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जब तवक्को ही उठ गई गालिब
''सर , आयम जेरिन '' कौन जेरिन ?'' ''सर ,आप मुझे नहीं जानते ।'' ''तुम मुझे कैसे जानते हो?'' ''आप स्कूल में पढाते हैं ।'' ''तो ?'' ''आप मुझे बचाएं सर ।'' ''क्यों ?'' ''सर, आप सिटी मॉल में आ जाएं ,प्लीज ।'' ''लेकिन क्यों ? बात क्या है ?'' ''सिक्योरिटी ने मुझे पकड क़र अपने कमरे में बिठा लिया है ,ये लोग मुझे पोलिस को देने वाले हैं ।'' ''क्यों ?'' ''सर, मैं सीड़ी लेकर निकल रहा था ।'' '' तो पेमेण्ट करके निकलो ।'' ''नहीं सर, ये लोग नहीं मानेंगे आप आएं प्लीज,पोलिस भी यहीं है। आप नहीं आएंगे तो ये लोग मुझे जेल में डाल देंगे। प्लीज, मुझे बचाएं ।'' ''मैंने कभी तुम्हें पढाया है ?'' ''नो सर ।'' ''कभी क्लॉसटीचर रहा हूं ?'' ''नो सर ।'' ''उसे बुलाओ जो तुम्हें जानता हो ।'' ''कोई नहीं आएगा सर ।'' ''तुम प्रिंसिपल को बुलाओ ।'' ''ही वुड'ट सर ,प्लीज हेल्प मी ।'' ''ह्वाई डोण्ट यू कॉल योर फादर ?'' ''ही इज इन इण्डिया।'' ''देन कॉल योर मदर।'' ''शी इज इन कैलीफोर्निया शी हैज ग़ॉन टू विजिट माय सिस्टर।'' ''देन ह्वाई डोण्ट यू कॉल एनीवन नोन टू यू ।'' ''सर ,आइ सेड टू यू ओन्ली यू कैन हेल्प मी ।'' ''हू टोल्ड यू दैट आइ कैन हेल्प यू ?'' ''सर, मैंने कई लडक़ों को फोन किया,दे टोल्ड ओन्ली हिन्दी सर कैन हेल्प यू दे गेव मी योर कांटैक्ट नम्बर सर, इट इज गेटिंग लेट ।'' ''अजीब बात है, वेट करो, मैं पहुंच रहा हूं ।'' मैं खुद में ही झिझक रहा था, 'न कभी पढाया, न कभी क्लॉसटीचर रहा, न कोई जान-पहचान। अब मुसीबत में फंस गए तो मैं बचाऊं।क्यों ? इसलिए कि तुम उस स्कूल में हो जिसमें मैं पढाता हूं।छुट्टी के दिन की दोपहर खराब की वह अलग से। कार सिटी मॉल की ओर जा रही थी।जेरिन की कोई तसवीर दिमाग में नहीं थी।जिससे कोई साबका ही नहीं पडा हो उसकी कोई तसवीर भी कैसे बन सकती है! ये लडक़े भी बिना सोचे-समझे क्या-क्या कर बैठते हैं।कोई कमी नहीं है। मां-बाप इन्हें क्या नहीं देते? इसके बावजूद चोरी करते हैं।शॉप-लिफ्टिंग।इसके अलावा जेरिन के मामले मेंऔर क्या हो सकता है? अभी कुछ दिन पहले स्कूल के चार एक्स स्टूडेण्ट केनेडा, अमेरिका और न्यूजीलैण्ड से अपने पेरेण्ट्स के पास विजिट पर आए थे। उन सबने भी शहर के एक मशहूर मॉल से मोबाइल फोन चुराने की कोशिश की थी और पकडे ग़ए थे।मॉल ने उन्हें पोलिस को सांप दिया था। एक सप्ताह बाद छूटे थे और पॉसपोर्ट पर जिन्दगी भर के लिए बैन लग गया था, 'नो एण्ट्री'। बैन लगा सो लगा। बदनामी हुई वो अलग।