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सूरज
क्यों निकलता है?
वे गत्ते का एक बड़ा सा
टुकड़ा हाथ में लिए कड़कती धूप में बैठ गए, जहाँ कारें थोड़ी देर के लिए
रुक कर आगे बढ़ जाती हैं । बिना नहाए-धोए, मैले- कुचैले कपड़ों में वे
दयनीय शक्ल बनाए, गत्ते के टुकड़े को थामे हुए हैं, जिस पर लिखा है -'' होम
लेस, नीड यौर हैल्प ।'' कारें आगे बढ़ती जा रही हैं, उनकी तरफ कोई ध्यान
नहीं दे रहा ।
सैंकड़ों कारों में से सिर्फ दस बारह कारों वाले, कारों का शीशा नीचे करके
उनकी तरफ कुछ डालर फैंकते हैं और फिर स्पीड बढ़ा कर चले जाते हैं । दोनों
आँखों से ही डालर गिनते हैं, एक दूसरे को देखते हैं और न में सिर हिला देते
हैं....
अब वे सड़क के नए कोने पर खड़े हो गए हैं, जहाँ गंतव्य स्थान पर मुड़ने के
लिए एग्ज़िट के कोने पर रुकने का चिह्न है यानि स्टाप साइन ।
ज्यों ही कारें रुकती हैं, वे गत्ते के टुकड़े को उनके सामने कर देते हैं,
कुछ लोगों ने उन्हें गाली दी -''बास्टर्ड, यू आर बर्डन ऑन दा सोसाइटी ।''
कुछ ने अपनी कार का शीशा नीचे करके कहा -'' वाए यू गाईस डोंट वर्क ? ''
दोनों ढीठ हो चुके हैं, गालियाँ सुन कर चेहरा भाव-हीन ही रहता है और दोनों
ऐसा अभिनय करते हैं कि जैसे उन्होंने कुछ सुना नहीं । गत्ते का टुकड़ा हाथ
में थामे सूखे होठों पर जीभ फेरते और थूक से गला तर करने की कोशिश करते
हुए, वे एक कार को छोड़, दूसरी की ओर चल पड़ते है ।
कई दिनों से उनके गले सूखे हुए हैं, शराब की एक बूँद उन्हें नसीब नहीं हुई
। पूरे बदन में बहुत तनाव है, उसे तनाव रहित करने के साधन नहीं जुटा पाए वे
। जेब में वेलफेयर में मिले भोजन के कूपनों के अतिरिक्त एक डालर भी उनके
पास नहीं है । ये कूपन सरकार उन्हें खाने की सामग्री खरीदने के लिए देती है
। कूपन बेच कर वे शराब की बोतल और सिगरेट का पैक खरीदना चाहते हैं, पर कोई
ख़रीददारी नहीं मिल रहा उन्हें । दोनों निराश हैं, परेशान हैं, हलक पानी से
बहल नहीं रहा । उसे बीयर चाहिए, विस्की चाहिए । ये सब वे कहाँ से लाएँ ?
हार कर आज उन्होंने अपना पुराना धंधा अपनाया.... इससे कई बार अच्छी कमाई हो
जाती है । यह कमाई एक रात का पूर्ण सुख दे जाती है । वह रात अगले कुछ
महीनों के लिए उन्हें काफ़ी तुष्ट कर जाती है...
