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लूला हैदर

आज भी वही हुआ जो रोज होता है कार से उतरकर वे अपने चेम्बर की ओर बढीं . . . ठीक नौ बजने में पांच मिनट जब बाकी रहते हैं तभी उनकी टोयोटा लैक्सेसपार्किंग एरिया में पहुंचती है पिछले पन्द्रह साल से बिला नागा मतलब उनकी छुट्टी के दिन को यदि छोड दिया जाए तो यही हो रहा है जहां वे 'पार्क  करती हैं वह जगह भी उनकी कार के लिए आवंटित है यह 'पेड-पार्किंग' एरिया है और सब अपनी-अपनी जगह जानते हैं पांच साल पहले ऐसा नहीं था लेकिन जबसे मनुष्यों से अधिक कारों की संख्या हो गई है तबसे प्रायः हर देश में 'पेड पार्किंग' कार खरीदने की सजा बनकर उभर रही है लेकिन उनकी बात और है चार पैसे देकर कार को हिफाजत से रखना उनके लिए प्रमुखता है उन्हें मोहब्बत है अपनी कार स वह भी क्या 'कार ओनर' हुआ जिसे अपनी कार से कोई मोहब्बत ही नही

टोयोटा लैक्सेस से जब वे निकलकर ऑफिस के गलियारे की ओर से होकर अपने कमरे की ओर बढती हैं तो चोरी से ही सही , एक नजर तो भाई लोग उन्हें देखने की अवश हिमाकत कर ही गुजरते हैं
वे जानती है कि उनमें ऐसी कशिश है कि लोगों के दिलों में तीरे नीमकश बनकर उतर जाती हैं और दिल उसीतरह 'तडक़' उठते हैं जैसे आंधी की तूफानी बारिश में बादलों को चीरती बिजली तडतडाती हुई कौंधती है  क़ौंध तो क्षणिक होती है मगर उसका एहसास , वह तो ताउम्र जब-तब धडक़ता ही रहता है  स ऑफिस के लिए ताउम्र की उम्र छह घण्टे प्रतिदिन है और वो धडक़न जिससे जिन्दगी के जीते रहने का सबूत मिलता है , वही जो टोयोटा लैक्सेस से उतरकर अपने कमरे में पहुंच गई है , उसका नाम है लूला हैदर....

ऑफिस में लोग मिसाल देते हैं कि खूबसूरती का नाम लूला हैदर...ड़ीसेंसी और कैरेक्टर का नाम लूला हैदर...

नाम पर मत जाएं  नाम अगर लैला हो सकता है, लोलो हो सकता है तो लूला क्यों नहीं ? आपको लैला-मजनू की लैला और करिश्मा कपूर का निक नेम 'लोलो' तो पता ही होगावैसे 'लउ लउ' का अरबी भाषा में अर्थ है - मोती , मोती-सा  हो सकता है कि लूला का नाम भी कुछ ऐसा ही अर्थ रखता हातो , अब एक नाम अपनी यादों की फेहरिश्त में और जोड लें लूला  क्योंकि इस कहानी को पढने के बाद आप लूला को भी कभी भुला नहीं पाएंगे  तो, अब....

लूला हैदर.... .

