*हिंदी नेस्ट* के बैनर तले तीन दिवसीय *कथा कहन कार्यशाला* आज संपन्न हुई। हिंदीनेस्ट की संस्थापक बिहारी पुरस्कार से सम्मानित कथाकार मनीषा कुलश्रेष्ठ ने बताया कि इन तीन दिनों में कथा कहन के विविध माध्यमों पर तेरह सत्र हुए।
नौ अप्रेल को इस कार्यशाला का कहानी का मंचन विषय पर देवेंद्र राज अंकुर ने तीन कहानियों का मंचन किया और कहानी के मंचन पर महत्वपूर्ण चर्चा की।
डॉ विनय कुमार ने रचनात्मकता के रहस्य और आग का दरिया है पर पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन दिया। उपन्यास विधा और उसके तत्वों पर जितेंद्र भाटिया और मनीषा कुलश्रेष्ठ ने लंबी चर्चा की।
*हिंदी नेस्ट कथा कहन कार्यशाला* के अंतिम दिन भी सार्थक संवादों और सारगर्भित चर्चाओं से प्रतिभागियों को लाभान्वित कर गया । उल्लेखनीय है कि नव लेखकों को प्रोत्साहित करने के लिए इस महत्वपूर्ण कार्यशाला की परिकल्पना की नींव नामचीन कथाकार मनीषा कुलश्रेष्ठ द्वारा रखी गयी। साहित्यिक समाज के लिए नई पीढ़ी को आगे बढ़ाने के लिए इस कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसे पहले रचनात्मक हिंदी वेब पोर्टल हिंदी नेस्ट के अथक प्रयास से सँवारा गया।
सुबह की शुरुआत में प्रतिभागियों को सुना गया। पिछले दिन में दिए गए टास्क पर मानीखेज चर्चा हुई।
उसके बाद मनीषा कुलश्रेष्ठ व कुश वैष्णव द्वारा एक महत्वपूर्ण सत्र बोलती कहानियां में रोचक स्मरणीय स्वरूप में प्रतिभागियों को ऑडियो कहानी की रूपरेखा बताई।
मनीषा कुलश्रेष्ठ ने इस बात पर जोर दिया कि लेखक को अपने लेखन से सम्मानजनक रूप से कमाने का पूरा अधिकार है।
अन्य महत्वपूर्ण सत्र में रंगमंच में लेखन के तत्व और ग्लोबल कहानी पर संवाद हुआ।
फिर लोक का आलोक सत्र में कथाकार लक्ष्मी शर्मा अरविंद आशिया ने सार्थक संवाद, राजस्थानी भाषा पर और महान साहित्यकार विजयदान देथा बिज्जी की कहानी दुविधा पर सुंदर संवाद हुआ।
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