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ओसो: एक किन्नर, घृणित कार्यों में लिप्त समूह का मुखिया।
डोजो: ओसो के समूह का एक विद्रोही सदस्य द्वितीय दृश्य
पिफ: इसका इतना प्रचार ज्यादा प्रचार हो चुका है,
जाहिर सी बात है कि तुम डिस्नीलैण्ड आए बिना कैसे रह सकते थे?
पिफ: ( दुलकी चाल से चलकर एक लम्बी खामोशी के बाद) अब यह क्या जगह है?
बडी ग़र्मी है यहां।
पिफ: कोई शक नहीं,
वॉल स्ट्रीट अपने आप में एक धोखा है।
एक पल आसमान पर दूसरे पल जमीन पर।
चलो मैनहट्टन की गगनचुम्बी इमारतें देखें।
तुम वर्ल्डट्रेड सेन्टर की टि्वन टावर को स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी से बतियाते देख
पाओगे।
क्या तुम वे इमारतें नहीं देखना चाहते?
पिफ: क्यों न अब इस सवारी को खत्म करें। पिफ: मुझे अन्दाज ही नहीं था कि तुम बडे और इतने भारी हो गये हो। यह तुम्हारी मां का काम है, तुम्हें ठुंसा - ठुंसा कर खिलाती है। टिम: आप तो हर चीज क़े लिये मम्मी को दोषी ठहराते हो। अगर मैं भारी हूं तो भी इससे क्या फर्क पडता है? मैं अब भी बच्चा ही तो हूं, पापा। मुझे पता है आप मुझे उतारोगे नहीं, मुझे गिराओगे नहीं ना! आप मुझे प्यार करते हो, हैं ना? पिफ: अजीब बात है, मैं तुम्हें प्यार करता रहूंगा तो इसका मतलब है कि तुम नीचे ही नहीं उतरोगे। तुम्हें दिखाई नहीं देता कि मैं गठिया का मरीज हूं। मेरी हड्डियां कमजोर हैं और दिल का हाल भी बेहाल है। मैं किसी भी पल ढह सकता हूं। टिम: बिलकुल सही बात पापा। आप किसी भी पल ढह सकते हो। इसीलिये तो मैं आपको यह अवसर गंवाने नहीं देना चाहता। पिफ: कैसा अवसर? टिम: अपने बेटे को ये घोडे क़ी मजेदार सवारी देने का अवसर। अगर आपने इसे गंवा दिया तो आप पछताओगे ना! अपनी इच्छाएं कब्र तक ले जाना ठीक नहीं। पिफ: तो तुमने मेरी कब्र की कल्पना करना शुरु भी कर दिया! वाह बेटे! टिम: नहीं, नहीं मेरा यह मतलब नहीं था। सच तो यह है कि मैं आपको गिरते हुए नहीं देखूंगा। आप कभी ढह नहीं सकते, आप ढह जाओ इस तरह के कमजोर व्यक्ति हो ही नहीं। पिफ: सच्ची?
टिम: हां,
यह मेरा परखा हुआ है।
वैसे पापा,
आप बिना चाबुक भी बढिया चल रहे हो।
मुझे आप पर गर्व है पापा। टिम: मुझे ऐसी उम्मीद भी नहीं। बस खुस रहो। यह जिस्मानी मेहनत आपके फायदे के लिये है। आपको इसकी जरूरत भी है। पिफ: बहुत हो गया, मजाक बन्द करो।( पिफ जानबूझ कर टिम को गिरा देता है, और उसकी तरफ देखता है) तुम नहीं जानते मुझे क्या चाहिये। टिम: पिताओं को समझना कठिन है। बेटों को भी समझना कौनसा आसान है!
