद लुढक़ती हुई उसके पैरों के पास आ जाती है और वह उसे उठा कर एक लडक़े को दे देता है। पता नहीं कैसे होता है कि वह भी उनके खेल में शामिल हो जाता है। उसे अपना लिया गया है और उसे अच्छा लगने लगता है। वह सब कुछ भूल कर खूब मस्ती से खेल रहा है।
काफी
देर तक वह उनके साथ खेलता रहा है।इस
बीच अंधेरा घिरने लगा है और सारे बच्चे अकेले वापिस जा रहे हैं या अपनी
आयाओं,
बहनों, माताओं के साथ लौट
रहे हैं।
सूरज
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