हर किसी के बाप की औकात थी कि वह उन्हें कोई भी लेटेस्ट मॉडेल खरीदकर दे सकता था।लेकिन उन सालों को तो ऐडवेंचर चाहिए था।लो बेटा , ऐडवेंचर , अब आना यहां ' सिटी मॉल की पॉर्किंग में कार खडी क़ी। जुमा का दिन।नमाज क़ा वक्त हो रहा था।सडक़ पर उन लोगों की कतारें थीं जो मस्जिदों की ओर बढ रहे थे।मॉल से भी नमाजी निकल रहे थे।मुझे लगा कि अगर दो-चार मिनट की भी देर और हुई तो फिर कम से कम डेढ घण्टे यूं ही गुजारने होंगे।सिक्योरिटी और पुलिस का आदमी जब नमाज अदा करके वापस आएंगे तभी कोई बात हो सकेगी।मैं तेजी से गेट की ओर एयरकंडीशंड मॉल में घुसते ही गरमी से राहत-सी महसूस हुई।मगर राहत भीतर कहां थी ? सिक्योरिटी-रूम में एक लध्दड-सा पांच फुट और दो-तीन इंच का गहरा सांवला मोटा-सा लडक़ा कुरसी पर बैठा था।उसने टी-शर्ट और बरमूडा पैण्ट पहनी हुई थी।उसके पास दो सिक्योरिटी के लोग थे।एक पुलिस का सिपाही था।लडक़ा कुरसी से उठा भी नहीं।मैंने ही पूछा, ''हू इज जेरिन।'' उसने बैठे -बैठे सिर हिलाया। ''ह्वॉट'स द मैटर?'' सिक्योरिटी के दो लोगों में से एक ने बताया कि इस लडक़े को सी ड़ी चुराकर निकलते हुए पकडा गया है।इसे पोलिस को देना होगा। ''देखिए, प्लीज , सुनें , यह बच्चा है इसने पहली बार गलती की है इसे माफ कर दें ।'' ''नो
सर ,
नॉट द फर्स्ट टाइम,
दिस इज माय थर्ड
अटेम्प्ट।
आज मैं चोरी करने नहीं आया था, पिछली बार मैं जो सी ड़ी ले
गया था वह बिकी नहीं ख़रीदने वाले ने कहा कि इसे वापस रखकर दूसरी सी ड़ी
ले आऊं जिनकी मार्केट है । आज उनको रखकर दूसरी ले जा रहा था ।
सिक्योरिटी वाले कुछ सुनने को तैयार नहीं थे।मैंने
पुलिस के सिपाही से कहा कि वही कुछ मदद करे।
पुलिसवाला कुछ पसीजा, '' अपना वर्क-परमिट जमा करें और गारण्टर बने कि यह लडक़ा फिर कभी ऐसा नहीं करेगा ।'' ''लेकिन बिना वर्क-परमिट के मैं यहां कैसे रहूंगा ?'' ''यू कीप द फोतोकॉपी ।'' ''कब तक मुझे फोटोकॉपी के साथ रहना होगा?'' ''छह महीने ।'' ''लेकिन वर्क-परमिट मैं सरेण्डर नहीं कर सकता यू टेक द फोटोकॉपी ऑफ माइ पॉसपोर्ट ।'' क़िसी तरह मैंने सिक्योरिटी और पुलिस के सिपाही को इस बात के लिए राजी किया
औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद जेरिन को लेकर बाहर निकला तो उसने कहा
