स्त्री रोग विभाग प्रमुख के कमरे में बैठी हाउस-सर्जन के टेबल पर आउटडोर टिकट रखते हुए एक महिला सामने की कुर्सी पर बैठी और बिना किसी भूमिका के बोली, ऍबोर्शन करवाना है।
हाउस-सर्जन को महिला का रुख अजीब लगा। आँख उठा कर देखा-जीन्स और टॉप पहने, बॉबकट बाल, गोल गोरा चेहरा, देखने में सम्भ्रान्त महिला ने अँग्रेजी में दोहराया,  “आई हेव कम फोर एम. टी. पी.।  मैं गर्भ समापन करवाने आयी हूं ।”
हाउस-सर्जन ने फाईल खोली। देख कर बोली- ”आप शादीशुदा हैं ?”
”क्यों ? क्या गर्भपात करवाने के लिए यह जरूरी है ?”
”आपने पति या पिता का नाम भी नहीं लिखा है।”
”गर्भपात मुझे करवाना है, पति या पिता को नहीं।”
”अपनी मेनस्ट्रअल हिस्टरी बतायेंगी ?”
”पूछिये, क्या पूछना हैं ? ”
”मासिक नियमित होते हैं ?”
”हाँ”
”कितने दिन से?”
”अट्ठाईस”
”कितने दिन रहते हैं?”
”तीन”
”आख़री मासिक कब हुआ था?”
”बीस सप्ताह पहले”
”गर्भपात क्यों करवाना चाहती हैं?”
”अजीब सवाल है, मेरी इच्छा। मैं नहीं चाहती गर्भ।”
”नहीं चाहती तो गर्भधारण ही क्यों किया था?”
”कौनसा चाहकर धारण किया था। यह तो हो गया।” और फिर कुछ रुक कर जोड़ा,
” प्लीज, आप मुझे चीफ़ सर्जन से मिलवा दीजिए, मैं उन्ही के लिए आयी हूं।”
हाउस-सर्जन ने जवाब देने को मुँह खोला फिर कुछ सोच कर चुप हो गई। फ़ाइल उठाई और प्रमुख सर्जन के पास चली गई। सर्जन को महिला के बारे में बताया और आकर महिला से कहा, “जाइए।”
महिला ने प्रमुख सर्जन को बताया कि वह सोफ्टवेयर एन्जीनियर है और यहाँ कि एक कम्प्यूटर फर्म में एक्जीक्युटिव है। परम्परागत शादी नहीं की है लेकिन अपने मन पसन्द व्यक्ति के साथ रह रही है। बच्चा नहीं चाहती, गर्भ गिरवाना है।
”गर्भ नहीं चाहती तो आपको निरोध उपाय अपनाने चाहिए थे। आप तो सुशिक्षित हैं। ”अपनाये थे। लेकिन आपतो जानती हैं, हो जाता है।”
प्रमुख सर्जन फ़ाइल में देख कर बोली, ”अगर ऐसा था तो आपको पहले आना चाहिए था। बीस सप्ताह तक क्या करती रही?”
”काम में समय ही नहीं मिला। हम लोगों का काम ही ऐसा है। अभी भी दिक्कत ही है। मैं चाहती हूँ कि अगले शनिवार या इतवार को आप एम.टी.पी. कर दें ताकि मैं सोमवार से वापस काम पर जा सकूँ। मैं देरी अफोर्ड नहीं करसकती।” फिर कुछ सोच कर कहा, ”गर्भपात समापन कानून में बीस सप्ताह तक तो परमिटेड है, फिर क्या दिक्कत है ?”
प्रमुख सर्जन एकटक महिला को देखती रहीं फिर कहा, ”हमारे कानून विषेषज्ञ डॉ. पाल हैं। मैं उन्हे फ़ोन कर देती हूँ। आप उनसे मिल आइये।”
”इसकी क्या जरूरत है। मैं वयस्क हूँ। अपने बारे में निर्णय मैं खुद ले सकती हूँ। गर्भपात मेरा अधिकार है। मैंने कानून पढ़ा है-जानती हूँ। यह मेरा पहला ऍबोर्शन नहीं है।”
सर्जन इस आधुनिक महिला को कुछ कहना चाहती थी पर रुक गई। कहा, ”आप डॉ. पाल से मिल आइये। कानूनी राय वही देंगे।”
फिर फोन पर नम्बर लगाया, ”डॉ. पाल। हाँ पहचान लिया। नहीं, नहीं। अच्छा सुनिये, मैं मिस प्रिया को आपके पास भेज रही हूँ। अनमेरीड लिविंग टुगेदर ऍबोर्शन करवाना चाहती हैं। बीस सप्ताह की प्रेग्नेन्सी है। हाँ। उनसे बात कर लीजिये। हाँ। वे कहती हैं वे कानून जानती हैं। उन्हें समझा दीजिये।” और फिर हाउससर्जन को बुलाकर पेशेन्ट फ़ाईल देते हुए कहा, ”इन्हे वार्ड बॉय के साथ, डॉ. पाल के पास भेज दो।”
”महिला कुछ बोलने को हुई तो सर्जन ने बीच में ही रोक दिया, ”आप पहले डॉ. पाल से मिलकर आइये।” डॉ. पाल ने मिस प्रिया को बैठने को कहा। फ़ाईल खोली। उसे ध्यान से पढ़ा फिर महिला की ओर मुखातिब होकर बोले, ”आपके रिकार्ड के अनुसार आप शादीशुदा नहीं हैं, २० सप्ताह गर्भवती हैं और कोंट्रासेप्टिव फेलियोर से ठहरे गर्भ से निजात पाना चाहती हैं।”