पिफ: मैं तुम्हें बखूबी समझता हूं।
तुम अपनी मां के प्रभाव में हो।
वह हमेशा मेरे,
तुम्हारे साथ घोडा - घोडा खेलने के ख्याल ही से चिढती आई है।
'
बहुत खतरनाक खेल है' यही सोचती थी
, कि मैं तुम्हें गिरा दूंगा।
मैं उसकी नाराजग़ी को आमंत्रित करना कभी पसन्द नहीं करता था। पिफ: क्या प्रश्न है! टिम: एक बहुत ही प्राकृतिक और कठिन प्रश्न है। पिफ: तब तो तुम्हें अपनी मां से पूछना चाहिये था। टिम: जब भी मां ने मुझे खिलौना खरीद कर दिया आपने उसका विरोध किया आपको लगता था कि वह पैसे की बरबादी है। पिफ: समस्या पैसे की नहीं थी। टिम: फिर क्या थी? पिफ: तुम्हारी मां का अतिरिक्त मोह। उसने तुम्हें बहुत सर चढा रखा था। टिम: ठीक है, आप भी तो मुझे सर चढा कर रख सकते थे। थोडा सा भी सर चढाते तो वह मुझे अधिक खुश कर सकता था। पिफ: तुम्हारी मां ने तुम्हें मितव्ययता के बारे में कुछ नहीं सिखाया, और मुझे तुम्हें कुछ सिखाने ही नहीं दिया। टिम: यह सच नहीं। आपने पिम का बहुत ज्यादा खयाल रखा। अब भी वह आपकी सबसे प्रिय है। और मैं? आप मुझे हमेशा अजीब और असहज महसूस करवाते हो। पिफ: तुम मेरे उच्चस्तर से घबराए हुए रहते हो। मुझे हैरानी होती है, कि तुम कैसे इस गला काटू प्रतियोगिता वाले संसार में सफलता पूर्वक चल सकोगे! टिम: आपने कैसे सीखा इस बैरी संसार में जीतना,पापा? पिफ: तुम सच में सीखना चाहते हो? तुममें सच का सामना करने का साहस है? टिम: क्यों नहीं। कहो न, सच क्या काटता है? अगर मैं आपका बेटा हूं तो मुझे अधिकार है, आपके जीवन के इस पाठ को विरासत में पाने का। पिफ: यह पाठ सीखने में कठिन है। तुम बहुत नाज़ुक और सहज हो। मेरे खयाल में तुम ऐसी किसी चीज में रुचि नहीं लोगे जिसमें संघर्ष शामिल हो। टिम: आप गलती पर हैं, पापा। मैं मजबूत और कद्दावर हूं।
पिफ:
अगर तुम बढ चढ क़र नहीं बोल रहे तो,
आओ।
मुजे अपनी पीठ पर सवारी गांठने दो।
पिफ: हां,
तुम्हारी पीठ पर सवारी गांठूंगा। पिफ: हां, चढते हैं। अकसर पिताओं को भी मन करता है ऐसी सवारी करने का। टिम: क्या आपके पापा ने ऐसी सवारी की कभी आपकी पीठ पर?
पिफ:
हां की थी।
मुझे बहुत मजा आया था उन्हें अपने अपर सवारी कराके।
पिफ:
बस एक बार करने दो।
यह मेरे लिये बहुत दुर्लभ किस्म का आनंद होगा।
तुमने कहा कि तुम मजबूत हो।
पिफ:
उत्तेजित मत होओ।
मैं उतना भी मोटा नहीं
हूं।
जितने मेरे पिता थे।
कम से कम एक बार तो मुझे तुम पर सवारी करने की संतुष्टी लेने दो।
मैं इसका अधिकारी हूं।
मैं इसके लिये लम्बा इंतजार किया है।
पिफ: कोई बात
नहीं।
मेरे
जीन्स तुम्हें धोखा नहीं देंगे।
टालमटोल मत करो।
मैं
जल्दी ही संतुष्ट हो जाऊंगा,
एक संक्षिप्त सवारी से ही।
वादा
रहा।
पिफ:
मैं बहुत सज्जन
हूं।
मैं ऐसे संतुलित तरीके से बैठूंगा कि तुम्हें दर्द नहीं होगा।
कोशिश करो।
यह एक ही तरीका है जिससे तुम अपनी जिम्मेदारियां उठाना सीख सकोगे।
यह तुम्हारे लिये अंतिम अवसर है।(
पिफ टिम को घुटनों के बल बिठाता है और उसकी पीठ पर सवार हो जाता है) हां,
अब चलो।
पिफ:
मेरे पापा औ भारी थे।
पिफ:
मेरे भी थे,
पर मैं नहीं हिचका था अपने पिता को पीठ पर बिठाने में।
पिफ:
हां,
अक्सर, लम्बे लम्बे समय तक,
दूर दूर तक।
यहां तक कि अजनबियों तक ने देखा था।
पिफ:
क्यों नहीं?