शाम ढलने से पहले ही उन्होंने अपनी कमाई को गिना, अभी भी मन चाही रकम पूरी
नहीं हुई। दोनों बेहद थक गए हैं। पसीने से भीग गए हैं और उन्हें शाम से
पहले ही शैल्टर होम में लौटना है । वे पास के बस स्टाप की ओर चल पड़े ।
दोनों चुप हैं, कुछ बोल नहीं रहे । डाउन टाउन रॉले की बस आती देख, वे भाग
कर उसमें चढ़ गए । यह बस बेघर लोगों की रसोई ( सूप किचन ) के पास जा कर
रुकती है, वहीं मुफ्त में खाना खा कर वे साथ ही के शेल्टर होम में सोने
जाने की सोच रहे हैं । कई दिनों से वे यही कर रहे हैं, इस तरह वे अपने कूपन
बचा रहे हैं । उन्हें बेच कर वे ज़्यादा से ज़्यादा पैसा बनाना चाहते हैं ।
बस में बैठते ही पहली बार पीटर ने मुँह खोला--''भाई, मंदी ने अमेरिका के
लोगों को सचमुच मार डाला है । मुझे उन पर तरस आ रहा है । उनके पास हम जैसे
बेघर लोगों को देने के लिए डालर ही नहीं हैं । ''
सिर खुजाते हुए जेम्ज़ ने कहा---''यार, पैसे के साथ -साथ लोगों के दिल भी
छोटे हो गए हैं । इंसानियत तो रही नहीं । चिलचिलाती धूप में बैठे भीख
माँगते रहे । किसी को दया नहीं आई। पहले काफ़ी पैसे मिल जाते थे।''
उस बस में अधिकतर बेरोज़गार, बेकार, बेघर पिछले स्टाप से ही बैठे हुए थे,
वे सब सिर हिला कर जेम्ज़ का साथ देने लगे--'' हाँ-हाँ, बहुत ग़लत है यह।
लोगों को देखना चाहिए...कितनी कड़ी मेहनत करते हैं हम।''
''हमारी स्थिति कोई समझता नहीं । आज दो जगह काम माँगने गया था, काम मिला
नहीं । पिछले दो सालों से यही हो रहा है । बस में चढ़ने के लिए भी पैसे
चाहिए। कहाँ से पैसा लाऊँ ?'' बस में बैठा माईक रोष में बोला ।
''सरकार को कुछ करना चाहिए, हम जैसे बेरोज़गार , बेघर लोगों के लिए
निःशुल्क बसे चलानी चाहिए..।'' जेम्ज़ बोला।
''अरे सरकार कुछ नहीं करेगी, यू एस ए की इकॉनोमी का बुरा हाल है । देखते
नहीं लोगों के पास हम ग़रीबों को देने के लिए पैसे नहीं ।'' पीटर बोला ।
बातें करते -करते डाउन टाउन रॉले के शैल्टर होम के केन्द्रीय ऑफ़िस का बस
स्टाप आ गया, सब लोग यहीं उतर गए । रसोई इसी ऑफ़िस में है ।
शाम होते ही सूप किचन में होमलेस लोग भोजन के लिए इकट्ठे होने शुरू हो जाते
हैं, बाद में ये लोग सोने के लिए किसी न किसी शैल्टर होम में जगह पा लेते
हैं । इस रसोई घर में शहर के कुछ रेस्टोरेंट अपना बचा हुआ खाना और बहुत से
ग्रोसरी स्टोर्स अपनी सब्जियाँ भेजते हैं। स्कूलों में बच्चों को इनकी मदद
करना सिखाया जाता है और वे कैन फ़ूड इकठ्ठा करके यहाँ भेजते हैं । निश्चित
समय पर यहाँ लंच और डिनर दिया जाता है । इसलिए सब होमलेस समय पर यहाँ खाना
खाने पहुँच जाते हैं । इस रसोई में अक्सर कोई न कोई समाज सेवी संस्था के
स्वयं सेवी खाना दे जाते हैं, कई बार वे उसी रसोई में खाना बना कर इन लोगों
को खिलाते हैं । भारतीय मूल के लोग तो उत्सवों और बच्चों के जन्म दिन पर
यहाँ स्वादिष्ट व्यंजन दे जाते हैं ।
आज रात्रि के भोजन में स्थानीय संस्था के स्वयं सेवकों ने अमरीकी व्यंजन
परोसे--एंजला ने मुँह बनाया--''नो टेस्ट..।'' पीटर ने फिर कहा --''अमरीका
ग़रीब हो रहा है। सरकार को कुछ करना चाहिए । मंदी ने खाना भी बेकार कर
दिया..'' आस- पास बैठे सभी होमेलेस बोले --'' तुम बिल्कुल सही कह रहे हो
दोस्त....बिल्कुल सही ।'' स्वयं सेवी चुपचाप खाना परोसते रहे..।
मुफ्त में खाना खा कर जेम्ज़ और पीटर ने अपनी फ़ूड स्टैम्प्स यानी कूपन फिर
बचा लिए । अमरीकी सरकार सोचती है कि, ग़रीबी रेखा से नीचे के लोगों को फ़ूड
स्टैम्प्स देकर वह उनका भला कर रही है, इससे वे भूखे नहीं रहेंगे और खाना
ही खाएँगे, अगर पैसा देंगे तो शराब व सिगरेट खरीद लेंगे, पर निकालने वाले
तो यहाँ भी रास्ता निकाल लेते हैं। खाना खाने के बाद वे सोने के लिए शैल्टर