बहुत थोडे में उनकी कैफियत बताना जरूरी हैसैंतीस वर्षीया लूला हैदर फिलीस्तीनी बाप और सीरियन मां की बेटी हैं, वो जो कहते हैं न कि वर्णसंकर संताने बहुत खूबसूरत और प्रतिभासम्पन्न होती हैं तो वो कहावत लूला हैदर पर हकीक़त बनकर उतरी है व्यूटी विथ ब्रेन वाली बात कहीं से भी न होने वाली बात नहीं लगतीजो लोग यह माने बैठे हैं कि खूबसूरती के पास दिमाग नहीं होता उन्हें लूला हैदर को जानना चाहिए और अपनी मान्यता बदलनी चाहिए खूबसूरती कम से कम बेइज्ज़त तो नहीं ही होनी चाहिए...तो , फिलीस्तीन में जब हालात और दिन अपराइजिंग की शुरूआत के थे तभी लूला के मां-बाप अमेरिका भाग गएभाग ही नहीं गए ,वहीं टेक्सास में बस भी गएतब लूला की अवस्था रही होगी यही कोई तीन वर्ष, नाक सुडक़ने या फिर पुछवाने वाली उम्र थी उसकी उससे छोटा एक भाई भी थासाल भर काबाद में तो दो बहनें और दो भाई और हुए ग्रैज्यूएशन के बाद लूला ने टेक्सास विश्वविद्यालय से बिजनेस मैनेजमेण्ट में डिग्री ली और एक मल्टीनेशनल कंपनी में बतौर एपरेण्टिस ज्वॉयन किया

इसके अलावा लूला का पैशन था ऑयल पेण्टिग्स बनानाइस दौरान इक्कीस बहारें निकल गईं और लूला पर जवानी ने जमकर इनायत कीफूलों का रस खून बना  कर्षण तराशा हुआ सौन्दर्य और खुशबू सुगन्ध बनकर उसमें रच-बस गई व्यक्तित्व में नमक और मिठास का वो सम्मिश्रण समा गया कि देखने वाले कहते , 'ठां है...ठां...'अगर फैशन टी वी  क़ी सुनी जाए और जिसतरह वह अपने मॉडेलों की शारीरिक मांसलता को सेंटीमीटरों के अनुपात में बताते हुए उनकी नुमाइश करता है तो उसने लूला के बारे में कुछ इस तरह से कैप्शन दिए होते.... लूला....नागरिकता अमेरिकन....बॉर्न इन सीरिया....ज़ॉडियक साइन विर्गो...हाइट 179 , बस्ट 90 , वेस्ट 65 , हिप्स 94....

अगर लूला को अपना परिचय देना होता तो कहतीं, ''आयम सिम्पिल....बोल्ड...सेक्सी ऐण्ड.... .व्यूटीफुल...'' ब्रेन भी है यह बात कोई समझदार अपने मुंह से कैसे कहता पिकासो होता तो उनकी इस सादगी पर एक बार अपने ब्रश फिर उठा लेता हालांकि, बलवंत गार्गी ने अपनी आत्मकथा 'नेकेड ट्रेंगल' में लिखा है कि पिकासो ने अपनी पेंटिग्स' को कभी ब्रश से पेण्ट ही नहीं किया  उसका ब्रश तो.... . . . . .बात ऐब्सर्ड होने से बचनी चाहिए....तो , लूला हैदर को जमीन पर एक जलवा क्यों न कहें

लूला के पास सौन्दर्य थादिमाग था तो दिल भी थाऔर उस दिल को मोहब्बत भी होनी थी जो लूला ने की भीचाहती तो कई दिलों को झटके देती मगर उसने जिससे प्यार किया उसी से शादी भी की और फिर शादी के बाद वह लूला से लूला हैदर हो गईं.... असल में लूला अपने आप में एक सलीका थी  उसने यू पी  और बिहार लूटने का कोई प्लॉन मजाक में भी कभी नहीं बनाया....लूला से लूला हैदर होना भी स्टेटस सिम्बल की बात थीमगर लूला ने हैदर का स्टेटस जानकर मोहब्बत नहीं की थी, मोहब्बत पहले हुई और स्टेटस बाद में पता चला....

