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संदेश केल्विन ने चित्र बनाना अधूरा छोड़ दिया। उसने पैड का मटमैला कागज़ फाड़ा और सामने खड़ी लड़की को पकड़ा दिया। लड़की ने देखा। चित्र पूरा नहीं बना था। उसकी ऑंखे, बाल, चेहरे की रुपरेखा बहुत महीन तरीके से स्पष्ट थी पर होंठ, नाक, और गर्दन का बहुत हिस्सा बाकी था। उसने कुछ मूँह बनाया। फिर भी कागज़ की तह बनाके उसने अपने पर्स में रख ली। केल्विन ने चिर परिचित मुस्कान दी। उसकी ऑंखों के गढ्ढों में झील बन गई थी और उसमें उसकी उम्र गीली होकर हिल रही थी। वो भी हँसा। बालों में पचासों सूत की रस्सियों सी चोटियाँ और भूरे बड़े-बड़े होठ हिलें। जैकेट के भीतर की देह दहली और दक्षिणी लहजे की अग्रेंजी में बोला- मैम सॉरी । गौटा
गो। डिब्बें में डाल देते। क्योंकि वो कुल मिला के अच्छा काम दिखातें इसलिए कभी-कभी ज्यादा भी मिल जाता था। आज गोरा बूढ़ा जाँन केल्विन के पास आया था। उसकी दाढ़ी बहुत लम्बी थी। कान के पास सन जैसे सफेद बाल पर सिर एकदम गुलाबी गंजा। वो भारी गर्म जैकेट , जीन्स और स्पोर्टस शू पहना हुआ था। सबमें काले मैल के चिहन थे और एक अजीब सी हींक । उसके पास एक सेलफोन था जिसमें कोई संदेश आया था केल्विन के लिए। केल्विन उस समय चित्र बना रहा था। उसकी ऑंखों में सामनें खड़ी लड़की की रुपरेखा एक बार देखनें पर ही बस गई थी। अब उसे लोगों का मनोरंजन करने के लिए उपनी पेन्सिलें उछाल-उछाल कर ऐसा दिखाना था जैसे तो बहुत बड़ा चित्रकार है साथ ही सरकस का बाज़ीगर भी है। जाँन से बात करने के बाद वो वैसे ही निश्चिन्त मुस्कुराया पर उसे काम बंद करना ही पड़ा। वो बिना पैसे लिए ही चल पड़ा। सीढ़ियों के पास आकर उसने एलिवेटर का बटन दबाया। विक्लागों के लिए खास बनी एलिवेटर में वो पिछले 23-24 साल से चढ़ उतर रहा था। दरवाजा खुलते ही उसकी मेकेनिकल व्हीलचेयर चैम्बर के अंदर आ जाती और स्ट्रीट लेबल का बटन दबा देता। एलिवेटर से बाहर निकलने के बाद वो धीरे धीर स्टेशन का गलियारा पार करके स्ट्रीट लेबल पे आ जाता। आज बहुत ठंड थी। शिकागो डाउन टाउन में सुबह बर्फ पड़ने से फिसलन बहुत हो गई थी। जैसे ही केल्विन आगे बड़ा। एक तेज बर्फीली हवा का झोंका उससे टकराया। उसकी पुरानी जैकेट के भीतर एकाएक ठण्ड सुलगी। चेहरा कटकटाया। वो फिर मुस्कुराया और बस स्टाप पे जाके ठहर गया। उसे अपने घर पहुँचने के लिए दो बस बदलनी पड़ती थी। कुल सत्रह मील का रास्ता। डेड घंण्टे का समय। बस के इंतज़ार के वक्त उसके माथे पर चिन्ता के कुछ चिंहन दिखाई दिए। वो उसकी खुशमिजाजी के रक्षाकवच को तोंड़ के भीतर चले आए थे। उसने भीतर जेब से एक नकली क्यूबन सिगार निकाला और दाँतों के बीच भींच के उसे रख लिया। फिर लाइटर निकाल के उसमें चिंगारी दे दी। जब बस आई तो ड्र्ाइवर ने सीढ़ियों के पास का प्लेटफार्म जमीन के स्तर तक सममतल कर दिया। केल्विन उपर चढ़ा फिर ड्राइवर ने बटन दबाकर प्लेटफार्म फिर उपर कर लिया। केल्विन अपनी व्हीलचेयर लेकर सामने की जगह में स्थित हो गया और एक खास ब्लेट से उसने व्हीलचेयर को बस के एक एंगल से बाँध दिया। सिगार फूँकते-फूँकते उसे नींद आ गई। जोनाथन आज फिर पकड़ा गया था। उसका पकड़ा जाना कोई नई बात नहीं थी। वो एक बार एक स्टोर से घढ़ी उठाके भागा था। एक ढाई सौ पौंड का अश्वेत गार्ड उसपर बिल्ले की तरह झपटा था। गुंथम-गुंथ्था में गार्ड की कमीज चिर गई थी और जोनाथन की ठुड्डी फर्श पर टकराकर लहुलुहान हो गई थी। उससे बच भागने की बहुत कोशिश क थी पर दो और गार्डो ने आकर उसको और कसके दंबोच लिया था। पुलिस ने उसे 5-6 दिन रखा फिर छोड़ दिया। वो 21 साल का था साढे-छ: फुट का अश्वेत नौजवान। भारी भरकम काली देह। लोहे के तबें सा सख्त सपाट चेहरा और लाल ऑंखे। आज वो फिर पकड़ा गया था। टेलर स्ट्र्ीट पर एक सुनसान गली में उसने एक आदमी को लूटने की कोशिश की थी। वो नशें में धुत्त था। उसने अपने हमउम्र साथी अजाको के साथ घेरा था