होम की ओर चल पड़े.......।
शैल्टर होम के सामने एक लम्बी लाईन लगी है । उसमें तरह -तरह के लोग खड़े
हैं । कई बहुत दिनों से नहाए हुए नहीं हैं, गन्दे, कुछ नशेड़ी, कुछ सचमुच
में समय के हाथों पिटे हुए, कई जो जीवन में काम नहीं करना चाहते, बस सरकारी
सेवा का जी भर कर आंनद लेना चाहते हैं, पीटर और जेम्ज़ की तरह । अधिकतर ये
लोग उन्मुक्त, बेपरवाह, जीवन की चुनौतियों से परे अपनी दुनिया में डूबे
रहते हैं । उदासी, घुटन और बदबू वातावरण में समाई हुई है। पंक्ति में खड़े
यूजीन ने अपने अगले वाले साथी को धीरे से बताया- '' ब्रदर, हाईवे ४० के पास
हैरिटेज इन मोटल वाले आधी कीमत पर कूपन ले रहे हैं..।'' उन दोनों ने सुन
लिया । एक दूसरे की ओर देखा । दोनों की आँखों में चमक आ गई । बिना बोले वे
एक दूसरे की बात समझ गए । लाईन को छोड़ कर वे भाग गए ।
आज का दिन अच्छा है उनके लिए, हैरिटेज इन मोटल के पास वाले बस स्टाप पर
रुकने वाली बस आकर सूप किचन के सामने रुक ही रही थी। वे जल्दी से उस में
चढ़ गए। कुछ घंटों के बाद होने वाले सुखद अनुभवों की कल्पना से ही उनके
रूखे- सूखे चेहरों पर रौनक आ गई । वे हैरिटेज इन मोटल में गए और अपने कूपन
आधे में बेच दिए । कई मोटल वाले होमलेस लोगों से फ़ूड स्टैम्प्स आधी कीमत
पर ले कर, अपने मोटल के लिए खाद्य सामग्री खरीद लेते हैं । उससे उन्हें
काफ़ी बचत हो जाती है ।
पैसे गिनते हुए जेम्ज़ ने कहा-''भाई, महँगाई बहुत हो गई है, सस्ती से सस्ती
लड़की भी पचास डालर से कम में साथ नहीं चलती, अभी और डालर चाहिए..।''
''नहीं आज हमें इसी से काम चलाना है, अब और इंतज़ार नहीं होता--'' पीटर
बेचैन सा होता हुआ बोला ।
मोटल के बाहर से ही उन्होंने फिर डाउन टाउन रॉले वाली बस अपने पुश्तैनी घर
जाने के लिए पकड़ी । यह घर उनके नाना -नानी का है, जिसमें वे जन्में- पले
हैं और अब वह खस्ता हालत में है, किसी के पास उसे ठीक करवाने के लिए पैसे
नहीं । इस घर में उनकी दो बहनें अपने बच्चों के साथ रहतीं हैं और बाकी के
भाई कभी- कभार इस घर में थोड़ी देर के लिए रुक लेते हैं, पर रहता कोई नहीं,
हाँ, वे दोनों, अक्सर आते हैं, उनका कुछ सामान पड़ा रहता है यहाँ । माँ तो
कई साल पहले इस दुनिया से चली गई ।
टैरी नाम की महिला उनकी माँ थी । उसके लिए माँ शब्द सही नहीं, उसे माँ कहना
उचित भी नहीं , यूँ कह सकते हैं कि वह बच्चे पैदा करने वाली मशीन थी । माँ
क्या होती है, बच्चों को पता नहीं और ममता क्या होती है, टैरी को पता नहीं
। बस उसने तो बच्चों को जन्म दिया, ग़रीबी रेखा से नीचे वालों की सरकारी
सहायता वेल्फेयर लेने के लिए । हर बच्चे के बाद नए बच्चे के पालन -पोषण
हेतु वेल्फेयर से उसे और पैसा मिल जाता था।
उसकी माँ अक्सर गुस्सा होती--''टैरी तुम अब और ख़ाली नहीं बैठोगी, कुछ काम
धंधा करो, नहीं तो मैं घर से निकाल दूँगी । हर साल पेट में बच्चा डाल लेती
हो । तुझे तो यह भी पता नहीं कि किसका बाप कौन है ।''
टैरी माँ के गले में बाँहें डाल कर कहती- '' माँ तुम मुझे घर से नहीं निकाल
सकती, मैं तुम्हारी अकेली संतान हूँ और तुम्हारा वंश बढ़ा रही हूँ । क्या
तुम ग्रैंड चिल्ड्रन नहीं चाहती ।''
''टैरी मुझे नाते-नातियाँ पसन्द हैं। पर तुम कोई काम तो करो । बच्चे हम
पालते हैं और तुम सारा दिन पुरुष मित्रों के साथ सिगरेट फूँकती हो और शराब
में मस्त रहती हो । रात को तुझे क्लबों से फुर्सत नहीं मिलती । तुझे पता भी
है कि बच्चे कैसे पल रहे हैं ? बहुत कामचोर हो गई हो । तुम्हारी हड्डियों
में आराम बस गया है । ऐसे कैसे चलेगा? '' माँ झगड़ा करती ।
''चलेगा माँ..चलेगा देखती रहो । मुझे पता है, बच्चे अच्छे पल रहे हैं, तुम
लोग अच्छे नाना नानी हो। '' वह हँस कर कहती '' वैसे मैं काम क्यों करूँ ?