लूला हैदर के खाविंद हैदर अबू जाबर, जॉर्डेन के रहने वाले थे और लूला की तरह वे भी अमेरिकन नागरिक हो गए थेदोनो की पहली मुलाकात किसी डिस्कोथेक में हुई थी, हैदर अबू जाबर एक सफल सर्जन थे और उनका बडा नाम था...क़हने का मतलब यह कि लूला हैदर की जिन्दगी को खुशनुमा और पुरसुकून कहा जा सकता था शुरूआत तो ऐसी ही हुई थीमगर किसी सुकून के पीछे किसी दिल में कितना तूफान छिपा होता है इसे तो केवल वही जानता होगा जो सुकून के परदे में तूफान को जी रहा हा दूसरों को क्या मालूम कि लूला हैदर सुकून को दिखाए और तूफान को छिपाए जी रही हैतूफान यह था कि धन-दौलत और शोहरत तो दिन दूनी और रात चौगुनी बढती गई मगर एक औलाद के लिए लूला हैदर तरस गईंतरसती रह गईं और, तरसते हुए भी चौदह साल निकल गए...

फ़र्टिलटी के सारे इलाज नाकाम रहे रोजा-नमाज और अल्लाह के आगे किए गए सिजदे बेअसर हुए मेडिकल सांईंस ने अपना फैसला सुना दिया कि लूला हैदर मां नहीं बन सकतीं  . अविकसित दुनिया में लूला हैदर होतीं तो यह माना जा सकता था कि ठीक से ट्रीटमेण्ट नहीं हुआ होगा और वे एक पूरी औरत होने से वंचित रह गईं मगर अमेरिका में होते हुए जब सारे उपाय परिणामशून्य साबित हुए तो लूला हैदर ने मन को मना लिया कि अल्लाह की शायद यही मर्जी हो...लाद न होने से जिस्म का कसाव तो बरकरार रहा मगर मन रिक्त होता गयाजिस्म कहीं से ढीला होने का मौका नहीं पा सका और मन के आंगन को कोई ऐसा खिलौना नहीं मिला जो उसे अपनी किलकारियों से स्मृतियों का इतिहास बनाता जाएसहारा था तो हैदर का जब कभी मन बहुत-बहुत खाली हो उठता तो कैनवास से परदा हट जाता और उस पर ब्रश चलने लगता...

लूला हैदर के भीतरी घाव के अनवरत रिसाव को सोखते तो हैदर ही थ उन्होंने उसे समझा लिया था कि औलाद नहीं हुई तो न सही अल्लाह सबको सबकुछ नहीं देता अगर परवरदिगार सबको सारी नेमतें बख्शे तो फिर उसे याद कौन करे ? हैदर ने कभी कोई शिकायत नहीं की कभीताने नहीं कसलूला का मन होता कि कोई बच्चा गोद ले लिया जाएबच्चा तो बच्चा होगा उससे ममता की जाए तो वह मां क्यों नहीं समझेगा ? लेकिन जब वह ऐसा कोई प्रस्ताव रखती तो हैदर भडक़ जाते मगर वह भडक़ना गुस्से से भरा न होकर प्यार भरे बोसे बरसाकर लूला को भिगा जाताहैदर कहते कि अल्लाह ने जब हमें एक अलग किस्म की निजी ज़िन्दगी दी है तो हम उसमें दखलन्दाजी क्यों करें हैदर ने कभी कोई मौका भी तो नहीं दिया कि लूला को अपनी मोहब्बत पर शंका होअपने मोस्तकबिल को लेकर कोई सवालिया निशान लगाएबात आई-गई हो जाती मगर लूला हैदर के मन से हमेशा के लिए गई कभी नहीं....