जब मैं तुम्हारी उम्र का था उससे तुम मुझसे ज्यादा मजबूत हो।अब
दांये तरफ चलो।
पिफ: उससे
ज्यादा जितना कि मैं ने सोचा था।
तुम्हें पता है मेरे पिता पर भारीर् कज़ा था।
पिफ:
कभी नहीं।
बल्कि जो दूसरों ने दिये वो भी कर्ज चुकाने में बेच डाले। पिफ: वे संतुष्ट थे। कम से कम वे यह जानते थे कि उनका बेटा बेकार नहीं और जिम्मेदारियां उठाने में सक्षम है। उन्हें मुझमें विश्वास था। टिम: मैं ने कभी नहीं सोचा था कि आप कभी मुझसे अपनी पीठ पर सवारी के लिये पूछ सकते हो। मैं आपको मैसेडोनिया, चेचैन्या, तिब्बत, काबुल और डेफर तक ले जा सकता था। यहां तक कि आपको वक्त मिला तो इन जगहों पर हैलिकॉप्टर में उडा कर ले जाऊंगा। वह सच में मजेदार होगा।
पिफ:
अगर तुम इस तरह बातें ही करते रहे तो,
तुम मुझे सायबर स्पेस की दिशा में इन्टरनेट पर मोड दोगे।
मैं ऐसे उबाऊ अंत के लिये बिलकुल तैयार नहीं
हूं।
पिफ:
मैं तुम्हें कोई सजा नहीं दे रहा।
न ही मेरे पिता अत्याचारी थे।
बल्कि वो तो इस दुनिया के सबसे कृपालु इंसान थे।
पिफ:
तुम इस बारे में कुछ नहीं जानते।
मुझे उन्हें सवारी देने में मजा आता था।
मिट का प्रवेश
पिफ:( टिम की
पीठ से उतर कर) यह झूठ है।
तुमने
मुझे कभी संतोष प्रदान नहीं किया इसलिये।
मैं
तो बस अपने बच्चे के साथ एक मासूम खेल खेल रहा था।
पिफ:
यह पुराना नाटक छोडाे।
इसे कोई दर्द नहीं हुआ।
यह तो मजा कर रहा था।
पिफ:
निश्चित तौर पर जानता
हूं,
क्योंकि मैं इसकी मां नहीं
हूं।
तुम्हारी समस्या यह है कि तुम मुझे इसके साथ कुछ और होने ही नहीं देती हो।
किस तरह की मां हो तुम?
आज रात तुम इसके पीछे मंडराती रहोगी अपनी जडी बूटियों के साथ।
तुम इसके बिस्तर में सोओगी।
पिफ:
पर तुम इसके बिस्तर में मुझे चिढाने के लिये सोओगी।
उसे कहानियां सुनाने और इसे मुझसे दूर करने के लिये।
पिफ:
दुर्भाग्य से तुम गलत हो बेटा।
मुझे सुनो
_
तुम्हारी मां तानाशाह है।
यह तुम्हें अपने बस में रखना चाहती है,
जैसे कि मुझे कर के रखा है।
अगर तुम इसकी कहानियों पर ध्यान दोगे तो यह तुम्हें संसार के हर व्यक्ति से काट
कर रख देगी।
तुम कभी किसी लडक़ी से स्वयं को पर्याप्तरूप से जोड नहीं सकोगे।
पिफ:
तुम्हारा अपने बारे में क्या ख्याल है?
पिफ:
तुम मेरे लौटा सकती हो?
पिफ:
अब,
टिम हमें बातचीत कर लेनी चाहिये इससे पहले कि पिम आए और
तुम्हारी मां यहां वहां कुछ सूंघती फिर।
पिफ:
अं हमारी उस मुठभेड क़े बारे में।
पिफ: शऽश
अपनी आवाज धीमी रखो।
पिफ: फिर
क्या करने गये थे? पिफ: ओह अकल्पनीय! मैं असमंजस में हूं।
टिम: मैं
नहीं।
मेरे
पास पर्याप्त सबूत हैं।
यह
मेरी महान रचना होगी।
आप
इतने उत्तेजित क्यों हो रहे हैं?
मिट केक लेकर
हाजिर होती है।
टिम: मैं
किसी क्लब में नहीं जाता,
सिवा अपने असाइनमेन्ट के कामों के मम्मा।
टिम: पता
नहीं,
न मैं ने पूछा न उन्होंने बताया। मिट: मैं तुम्हारे सिध्दान्त जानती हूं।( वह उसका गला पकडती और चीखती है।) मैं उस जगह का नाम जान कर रहूंगी, तुम्हारे मुंह से ही। यहां और अभी। तुम मुझे सुन रहे हो ना!
टिम: शांत हो
जाओ मम्मी।
तुम्हें हाई ब्लडप्रेशर रहता है।
पिम: (
प्रवेश करती है,
अपने सफरी बैग के साथ) कौन किससे क्या छिपा रहा है?
क्या चल रहा है? मैं ने मम्मी को
चिल्लाते सुना।
इनका
गुस्सा फिर बढने लगा है क्या?
मम्मी - पापा? पिफ चुप और खिन्न सा खडा है।
पिम: बोलो न
पापा, 'हां'
कहो मम्मी से।आप
इतने खिन्न क्यों हैं?
कहो इनसे कि ये बिलकुल ठीक हो जायेंगी।
हम सब
इनसे बहुत प्यार करते हैं।
पिम: बिलकुल
सही।
जब भी
हम आते हैं,
हम पापा मम्मी को एक दूसरे से पागलों की तरह झगडता पाते हैं।
पिम: हां।
ये
बहुत तेज होने चाहिये इस बार। वे हंसते हैं। पिफ और मिट भी साथ देते हैं अपनी दुर्भावनाओं के बावजूद और ठहाके धीरे धीरे डूब जाते हैं दर्शकों के ठहाकों में। मंच पर अंधेरा छा जाता है और द्वितीय अंक समाप्त होता है।
(नाटक
के अगले खण्ड में अल तन्त्रा केव का दृश्य,
ओसो के कारनामे)
मूल कृति:
विष्णु शर्मा |
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