हमारे बज़ुर्गों ने वर्षों इन लोगों की गुलामी की है, अब सरकार का फ़र्ज़
बनता है कि हमारा ध्यान रखे।''
उसने सरकार से अपना ध्यान रखवा लिया और ग्याहरवें बच्चे तक वह आर्थिक रूप
से सुरक्षित हो गई । उसके माँ -बाप कुछ बच्चों तक तो खूब लड़ते रहे । फिर
उन्होंने भी परिस्थितियों के साथ समझौता कर लिया । आर्थिक सुदृड़ता ने
उन्हें चुप करवा दिया। वेल्फेयर के अनुसार पैसा बच्चे के अठारह वर्ष के
होने तक दिया जाता है और ऐसे में बच्चों को स्कूल भेजना ज़रूरी होता है।
उसने उन्हें स्कूल भेजा, पर वे पढ़ते हैं या नहीं, यह जानना कभी ज़रूरी
नहीं समझा । हाई स्कूल किसी ने पास नहीं किया और अठारह वर्ष के होते ही, वे
बिना कुछ सीखे स्कूल छोड़ गए ।
माँ के स्वभाव, रहन- सहन और आदतों का परिणाम यह निकला कि बेटियाँ माँ के ही
नक़्शे क़दमों पर चलती हुईं, रोज़ पुरुष बदलती हैं और तीन -तीन बच्चों की
अविवाहिता माँएं बन कर सरकारी भत्ता ले रही हैं । दो बेटे नशा बेचने वाले
गिरोह में शामिल हो कर न्यूयार्क चले गए, दो चोरी- डकैती करने के लिए जेल
में हैं, उनका जेल में आना -जाना लगा रहता है । एक बेटा किसी बिल्डर के साथ
काम करता है और वह ही सही ढंग का निकला है । एक बेटे ने मैरुआना के पौधे घर
के पिछवाड़े में उगा लिए थे और उसे स्कूल के बच्चों को बेचने लगा था ।
अमेरिका में मैरुआना ग़ैरकानूनी है, सिर्फ कैलिफोर्निया में सरकार ने
अत्यधिक पीड़ा के रोगियों के लिए, थोड़ी सी खेती करने और कुछ स्टोरों पर
बेचने की इजाज़त दी हुई है । ऍफ़.बी.आई की नॉरकाटिक्स ब्रांच ने कई दिन
उसका पीछा करके, छापा मार कर पकड़ लिया और वह भी जेल में है ।
पीटर और जेम्ज़ सबसे छोटे और जुड़वाँ हैं । दोनों में बहुत दोस्ती है, एक
नंबर के पाज़ी हैं । किसी काम में मन नहीं लगता इनका, फ्री में खाना चाहते
हैं । माँ की तरह वेल्फेयर का भरपूर फायदा उठा रहे हैं । ज़रूरतें पूरी
करने के लिए भीख माँग लेते हैं, पर मेहनत का कोई काम नहीं करना चाहते ।
बड़े भाई जार्ज ने उन्हें बिल्डर के पास नौकरी दिलवाई, पर वे छोड़-छाड़ कर
आ गए कि वहाँ बहुत कठिन काम करना पड़ता है ।
''हमारे शरीर बहुत नाज़ुक हैं, ये भारी-भरकम काम नहीं कर सकते । हम भी इन
शरीरों को वैसे ही रखेंगे जैसे ये रहना चाहते हैं । कोई काम नहीं करेंगे
।'' बड़ी बेशर्मी से हँसते हुए दोनों ने कहा ।
जार्ज को गुस्सा आ गया --'' इस घर में आप लोग काम क्यों नहीं करना चाहते,
काम करने से आप सब कतराते क्यों हैं? क्या तुम लोगों के मन में दूसरों को
देख कर कोई उमंग नहीं उठती । उनकी तरह जीने की चाह नहीं होती । डल-डफ्फ़र
से सारे बैठे रहते हैं, हरामी सब निकम्में हो गए हैं, निठ्ठले खाली बैठ कर
मुफ्त की खाने के आदी हो गए हैं । अबे सालो, मैं तुम दोनों की ज़िन्दगी
बदलना चाहता हूँ और तुम हो कि इस गन्दगी में पड़े रहना चाहते हो...।''
''जहाँ जन्मे- पले वहाँ तुझे गन्दगी लगती है.. छि ..छि .. बड़े ही शर्म की
बात है..। यह घर हमें बहुत प्यारा लगता है । तुम जो भी ज़िन्दगी जीना चाहते
हो, जियो, हमें इस स्वर्ग को छोड़ने को मजबूर क्यों कर रहे हो । हमें दूसरे