चाहते तो दोनो अपनी जिन्दगियों में कम से कम फ्लर्ट तो कर ही सकते थेइसके मौके भी उनके पास खूब थेहैदर प्रतिष्ठित सर्जन थे, उन्हें एमरजेन्सी में कभी कैलीफोर्निया जाना होता तो कभी लास एंजेल्स तो कभी वाशिंगटन डी सी  उनके इर्द-गिर्द सुन्दर चेहरों की भी कमी नहीं थी मगर उन्हें लूला हैदर के आगे दुनिया की कोई औरत खूबसूरत लगी ही नहींजहां हैदर अपनी ही तरह से मसरूफियों में रहते वहीं लूला हैदर भी कम व्यस्त नहीं थीं उन्हें भी बिजनेस मीटिंग्स और सेमिनारों में आए दिन कभी न्यू जर्सी तो कभी डलॉस डोलना होताजिसे मुस्कराकर देख लेतीं वही निहाल हो जाताजिसे उंगली पकडने का इशारा कर देतीं वही हथेलियां चूमने को व्यग्र हो सकता था मगर न जाने वह कैसी मोहब्बत थी कि वे और हैदर , दोनो एक-दूसरे के क्या हुए , कि होकर ही रह गएऐसी मोहब्बत आसमानों में होती हो तो होती हो , जमीन पर तो मियां-बीवियों में नहीं ही दिखी.... .एक यक़ीन के सहारे जिन्दगी बरस-दर-बरस गुजारे चली जा रही थी कि औलाद नहीं है तो भी क्या फर्क पडता है लूला और हैदर तो हैं न दोनों एक-दूसरे के लिए ही तो हैं !

और चौदह वर्ष निकल भी तो गएइस बीच का समय प्रमोशनों और बदलती नौकरियों मे बढते रूतबे के साथ बढती सुविधाओं में सोता-जागता रहामौसम आते और जाते रहेसमय की तरह कुछ भी ठहरा नहीं  . सिवाय इस खयाल के कि लूला हैदर मां नही बन सकतींयह खयाल अचानक उन्हें फिर आ गया  हालांकि, यह उनके दिमाग से गया ही कब था....

अपनी टेबल पर पडी ज़रूरी फाइलों को निपटाने और अपने मातहतों की एक मीटिंग करने मेंलूला हैदर को लगभग दो घण्टे लग गए और उससे फारिग होते ही उस वाहिद खयाल ने दिल पर एक दस्तक दी कि लूला हैदर तुम्हारी कोख ने कोई पौधा नहीं जन्माया जिसमें भविष्य का चेहरा दिखे उन्होंने सिगरेट सुलगा लीकभी-कभी पीती हैंबाहर नहीं, घर में भी नही - बस,अपनी सीटपर ऑफिस मेंयही कोई दो-चार दिन में एक या दोजब दिमाग पर दिल हावी हो जाता हैहैदर नहीं पीते मगर जानते हैं सिगरेट पीते हुए लूला हैदर उन्हें कुछ और खूबसूरत ,और कुछ ज्यादा ही सेक्सी दिखती हैं मगर वे उन्हें इनकरेज नहीं करतदोनो कभी-कभी ड्रिंक्स भी लेते हैंजिन या बियर नहीं - स्कॉच व्हिस्कीउनके व्यक्तिगत कार्यक्रमों जिनमें वात्सायन की बताई स्थितियां भी हैं इस्लाम आडे नहीं आता...

लूला हैदर ने एक गहरा कश लिया और धुएं के गुबार को अपने कमरे की चार दीवारों के भीतर छितरा दियाउनका मन हुआ कि हैदर को फोन लगाएंहैदर लास एंजेल्स में थे पिछले दस दिनों सेसुबह उन्होंने फोन किया भी थारोज तीन-चार बार उनका फोन आता हैलूला ने सोचा कि हैदर फोन करेंगे ही उन्होंने सीट से उठकर सामने की खिडक़ी खोल दीकितनी बार तो हो चुका है कि उन्होंने हैदर को इधर याद किया और उधर उनका मोबाइल 'मैं हूं ना...' क़ी टयून पर संगीतमय हो उठा टेलीपैथी नाम का शब्द कितना सही है....हैदर का फोन आना ही था आया भीमगर हैदर की भाषा ने लूला हैदर को चकरा दियाहैदर अरबी में तभी बोलते हैं जब बहुत इमोशनल होते हैं वरना मातृभाषा अरबी होते हुए भी अंग्रेजी में ही बात होती हैघर में भी और बाहर भीलेकिन जब मामला नाजुक़ और मसला पेचीदा हो तो हैदर अरबी में बोलते हैंक्या दुनिया के सभी लोगों के साथ ऐसा होता है कि बहुत अकेला होने पर इनसान अपनी मातृभाषा में ही सोच पाता है....