, ''नहीं, मैं तुम्हें घर छोडने के बाद अपने घर जाऊंगा।'' ''घर पर तो कोई भी नहीं है।'' ''वह तो तुमने बताया ही है।ज़ो हुआ उसे भूल जाओ और पढाई में मन लगाओ। दुबारा ऐसा काम मत करना जिससे शर्मिन्दा होना पडे । ज़िन लडक़ों को बताया है यदि वे पूछें तो कहना कि सी ड़ी क़ा दाम देकर चले आए ।'' ''हां सर, आ'यम सॉरी सर , मुझे यहीं छोड दें । वाकिंग डिस्टेंस है ।'' ''कहां रहते हो ?'' ''हमदान स्ट्रीट ।'' ''धूप बहुत है ''नो सर ।'' मैंने देखा कि वह हिचक रहा है।सोचा कि शायद शर्मसार है और चाहता है कि मैं इससे जल्द ही अलग हो जाऊं ताकि यह सहज हो सके।लेकिन मैं उसे अपनी उपस्थिति में ही सहज करना चाहता था। कार का दरवाजा खोलते हुए मैंने कहा , “बैठो ।'' वह बैठ तो गया मगर सहजता उससे कोसों दूर थी।मुझे लगा कि वह पश्चाताप की छाया ओढे मेरे पास बैठा है।हमदान स्ट्रीट पर कार जब डॉयमण्ड ज्वैलर्स के सामने पहुंची तो जेरिन ने कहा, ''सर यहीं पार्किंग में रोकें इसके पीछे ही मेरा फ्लैट है ।'' ''चलो, वहीं रोकता हूं , प्यास लगी है पानी पीकर घर जाऊंगा ।'' वह कुछ नहीं बोला।कार खडी क़रने के बाद मैं उतरते हुए बोला, ''चलो तुम्हारा फ्लैट भी देख लेता हूं ।'' ''सर, मैं ग्रॉसरी से पानी की ठण्डी बोतल ले आता हूं ।'' ''नमाज क़े लिए सभी दूकानें बन्द हैं, क़हां से लाओगे?फ्लैट पर चलो ।'' वह मेरे आगे-आगे चल रहा था लेकिन लगा कि अपने फ्लैट पर मुझे ले जाने में उसकी कोई रूचि नहीं है।मजबूरी में वह मुझे ले जा रहा है।लिफ्ट में भी वह खामोश था।दरवाजे पर पहुंचकर उसने कहा, ''सर , ह्वाइल गोइंग आउट आइ फॉरगॉट द की इन साइड ।'' न जाने क्यों मुझे लगा कि वह झूठ बोल रहा है। मैंने कॉल बेल दबा दी।एक मिनट का वक्त लगा होगा कि एक अधेड महिला ने दरवाजा खोलकर मुझे आश्चर्यमिश्रित भाव से देखा, ''आ'यम जेरिन्स टीचर ।'' ''सर, माय मदर ।'' ज़ेरिन ने हकलाते हुए कहा।तबतक घर के अन्दर से आंखें मलते और लुंगी बांधते हुए एक आदमी भी जेरिन की मां के पीछे आ खडा हुआ, ''ह्वाट हैपेण्ड ?'' टिपिकल मलयाली की तरह उसने अंग्रेजी में पूछा। ''नथिंग सीरियस ।'' मैंने सिटी मॉल की घटना उन्हें बताई।दोनों बिलख-बिलखकर रोने लगे।उसके बाप ने कहा, ''मेरा यही एक लडक़ा है । क़ोई बेटी नहीं है, इसके लिए मैंने इंजीनियरिंग में सीट बुक करा रखी है। मेरे पास जितने भी कॉर्ड हैं सबके नम्बर इसे मालूम हैं । पैसे की कमी नहीं है, फ़िर इसे चोरी करने की क्या जरूरत है ? मैं अभी आपके पॉसपोर्ट की कॉपी वापस लाता हूं ।'' ''अभी कोई फायदा नहीं नमाज क़े लिए मॉल बन्द हो गया होगा। मैं चलता हूं ।'' “सर, टी-कॉफी ।'' ''नो थैंक्स।'' ''सर, वॉटर।'' ''आया तो मैं एक गिलास पानी के लिए ही था। आ'यम सॉरी मैंने जीवन में पहली बार किसी को पहचानने में धोखा खाया है और एक गलत आदमी की मदद की है, इस लडक़े ने मेरा भरोसा ही दुनिया से उठा दिया मैं लिफ्ट की ओर घूम पडा।
कृष्ण बिहारी |
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