लोगों की तरह दो वक्त के भोजन के लिए काम कर- कर के मरना- खपना नहीं है ।
वह तो हमें बिना काम किए ही मिल जाता है ।'' ढिठाई से मुँह बनाता हुआ
जेम्ज़ बोला था ।
''कोकरोचिज़ तो अपने ऊपर से हटा लो, उनके लिए तुम्हारे बदन खेल का मैदान
बने हुए हैं । गधो, थोड़े-बहुत हाथ- पाँव हिला लोगे तो तुम्हारे बदन की
नाज़ुकता को कुछ नहीं होगा ।''
''जार्ज तुम परेशान क्यों होते हो । इस घर में हम सब इकट्ठे रहते हैं । ना
वे हमें कुछ कहते हैं ना हम उन्हें ।''
जार्ज की आवाज़ निराशा से ऊँची हो गई थी --'' ठीक है पड़े रहो इस गटर रुपी
स्वर्ग में, गन्दी नाली के कीड़ो ..बास्टर्ड..मैं आज अभी इसी वक्त से आप सब
को और यह घर छोड़ता हूँ ।'' और..... वह चला गया । फिर कभी लौट कर नहीं आया
। उसे किसी ने याद भी नहीं किया ।
उस दिन के बाद पीटर और जेम्ज़ ने कभी- कभार भीख ज़रूर माँगी, जिसे वे धंधा
कहते हैं, पर बाकायदा कोई काम नहीं किया । वे वेल्फेयर लेने लगे, अलग -अलग
शेल्टर में सोते हैं, घर में दो बहनें और छह बच्चे हैं। उनके साथ सोने में
उन्हें असुविधा होती है पर इस स्वर्ग का चक्कर ज़रूर लगा लेते हैं ।
आज भी वे घर आए हैं...
घर में घुसते ही उन्होंने भाग -भाग कर काम किया । अलमारी में से आयरिश
स्प्रिंग साबुन की टिक्की निकाली, जो उन्होंने ख़ास मौकों के लिए सँभाल कर
रखी हुई है, उसे मल -मल कर उन्होंने अपने शरीर की गन्दगी साफ़ की। राईट
गार्ड डीओडोरेंट पूरे बदन पर स्प्रे किया । खूब रगड़ - रगड़ कर दाँत साफ
किये । फिर माउथ फ्रेशनर से कुल्ला किया । बहुत दिनों बाद शेव बनाई । साफ
-सुथरे अधोवस्त्र पहने । प्रैस किये हुए कपड़े निकाले, जो उन्होंने विशेष
रातों के लिए रखे हुए हैं । उन्हें पहन कर उन्होंने अपने आप को शीशे में
देखा, मूस लगा कर अपने घुँघराले बाल सैट किये । अंत में फिर ब्लैक सुऐड
कलोन की शीशी निकाल कर उन्होंने अपनी बगलों, जांघों और कानों के पीछे उसे
लगाया । सज- धज कर तैयार हो कर उन्होंने अपनी सारी चीजें वापिस अलमारी में
रख कर ताला लगाया । केमार्ट स्टोर से क्रिसमस के दिनों में सेल पर उन्होंने
ये सारी चीज़ें खरीदी थीं । जिन्हें वे बड़े प्यार से सँभाल कर, सहेज कर
ताले में रखते हैं । पर यह ताला कई बार टूटा भी है, उनकी बहनों के बच्चे
ताला तोड़ कर इन प्रसाधनों का प्रयोग कर चुके हैं, गाली- गलौच, लड़ाई
-झगड़े के बाद नया ताला लगा दिया जाता है । चाबी लेकर वे जल्दी -जल्दी से
बाहर निकले..।
बाहर निकलते ही ये दोनों, सड़क पर आ गए और क्लब की तरफ चल पड़े । दोनों ने
पैसे आधे -आधे बाँट कर, अपनी जेबों में रख लिए । रॉले के डाउन टाउन के जिस
इलाके में इनका घर है, वह इस एरिया की क्लब से ज़्यादा दूर नहीं है । बहुत
ही पुराना इलाका है और मकान भी टूटे- फूटे हैं । कई घर थोड़े ठीक कर लिए गए
हैं और कई घरों की खिड़कियों के शीशे टूट चुके हैं और उन पर लकड़ी का फट्टा
लगा कर ढका गया है और कई घर जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हैं ।
अमेरिका के हर शहर का डाउन टाउन ऐतिहासिक, राजनीतिक और भौगोलिक महत्त्व
रखता है। यानी पुराना एरिया जहाँ से शहर शुरू हुआ। अब ये डाउन टाउन