- ऐसा भी क्या हुआ कि हैदर....
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क़हीं कोई गम्भीर बात तो नहीं....
हैदर उधर से कह रहे थे, - लूला जानी...ओरीदु अन ओख बिरेकी शेइअन...     ( लूला जानेमन ! मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हूं...)
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महुआ . . (बोलो न...)
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से तऊजउस अलीययूम.... (मैं आज शादी कर रहा हूं...)
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माजा...! ( क्या !) लूला हैदर के हाथों में मोबाइल पर ग्रिप जहां कस गई वहीं उन्हें लगा कि जिन्दगी पर से उनकी ग्रिप फिसल गई। एक छोट, बस दो - चार पलों के पॉज क़े बाद हैदर की आवाज सुनाई दी ।

- नाम...क़ुन्तू उरीदू अन ओख बिराकी मिनकद...(हां  मैं तुमसे कहना चाहता था लेकिन....) ।लूला हैदर की सांस टंग गई। ऊपर की ऊपर और नीचे की नीचे फिर भी उन्होंने पूछा
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बलाकिन लियाजा . . .!( लेकिन क्यों !)
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ले अन्नी उरीदू अतफालेन...( मैं बच्चे चाहता था)
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लाकिन अल्लाह लम्मयोतीनी अतफालेन वअन्तऊ तकब्बलत दालीका...व ईजा कुन्तू तुरीदु अतफालेन फा युमकिनो ना अन नतबन्ना तिफलेन....( तुम तो जानते हो कि अल्लाह ने मुझे मां बनने से वंचित किया है।तुमने इस सच को स्वीकारा भी...फ़िर...अगर बच्चा ही चाहिए तो हम पहले भी गोद ले सकते थे...मैंने कई बार कहा भी था...)
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ला....उरीदू अतफालेन मिन्नी  .( मुझे अपना बच्चा चाहिए)
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मुन्जूमता...इत्तसस्तअ हाजा अलकरार...!( तुमने यह कब सोचा?)
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मुन्जू सित्तेत अशहुर...व अना अफक्किरी फिदालिका अल अम्म...( पिछले छह महीने से मैं कहना चाहता था...लेकिन  )
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लाकिननका लम्तुखबिरोनी बिजालिका  .( लेकिन तुमने कहा नहीं )
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लकदकुन्तू कलीकन एखबारीक...( मैं साहस नहीं जुटा पा रहा था)

- वोमाजा बादा दालिका...ओमाजा तुरीद ? . ( अब मुझसे क्या चाहते हो?)
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लाशैयई....तुरीदु एखबारिगी फकत मा अल इल्म अन्न कि शेतनालीना हुक्ककि कामिला  .( क़ुछ नहीं...बस तुम्हें जानकारी दे रहा था कि तुम्हारे सभी हक बरकरार रहेंगे...मैं तुम्हें छोड नहीं रहा...क़ोई फिक्र न करना  . )
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ला....अहताजू इलैक...वलाकिन मिनासाब अनआईश मारजूतिन लाअसकूबे....फ़ौउरीदुल अल इमफिसाल वि दोन अतलाक...(क़ोई जरूरत नहीं...तुम जानते हो कि मुझे किसी सहायता की कोई जरूरत नहीं है....मेरा चरित्र भी तुम्हें पता है...तो यह भी जानते होगे कि जो आदमी मुझे विश्वास में न ले सका और छह महीनों से मेरे साथ रहते हुए भी साथ नहीं था उसके दिए हक लेना कितना वाजे होगा...मेरे बारे में सोचना छोडक़र अपनी सोचो...मैं तुम्हें बिना तलाक के ही मुक्त करती हूं...बेकार के तमाशों की कोई जरूरत नहीं  . )

