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टिटहरी
अब भी गर्म था कमरा गरर्मागरम बहस, तकरार और रोष से। मेरे कान दहक रहे थे उन जली-कटी बातों से जो अनिरूध्द अभी-अभी सुना कर उधर मुँह करके पडा था। जबान तुर्श थी अब भी, उन गालियों से जो मैंने जी भर कर अनिरूध्द को दी थीं। '' बस्स ! बहुत हो गया अब यहाँ नहीं रहना । '' आखिरी तुरूप बची थी वह भी
फेंक आनन-फानन में बैग जमाने लगी।
अनिरूध्द रजाई
ओढे अचल पडा था,
उस पर इस धमकी का कोई असर न होता जान खीज हो रही थी।
मन कर रहा था सच
ही चली जाँऊ
, वैसे भी किसे रह
गई है मेरी जरूरत! क्या हुआ जो कर लिया डांस उस बैचलर के साथ।
सभी तो करते हैं।
अगर कोई डांस के
लिये इनवाईट करे तो कोई कैसे मना कर दे?
भूल गया शादी के एकदम बाद वह एबरप्टली ना कर देती थी
तो वह खुद घर जाकर
डांटा
करता था कि ऐसा क्यों
करती हो लोग क्या सोचेंगे कि मैं ही मीन
हूँ। और
अब शादी के दस साल बाद पजेसिव हो रहे हैं।
हाईट ऑफ
हिप्पोक्रेसी। हर
बार किसी ट्रेनिंग,
टूर पर एकाध महिला मित्र बना बैठते हैं और आकर कहेंगे,
बस जरा सी जान पहचान थी।
'' तुम तो बार से चिपके रहते हो, तुम्हें ना सही मुझे तो शौक है डान्स का। इतनी जलन हो रही थी तो आ जाते डान्स फ्लोर पर। '' हाय! कहाँ कमी है, इतना अच्छा अण्डरस्टैण्डिंग पति किसका होगा। बराबर से घर-बाहर सँभालते हैं। बीमार होने पर किचन में घुसने तक नहीं देते। ''
अनिरूध्द। अनिरूध्द सो गए
क्या ? ''
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