व्यापारिक केंद्र बन बड़ी -बड़ी अटालिकाओं से घिरे हुए हैं पर कई शहरों में
उनके डाउन टाउन के पास कुछ हिस्सों में अश्वेतों का बाहुल्या है, जो पीढ़ी
दर पीढ़ी वहाँ रह रहे हैं।
क्लब के निकट जाते ही वातावरण में शराब और धुएँ का भभका उठता महसूस हुआ। कई
तरह के तेज़ परफ्यूम, क्लोन की सुगंध और तरह -तरह की शराब -सिगरेट के धुएँ
की दुर्गन्ध मिश्रित रूप से एक घुटी -घुटी सी गंध को चारों तरफ फैलाए हुए
हैं । दोनों को यह गंध बहुत अच्छी लगी । लम्बी -लम्बी साँसें ले कर,
उन्होंने अपने नथुनों से फेफड़ों में उसे भरा और ख़ुश हो कर उछल कर बोले -
-''आज हमारी रात है। आज हम जी भर कर मज़े लूटेंगे..।'' और क्लब की ओर बढ़
गए ।
बिना पिए ही वे झूमते हुए ''पैराडाईज़'' क्लब के दरवाज़े के पास चले गए,
सिक्योर्टी वाले ने दरवाज़ा खोला और उन्हें अन्दर जाने दिया । क्लबों में
यह सबसे सस्ती और घटिया है तथा बार, रेस्तरां और क्लब तीनों का काम करती है
। कम आमदनी वाले लोग ही यहाँ आते हैं । अच्छी क्लबों में तो प्रवेश शुल्क
होता है ।
दरवाज़ा खोलते ही मद्धम रौशनी और डी. जे के संगीत की ऊँची आवाज़ में,
दुर्गन्ध, सुगंध की मिश्रित गंध बड़ी तेज़ी से उनके फेफड़ों में घुसी । वे
सम्मोहित से हुए बार की ओर चल पड़े । सिगरेट के धुएँ, स्मोक मशीन के बादलों
और लेज़र लाइट को पार करते हुए, वे बीयर का जग ले कर क्लब में एक कोना
ढूँढने लगे । कोने में बैठते ही उन्होंने चारों ओर देखा --क्लब के बीचों
-बीच कई जोड़े, कुछ साथ -साथ सटे, कुछ दूर -दूर , कुछ एक दूसरे को चिपके और
कुछ लिपटे नाच रहे हैं । उनको देखते हुए वे जल्दी -जल्दी में बीयर के दो
ग्लास गटक गए ।
शरीर में गर्मी आनी शुरू हो गई । उन्होंने देखा थोड़ी दूरी पर ही दो
लड़कियाँ वाईन के ग्लास पकड़े इधर- उधर देख रही हैं । उनकी नज़रें हरेक के
चेहरे पर घूम रही हैं । पीटर और जेम्ज़ ने उन नज़रों को पहचान लिया । बैरे
को बुला कर पैसे देकर उनके खाली हो रहे ग्लासों को भरने को कहा, इससे
उन्हें पता चल जाएगा कि उन लड़कियों की मंशा क्या है और अपने लिए भी बीयर
का एक और जग मंगवाया । वातावरण कान फोड़ू संगीत, ऊँची आवाज़ों, थिरकते
कदमों, लड़खड़ाती ज़ुबानों से गूँज रहा है--किसी को किसी की बात सुनाई नहीं
दे रही । सब ज़ोर -ज़ोर से बोल रहे हैं । एक तरह से चिल्ला रहे हैं । एक
कोने में एक महिला -पुरुष बेतहाशा हँस रहे हैं और बार -बार एक दूसरे से
लिपट रहे हैं, चुम्बन ले रहे हैं । डांस फ्लोर पर कुछ जोड़े एक दूसरे से
इतने सटे हुए हैं जैसे वे एक दूसरे में खो जाना चाहते हैं । सोका म्यूजिक
समाप्त हुआ, और अब हिप -होप शुरू हो गया, कुछ जोड़े बैठ गए, कई नए आए ।
क़दमों , कूल्हों और कमर का रिद् म शुरू हुआ ।
रात घिरने लगी और भीड़ बढ़ने लगी है । लेसर लाईट्स के बदलते रंगों में डांस
फ्लोर भर गया । लड़कियों ने बैरे से पूछा कि उनके ग्लास किस ने भरवाए
हैं... बैरे ने उन दोनों की ओर इशारा कर दिया। लड़कियों ने ग्लास ऊँचे करके
धन्यवाद किया । ज़ेम्स और पीटर की बांछें खिल गईं ।
गीत बदला, संगीत बदला, सालसा डांस शुरू हो गया । लड़कियाँ उठ कर जेम्ज़ और