उसको। वो आदमी पहले तो अक्कड़कर कहता रहा कि आई डोन्ट हैव मनी फिर भयभीत होकर भागने लगा। जोनाथन ने पिस्तौल निकाली और उस भागती हूई देह पे गोली दाग दी। आदमी वहीं चिल्लाता हुआ ढेर हो गया। नीचे जमीन पर उसकी देह फुटपाथ पे जमी बर्फ के ढेर से टकराई और धँस गई। अजाको भागके उसका बटुआ निकाल लाया और दोनों भागने लगे। पुलिस के सायरन की आवाज़ हुई और जोनाथन लड़खड़के सड़क पर गिर गड़ा। केल्विन जब अपनी स्ट्रीट पहुँचा तो अंधेरा हो चला था। उसका घर स्टाप से पास था। वो एक पुराने ढंग़ की बिल्डिंग थी जिसमें शायद बहुत से कमरे थे। ठण्ड के बाबजूद बहुत से लोग बाहर थे। ये अश्वेत अफ्रीकी-अमेरिकी लोगों का इलाका था। प्रशासन इस एरिया को प्रोटैक्ट एरिया कहके बुलाता था। एक प्रोजैक्ट के तहत इन गरीबी रेखा से नीचे बसर करने वाले अश्वेतों को यहाँ बसाया गया था। केल्विन के घर में बारह लोग थे। वो उसकी बीवी और दस बच्चे। 14 से 30 साल तक की उम्र के बच्चे। दो कमरों के इस घर में वो ठुंसे से पडे रहते । हीटिंग का इतंजाम बिल्डिग मं बहुत गया-बीता था तो दोनों कमरों में बिजली से चलने वाला हीटर हमेंशा चलता रहता। गर्मियॉ कट जाती थीं पर सदिर्यों में हमेशा कुछ समय के लिए विन्टर होम में जाना पड़ता। प्रशासन की गाड़ियाँ भर-भर के इनको वहाँ ले जातीं थी। सर्दी में हाइपोथर्मीया से मरने से बचाने का यही तरीका था।
केल्विंन जब घर में घुसा तब सब कुछ सामान्य था। छ: में से सिर्फ तीन लड़के घर में थे। और चार में से दो लड़कियाँ। सब अपनी-अपनी जैंकेट पहने कारपेट पर पड़े हुए कुछ न कुछ कर रहे थे। बाथरुम से निकलकर आतें ही बीबी थैरिसा केल्विन पे जोर से चिल्लाई। - 'मदरफकर शोट अ गाय! ही इस इन विद कौप्स । दे विल बीट हिम टू डैथ।' बच्चों में से कोई नहीं हिला। थेरिसा के गाउन और उसकी जैकेट में उसकी देह बिलबिलाई और वो वहीं कारपेट पे बैठ गयी। आज बहुत कुछ हुआ था। सुबह बिल कलेक्टर से तू-तू मैं मैं हुई थी वो धमकी दे रहा था कि अगर बिल न दिया तो बिजली काट देंगे। लड़की टैरा को फिर एन्जाइना का पेन उठा था और वो काउन्टी अस्पताल में भरती थी। सबसे बड़े लड़के को जो डाउन टाउन में होम लेस वेटेरन का बोर्ड लगाकर भीख माँगता था आज पुलिस वालों ने पकड़कर पीट दिया था। एक और लड़के ने फ्रिज से निकालकर सारा दूध पी लिया था और अब किसी और को देने के लिए कुछ नहीं था। इस सबसे उूपर जोनाथन ने गोली चलाकर उस आदमी को लूटने की कोशिश की। थेरेसा दो एक बार और चिल्लाके कारपे पे लेट गई थी। उसके हाथ पैर काँप रहे थे। पूरी उम्र उसने यही सब झगड़ा-लूटपाट गरीबी देखी थी। उसके दुखी होने की भी सीमा थी। उसने लेटे लेटे ही गले में पड़ा क्राँस पकड़ लिया और शायद सो गई। केल्विन धीरे से व्हीलचेयर से उतरा और वहीं पास में बैठ गया। उसके चेहरे पर चिरपरिचित मुस्कान लौट आई। मन हुआ उॅगलियाँ हवा में उछाल के नचा दे और पेंन्सिल को खींचकर कोई चित्र बना दे। पर वो रुक गया। महीना भर होने को आया। आज फिर केल्विन अपनी जगह उसी भूमिगत रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर किसी राहगीर का चित्र बना रहा था। उसके परिवार को विन्टर होम में इस साल फिर जाना पड़ा। कड़ाके की ठण्ड में रहना नामुम्किन हो गया था। उसके चारों तरफ मोटे-मोटे ओवरकोट, टोपियाँ ,दस्ताने पहने लोग टहल रहे थे। जाँन के ड्र्म की रिदम ने दूर-दूर तक फर्श को अनुनादित कर दिया था। और वो अश्वेत लड़की जो सुबह से गाके अब थक गई थी, चुपचाप अपने पैसे गिन रही थी। केल्विन ने मुसाफिर को पैड का कागज़ निकाल के दिया और बदले में दो डॉलर लेकर चलने लगा। होम में खाना शाम जल्दी बँट जाता था। रात में बीफ स्टेक्स बँटते थे जो बहुत स्वादिष्ट होते थे। स्टेक्स का स्वाद उसके मुँह में घुल रहा था। उसे आज भी जाने की जल्दी थी हालाँकि जॉन के सेलफोन पर आज घर से कोई संदेश नहीं आया था।
सौमित्र सक्सेना |
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