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दादी

ड़की अठारह बरस की हुई थी पिछले महीने ! लड़की अपनी दादी को बेहद प्यार करती थी और अपने स्कूल की सारी बातें उनको आकर बताया करती थी ! लड़की की दादी बहुत प्यारी दादी थीं ! सांवले चेहरे पर अनगिन झुर्रियों के बीच जब दादी आँखें मींच खिलखिलातीं तो लगता मानो देर रात बादलों से ढके समंदर की लहरों में एकाएक चांदनी खिल आई हो ! हमेशा हंसती खिलखिलाती दादी लड़की की सारी सहेलियों की भी दोस्त थीं ! लड़की को पिछले पांच महीनों से कोई अच्छा लगने लगा था ! एक दिन दादी ने बेवजह लड़की को मुस्कुराते देखा और दादी भी मुस्कुरा उठी थीं ! वे जान गयीं थीं कि उनकी पोती अपने जीवन के सबसे सुन्दर दौर की स्मृतियाँ बुन रही है !

दादा जी को गुज़रे कई साल हो गए थे ! दादा दादी ने साथ में बहुत अच्छा जीवन जिया था इसलिए दादाजी का ज़िक्र आते ही दादी की आँखों में एक चमक आ जाया करती थी और होंठों पे अनगिनत क़िस्से ! दादाजी को याद करके उन्हें रोते या उदास होते लड़की ने कभी नहीं देखा था ! लड़की हमेशा सोचती कि पुराने लोग बिना प्रेम किये सीधे शादी करते थे और एक रूटीन सा जीवन जीते थे इसलिए शायद ये रोमांटिक नहीं होते होंगे और उनके प्रेम में वो तड़प और तीव्रता नहीं होती होगी !

और फिर ... दादी का जन्मदिन था उस दिन ! दादी अपने जन्मदिन के दिन खूब खुश रहती थीं ! घर भर उनके खुश रहने से उत्साहित बना रहता ! सब लोग दादी को गिफ्ट्स देते, केक काटते और अच्छा खाना खाते ! उस दिन दादी जल्दी अपने कमरे में सोने चली जातीं ! सब यही सोचते कि शायद दिनभर की सबसे मिलते जुलते रहने और शोर शराबे के कारण दादी थक जाती होंगी,इसलिए आराम करना चाहती होंगी ! लेकिन उस दिन लड़की दादी से ढेर सारी बातें करना चाहती थी ! वो दादी को लड़के के बारे में बताना चाहती थी ! लड़की ने दादी के साथ सोने की जिद की ! दादी ने कुछ देर सोचा ,फिर उसे अपने साथ सोने की इजाज़त दे दी !

वो रात लड़की कभी नहीं भूल पायी ! उस चांदनी रात के चन्द घंटों ने लड़की को न जाने क्या क्या दे दिया जो लड़की जीवन भर के लिए उसकी स्मृति के सबसे चमकीले पन्ने बन गए ! उस रात लड़की दादी के मन के सबसे भीतरी कोने में झाँक आई थी ! दादी और वो जल्दी ही कमरे में चले गए थे सोने ! दादी ने कमरे में जाकर अंदर से लॉक कर लिया था और लजाते हुए बताया था कि उनके हर जन्मदिन पर दादाजी उन्हें अपने हाथों से सजाते थे ! हर जन्मदिन पर दादी के लिए अपनी पसंद की साड़ी लेकर आते थे और अपने हाथों से बड़े प्यार से पहनाते थे ! बताते बताते दादी की झुर्रीदार आँखों में पानी तैर आया था ! लड़की हैरत से दादी को देख रही थी ! दादी ने फिर संदूक में से एक खूबसूरत पर्पल कलर की साड़ी निकाली !

" यह साड़ी तेरे दादाजी का आखिरी तोहफा है !" दादी ने साड़ी को बड़ी मुहब्बत से सहलाते हुए सीने से लगा लिया !