पीटर की तरफ आ गईं और अपना परिचय दिया --लौरा और सहरा, जेम्ज़ और पीटर ने
अपना नाम बता कर हाथ बढ़ा दिए। उन्होंने डांस फ्लोर की ओर इशारा किया ।
चारों के पैर उस पर थिरकने लगे। जेम्ज़ और पीटर ने अब गौर से उन दोनों को
देखा । वे सुगठित बदन वालीं, बहुत चुस्त-दरुस्त, जीवन से भरपूर लगीं उन्हें
। ऐसी लड़कियाँ उनके समुदाय में बहुत सुन्दर मानी जाती हैं । आज की रात
इतनी सुन्दर लड़कियों का सान्निध्य प्राप्त होगा उन्हें, अपने भाग्य पर
इठलाने लगे वे ।
वातावरण में फैली मादकता, दो जग बीयर के बाद, विस्की पीने से दोनों पर नशा
हावी हो गया । नसें कसने लगीं । स्नायुओं में तनाव बढ़ गया । शराब देख कर
इनसे रहा नहीं जाता और हमेशा की तरह अधिक ही पी लेते हैं । पीटर लौरा पर
थोड़ा झुक गया, लौरा ने भी झुकने दिया और उसने अपना एक बाज़ू पीटर की बगल
में डाल दिया, पीटर उसके और क़रीब हो गया । सहरा ने ख़ुद ही जेम्ज़ के गले
में अपनी बाँहें डाल दीं । जेम्स ने भी उसकी कमर को हाथों से कस लिया । कुछ
देर वे इसी तरह नाचते रहे । एक दूसरे के साथ और फिर कभी एक दूसरे से परे हो
कर । पीटर के अंग बेचैन हो गए, उससे अब इंतज़ार नहीं हो रहा ।
उसने लौरा से पूछ ही लिया --'' यहाँ से जाने के बाद क्या करेंगी आप ? ''
''कुछ नहीं, हम फ्री हैं, आप भी चल सकते हैं हमारे साथ, हल्का -फुल्का कुछ
खाएँगे और फिर आप जो चाहेंगे वही करेंगे । सहरा मेरी रूम मेट है । '' पीटर
ने ख़ुश हो कर उसे अपनी बाँहों में भर लिया, लौरा भी उसकी बाँहों में लहरा
लगी। सहरा ज़ेम्स के साथ लिपट -लिपट कर नाचने लगी । पीटर ने झूमते हुए
कहा-- ''चलो अब चलते हैं? ''
''हमें वाशरूम जाना है । आप इंतज़ार करें हम अभी आती हैं। '' कह कर वे चली
गईं..
दोनों इंतज़ार करने लगे और उन्होंने एक -एक ग्लास वाईन का और मंगवा लिया ।
इस बार बैरा ऑडर से पहले उनसे पैसे लेना भूल गया । दूसरे जोड़ों को मदमस्ती
में देख कर उन दोनों को कुछ होने लगा । एक ही घूँट में ग्लास खाली कर दिए
उन्होंने । लौरा, सहरा अभी वाशरूम से लौटी नहीं । थोड़ा सा पीने के बाद
पीटर का अपने पर काबू नहीं रहता और आज तो उसने बहुत पी ली है। उसने अपनी
कमीज़ उतारी और मेज़ पर चढ़ कर स्ट्रिपर डांस करने लगा, संगीत की धुन पर,
बेहूदा हरकतें शुरू हो गईं, जांघों पर हाथ फेरने लगा और गुप्तांगों पर हाथ
रख कर, कमर मटका -मटका कर नाचने लगा। फिर कभी अपनी छातियों को छूने लगा,
ज़ेम्स ने भी उसी का अनुसरण किया और उनके आस -पास के लोग तालियाँ बजा- बजा
कर उन दोनों का मज़ा लेने लगे।
उन पर नशा इतना हावी हो गया कि, वे गिरने लगे और लौरा, सहरा को आवाज़ें
देने लगे-- वाश रूम की ओर देखने लगे--वाश रूम मुख्य दरवाज़े के पास है ।
उनकी आवाज़ें तेज़, लाउड संगीत और लोगों के शोर गुल में खो गईं । मुख्य
दरवाज़े से दो लड़कियाँ भीतर आईं, उन्हें वे दोनों लौरा और सहरा लगीं । वे
उन्हें लिपटने को उनकी ओर बढ़े। वे चीख पड़ीं। उन लड़कियों के पुरुष मित्र
आगे आए, उन्होंने पीटर और जेम्ज़ को एक -एक घूँसा ही लगाया था कि वे चित्त
हो कर फर्श पर लुड़क गए । बैरे ने आकर उनकी जेबें देखीं , वह अपनी पेमेंट