लूला हैदर की आवाज ज़ब कुछ रूंधने को हुई तो उन्होंने अपने को संभाल लिया और मोबाइल का स्विच ऑफ करते हुए सीट से उठ कर खिडक़ी के पास आ खडी हुईंपरदे खींचे और शीशे भी पूरे खोल दिएएक सिगरेट सुलगाई और बेचैनी में डूबे धुएं को सुकून के साथ बाहर छितरा दिया जैसे जिन्दगी के आकाश को और फैलाने की कोशिश कर रही हों यह उनकी जिन्दगी में शायद पहला मौका था कि वे एक दिन में दूसरी सिगरेट पी रही थीं  . उन्होंने अपने को उस दौरान ही संयत कर लिया जितना वक्त उन्हें कुछ कश लेने में लगा....बात अजीब लग सकती है.... बात अजीब है भीलूला हैदर न रोइन रोने के लिए कंधे तलाशएक समर्थ औरत को चाहिए भी क्या था ?हफ्ते भर में ही उन्होंने अपनी अलग दुनिया बसा लीअलग फ्लैट ले लियापहले घर का सारा काम खुद करती थींघर के कामों में उन्हें मजा आता थाअब काफी देख - दाखकर एक सलीकेदार हाउस मेड रख लीफिर कोई तो घर में हो जिससे दो बोल कभी - कभी बोले जाए उन्होंने एक बार फिर ब्रश को अहमियत दीअब वह होती थीं और उनका कैनवास कुछ न कुछ बनता जाता था कामकाजी महिला की व्यस्त जिन्दगी में वैसे भी समय खींचखांचकर हीनिकलता हैवक्त गुजरने लगाठहरता कब है ! और, गुजरते वक्त के साथ लूला हैदर ने एक बडा फैसला ले लियाफैसला था एक बच्चा गोद लेने काबच्चा नहीं बच्ची...

घर-परिवार और रिश्तेदारों ने अपनी - अपनी तरह से समझाया कि संतान न होने की दशा में मर्द को दूसरी शादी का हक स्लाम में हैलूला हैदर ने कहा कि इस्लाम भी सही है और मर्द के हक भी लेकिन हैदर ने जो किया वह धोखा है और इस्लाम धोखे की वकालत नहीं करता....

साल बीतते न बीतते लूला हैदर ने एक अन्तर्राष्ट्रीय संस्था की मदद से सीरिया की एक अनाथ बच्ची को गोद ले लियादो वर्ष की उस बच्ची के घर में आते ही जैसे लूला हैदर की रेगिस्तान-सी जिन्दगी में फूल नहीं पूरा एक ओएसिस खिल उठा.... एक मकसद हो गया और लूला हैदर ने फिर कभी पीछे मुडक़र नहीं देखाविगत से जैसे असम्पृक्त....लेकिन हैदर का विगत वर्तमान बनकर हैदर के सामने बार-बार आता रहा

जब एक ही शहर में रहना हो तो उन खबरों से कैसे बचा जा सकता है जो किसी न किसी माध्यम से पहुंच ही आती हैंलूला हैदर तक खबरें आती रही पहुंचाने वाले भी तो होते हकइयों को तो ऐसी खबरें पहुंचाए बिना खाना हजम नहीं होताहैदर अपनी दूसरी बीवी समीना को टेक्सास से ब्याहकर लाए क़ॉमन दोस्तों से पता चलासमीना गर्भवती हुई यह खबर भी मिलीसमीना गर्भवती होने के बाद भी मां नहीं बन सकीतीसरे महीने में ही अबॉर्शन हो गयादो साल बाद फिर खबर कि समीना एक बेटे की मां बन गई पर तीन सप्ताह बाद नवजात की मृत्यु का भी पता चलासमीना या हैदर को लूला हैदर ने भूलकर भी कभी बददुआ नहीं दीजिस हैदर से उन्होंने कभी मोहब्बत की थी उसे बददुआ कैसे देतींमगर हैदर के साथ जो कुछ घट रहा था उसका अंत अभी कहां हुआ थाएक दिन लूला हैदर को यह खबर भी मिली कि समीना तीसरे प्रसव के दौरान चल बसीबच्चा गर्भ में पहले ही चल बसा था....