और अब दादी एक बार फिर दादाजी के लिए तैयार हो रही थीं !पोती अपनी दादी को उनके प्रेमी की फेवरिट साड़ी पहना रही थी ! उस पर्पल कलर की सितारों जड़ी साड़ी में दादी बहुत खूबसूरत लग रही थीं ,ठीक किसी अल्हड किशोरी की तरह ! उनकी आँखों में उत्साह, प्रेम और स्मृतियों का पानी एक साथ छलक रहा था ! लड़की ने दादी का ये रूप पहली बार देखा था ! दादी की आँखें कहीं गहरे डूबी हुई थीं ! वे एक ज़माना पार कर पीछे लौट रही थीं ! वो हर साल अकेले अतीत का ये सफ़र तय करती थीं !अपने सबसे निजी लम्हों में प्रवेश की इजाज़त उन्होंने कभी किसी को नहीं दी थी ! हर साल अपना जन्मदिन दादाजी के साथ मनाती थीं ! इस बार उनकी पोती इस सफ़र की साक्षी बनी थी ! लड़की ने दादी का हल्का सा मेकअप किया और एक लाल बिंदी माथे पर लगाई ! दादी ने अपना रूप आईने में देखा और किसी नयी दुल्हन सी लजा गयीं ! फिर दादी ने अपनी टेबल की दराज में से एक पुराना कैसेट निकला और लड़की से उसे टेप रिकॉर्डर में लगाने को कहा ! अगले ही पल एक सुरीली मर्दाना आवाज़ में गाना बज उठा

" ओ हंसिनी... कहाँ उड़ चली "

ये किस सिंगर का गया हुआ है दादी ? बहुत अलग आवाज़ है ! लड़की ने दादी से पूछा !

"ये तेरे दादाजी ने गाया था ! मेरे लिए हमेशा वो यही गाना गाया करते थे !" कहते कहते दादी की आँखें तरल हो गयीं ! लड़की भी दादा जी की आवाज़ सुनकर भावुक हो गयी और दादी को गले लगा लिया !

गाना बज रहा था ! दादी की आँखें बंद थीं ! वो एकदम खामोश बैठी थीं ! उनके चेहरे पर एक दिपदिपाती आभा थी ! वही आभा जिसे लड़की हाल ही में पहचानने लगी थी ! गहरे प्रेम की झिलमिल आभा !

"आजा मेरी साँसों में महक रहा रे तेरा गजरा .."

गीत सुनते हुए दादी के होंठ रह रहकर लरज उठते थे ! जैसे वो दादा जी की बाहों में हैं और साथ गुनगुना रही हैं ! सचमुच ही वो दादा जी के साथ थीं ! ! हर किसी के जीवन में एक सबसे ख़ास गीत होता है जो उसके सबसे खूबसूरत दिनों की स्मृति बन जाता है ! वह गीत दादा दादी ने सिर्फ गाया और सुना नहीं था बल्कि जिया था ! और दादी अब उसे फिर से जी रहीं थीं ! अकेले नहीं , दादा जी के साथ ! प्रेमी का सशरीर सामने होना कतई ज़रूरी नहीं ,उसके साथ होने के लिए ! दादी पूरी तरह दादा जी के साथ थीं ! उनकी प्रेमिल आवाज़ का हाथ थामे !

पोती इन जादुई लम्हों की गवाह बनी चुपचाप बैठी दादी को निहार रही थी ! आँखें उसकी भी भरी हुई थीं इस अद्भुत प्रेम कहानी को देखकर ! गाना ख़त्म होते ही दादी ने आँखें खोलीं ! पनीली आँखों के साथ मुस्कुराते होंठ ! दादी इस वक्त दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत लग रही थीं !

दादी पोती को अपने प्रेम के बारे में बता रही थीं ! लड़की यह जानकर हैरान थी कि दादी और दादा ने प्रेमविवाह किया था और दादा हर ख़ास मौके पर दादी के लिए एक नज़्म लिखते रहे थे और दादी के जीवन का एक भी दिन ऐसा नहीं था जिस दिन वो दादा जी को चूमे बगैर सोयी हों ! दादी ने एक और छोटा सा संदूक खोला जिसमे से कागजों के ढेर निकालकर दादी ने फर्श पर फैला दिए थे ! नज्में ही नज्में बिखरीं थीं और उनसे मुहब्बत ही मुहब्बत छलककर बह रही थी !

फिर दादी ने लड़की की ठोड़ी उठाकर पूछा था " तेरे वाले का क्या नाम है ? "

" क्या दादी ..तुम भी " लड़की लजाकर दादी के गले लग गयी थी !

उस रोज़ सारी रात प्रेम में डूबी दो लड़कियां जागती रही थीं और अपने अपने प्रेमियों की बातें एक दूसरे को बताती रहीं थीं ! सुबह दोनों एक दूसरे की सबसे पक्की सहेली और राजदार बन गयी थीं !

- पल्लवी त्रिवेदी

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