लेना चाहता है, जो वह पहले लेना भूल गया था । जेबें ख़ाली हैं । लौरा और
सहरा नाचते -नाचते उनकी जेबें ख़ाली कर गईं और वाशरूम के बहाने वहाँ से
निकल गईं । सिक्योर्टी गार्ड्स को बुलाया गया ।
सिक्योर्टी गार्ड्स लुड़के हुए पीटर और जेम्ज़ को घसीटते हुए क्लब से बाहर
ले आए और एक कोने में उन्हें ला कर लिटा गए । थोड़ी देर बाद आकर उनकी
शर्टें उन पर फैंक गए । वहाँ और भी कई पियक्कड़ गिरे पड़े थे। अच्छी कल्बों
के बाहर तो पुलिस होती है और ऐसे लोगों को उठा कर ले जाती है, पर इस क्लब
के तो आस- पास भी पुलिस नहीं होती, वह जानती है कि इन लोगों का रोज़ का काम
है, हत्या या बलात्कार के समय ही पुलिस वाले पहुँचते हैं । रात के तीन बजे
सिक्योर्टी गार्ड कई और शराब में धुत, तुन और टल्ली हुए पियक्कड़ों को
उन्हीं के साथ सटा कर लिटा गए। सारी रात वे दोनों क्लब के बाहर कोने में
सोए पड़े रहे।
सुबह सूरज पूरे जोश के साथ धरा पर अपनी रौशनी ले कर आया । पीटर की आँखों पर
सूर्य चमका । उसने आँखों पर हाथ रख लिया और जब जेम्ज़ की आँखों पर उसने
अपनी किरणें फैंकी तो वह कुलबुलाया---साला यह सूरज क्यों निकलता है…. इसको
और कोई काम नहीं बास्टर्ड । तंग करने चला आता है । कच्ची नींद से उठा दिया
। इतनी प्यारी नींद आ रही थी । ''
'' अबे उठ माँ के.... नींद के प्रेमी.. गद्दों पर पड़े हैं ना, जो नींद टूट
गई...चलो उठो..।'' सिक्योर्टी गार्ड ने ठोकर से उठाया । '' सफाई वाले आ रहे
हैं, यहाँ की सफाई करनी है । चलो उठो अपने- अपने घरों को जाओ ।'' वह रूखा
सा बोला । उसे रोज़ ऐसे लोगों को सँभालना पड़ता है ।
घर के नाम पर वे दोनों बौखला कर उठ बैठे --वे कहाँ हैं ? चारों ओर वे देखने
लगे । अरे क्लब के बाहर, कमीज़ें पास पड़ी हुई हैं । उन्होंने सिर पकड़
लिया । सिर में दर्द की तीखी लहर दौड़ गई..।
सफ़ाई वाले आ गए, वे ख़ाली बोतलें, बीयर के कैन और सिगरटों के टुकड़े उठाने
लगे । उन दोनों ने भी कमीज़ें पहनीं और ज्यों ही उठने लगे तो उन्होंने
महसूस किया कि उनके अधोवस्त्र चिपचिपे और गीले हैं । वे धीरे -धीरे उठे,
खड़े होना मुश्किल हो रहा था । बड़ी कठिनाई से खड़े हो कर उन्होंने अपनी
जेब में हाथ डाला तो जेबें ख़ाली मिली..।
वे चिल्ला पड़े- '' इन को नरक में मार पड़े, कुतियाँ पैसे ले गईं और हमें
ख़ुद के लिए छोड़ गईं । कल कितनी चाह थी । मेहनत की कमाई भी गई और सुख भी
नहीं मिला । अरे लूट लिया गरीबों को..थू... कुतियाँ..।''
सफाई मज़दूर इनकी ओर देखने लगे, जेम्ज़ उनको मुख़ातिब हो कर बोला ---''
भाई, अमरीका के लोगों को मंदी ने निचोड़ दिया है, जो बेघर लोगों को भी
लूटने लगे हैं, सरकार को कुछ करना चाहिए। ''
उनके पास एक डालर भी नहीं बचा । जेबें खालीं हैं । फ़ूड स्टैम्प्स पहले ही
बेच चुके हैं । कल का नशा आज भी उन पर हावी है, वे लड़खड़ाते क़दमों से घर
की ओर चल पड़े गत्ते का टुकड़ा उठाने, धंधे पर जो जुटना है...।
- सुधा ओम ढींगरा
संपर्क -101 Guymon Ct.,Morrisville, NC-27560, USA.
ईमेल-sudhaom9@gmail.com
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