लोग इन खबरों को सुनाते हुए च् . . .च् . . च् . . . च् . . .क़रते मगर लूला हैदर , उनपर तो जैसे कोई प्रभाव ही नहीं पडता...ख़बरें तो उनतक पहुंचती थी मगर उन्हें भी नहीं पता था कि सात साल बाद एक शाम जब वह अपनी आठ साल की बेटी सूजन के साथ खेल रही होंगी उस वक्त उनके फ्लैट की डोरबेल का स्विच हैदर दबाएंगेवही हैदर जो इतना साहस न जुटा सके कि दूसरी शादी की बात आमने-सामने कह सकेंवही हैदर जो एक ही शहर में रहते हुए कभी सामने आने का साहस न कर सकें या कि अपनी दूसरी बीवी समीना से मिलवा सकेंवही हैदर दरवाजे पर थेलूला हैदर के लिए यह चौंकाने वाला पल था भी और नहीं भी थाक्या पता अकेले पड ग़ए हैदर को उनकी याद आई हाउनके भीतर कोई लावा नहीं उबला, कोई जली-कटी सुनाने की इच्छा नहीं जगी - बडे ही सधे शब्दों में पूछा, ''कइफहालिक . . . . . . .'' (क़ैसे हो?)

''यजिब अलल इन्सान अनियईश हयातहू कमामनहह लहू अरब...'' (ज़ैसे अल्लह रख रहा है.... . . . . .मेरे बारे में तुम्हें सब पता तो होगा...लाद का सुख मेरी तकदीर में नहीं है  . ) हैदर ने एक-एक शब्द जैसे ठहर-ठहरकर कहा  ''अल आन माजा तन्तजिरू मिन्नी...?'' (अब मुझसे क्या चाहते हो ?) लूला हैदर ने जैसे औपचारिकतावश पूछा तबतक सूजन उससे आकर लिपट गई , ''मामा....क़म...नाउ योर टर्न...''
''
ओक्के....ए....ड़ॉर्लिंग....क़मिंग....'' सूजन को पुचकारते हुए उन्होंने हैदर से कहा , ''माय डॉटर सूजन . . .''
''
आई नो....आइ नो....'' हैदर ने कहा । उन्हें भी किसी ने बताया ही होगा  उन्होंने आगे कहा, '' उरीदू अनअब्दआ मारकि हयातन जदीदा...'' ( मैं तुम्हारे साथ जिन्दगी को फिर से शुरू करना चाहता हूं ) हैदर ने आगे जो कहा उसका मतलब यह था कि एक कोशिश करके उन्होंने एकगलती की थी , दूसरी कोशिश से वे उस गलती को सुधारना चाहते हैं.... लूला हैदर ने एक खामोश निगाह हैदर पर डाली और कहा , ''अल आन बादकुल दालिका हादा मुस्तहील बगैर मुमकिन.... .इट इज नेक्सट टू इम्पासिबल....'' ( यह अब किसी भी हाल में मुमकिन नहीं ) .हैदर ने खुदा हाफिज क़हा और वापस लिफ्ट की ओर बढ। लूला हैदर ने उनके लिफ्ट में घुसते ही दरवाजा बन्द कर लिया। इतनी डीसेण्ट तो वे हैं कि अतिथि को कम से कम बेइज्ज़त तो न किया जाए.... .

कृष्ण बिहारी
अप्रेल 1, 2005

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