”यस। मैं एम. टी. पी. करवाना चाहती हूँ।”
“लेकिन निरोध असफलता से ठहरे गर्भ का समापन तो केवल विवाहित महिलाओं में ही किया जा सकता है और इस रिकार्ड में तो आप अविवाहित हैं।”
”यह कैसे हो सकता है? कानून तो सबके लिए बराबर है। गर्भ रखना या ना रखना हर स्त्री काअपना अधिकार है। मौलिक अधिकार है।”
“गर्भ गिराने या नष्ट करने का अधिकार असीमित नहीं है। इसकी कुछ मान्य सीमायें हैं। गर्भसमापन कानून में निरोध असफलता से ठहरे गर्भ को नष्ट करने की सुविधा केवल विवाहिता को ही उपलब्ध हैं।”
”आप गलत कह रहे हैं। कानून में ऐसा नहीं है। हजारों अविवाहित लड़कियाँ गर्भपात करवाती हैं। मैंने भी करवाया है।”
डॉ. पाल ने उत्तर देने के बजाय कानून की किताब निकाली और गर्भ-समापन कानून में सन्दर्भित प्रावधान की ओर इंगित करते हुए किताब महिला की ओर बढ़ा दी। कमरे में चुप्पी छा गई। महिला ने पढ़ा। दुबारा पढ़ा। पेज पलट कर कानून के बारे में देखा। फिर किताब का मुख्य पृष्ठ आदि देखे। फिर किताब लौटाते हुए बोली, ”आप ठीक कह रहे हैं। लेकिन यह गलत है। यह स्त्रियों का शोषण है। उन्हें ब्लेकमेल करने का तरीका है। ”मैंने कानूनी प्रवाधान आपको बता दिये। एम. टी. पी. कानून के दायरे में आपको गर्भ समापन करवाना है तो उसके लिए क्या करना है यह निर्णय आपको करना है।”
”क्या करना है ?”
”मैंने आपको प्रावधान बता तो दिया कि निरोध असफलता के लिए गर्भ समापन की सुविधा अविवाहित महिलाओं के लिए नहीं है और आपके इस रिकॉर्ड में आप अविवाहित हैं।”
”आपका क्या मतलब है? मैं अपने आप को विवाहित बताऊँ? इसमें पति के नाम की जगह किसी का भी नाम लिख दूँ?”
”मेरा कोई मतलब नहीं है। क्या करना है, आप सोचिये। हाँ हमें कोई मेरिज सर्टिफिकेट नहीं चाहिए और न ही व्यक्ति के पति होने का प्रमाण। स्त्री ने जो लिखा है हमारे लिए वही सत्य है।”
कुछ देर चुप रहने के बाद, ”ठीक है कहकर फाइल उठाकर उठ खड़ी हुई।”
जाने लगी तो डॉ. पाल ने टोका, ”और, हाँ, सुनिये। आपके बीस सप्ताह का गर्भ है। उसे समापन करने के लिए दो डॉक्टरों को प्रमाणित करना होगा कि गर्भ रहने से आपको अपूरणीय और गम्भीर मानसिक आघात लग सकता है, अतः आप डॉक्टरों को ठीक से बताइयेगा कि आपके कैरियर की इस स्टेज पर बच्चा होना एक बड़ा आधात होगा।”
दो घण्टे बाद महिला डॉ. पाल के पास आई। बोली, ”थैंक्यू। शनिवार को करने को मान गई हैं।”
 डॉ. पाल, ”चलिए अच्छा हुआ। फिर कुछ सोचकर , ”अच्छा प्रियाजी, आप तो बड़े खुले खयालातो की महिला हैं। अपने निर्णय स्वयं लेती हैं। आपको एतराज तो नहीं होगा अगर गर्भ समापन के दौरान आपके गर्भ का हम अल्ट्रासाण्ड वीडियो रिकॉर्ड करें? उसमे आप या आपका कोई भाग नहीं दिखेगा, सिर्फ गर्भ की वीडियो रिकॉर्डिंग होगी।”
”क्या यह सम्भव है?”
”हाँ, अब यह संभव हो गया है। हमने हाल ही में थ्री. डी. अल्ट्रासाउण्ड मषीन खरीदी है। उसी से शरीर के भीतर का वीडियो चित्रण संभव है। हम प्रयोग कर देखना चाहते हैं।”
”हाँ, शौक से करिये। मुझे कोई एतराज नहीं है।”
”आप इसकी लिखित में स्वीकृति देंगी?”
”हाँ क्यों नहीं। लाइये, कागज दीजिये और उन्होने स्वीकृति लिख दी।”
ऑपरेशन के दिन अल्ट्रासाउण्ड वीडियोग्राफ़ी करने को पहले तो सोनोलोजिस्ट राजी ही नहीं हुए। कहा,  ” बेकार झंझट में फँसाओगे। इस महिला का कोई भरोसा नहीं है। बाद में जाकर अगर शिकायत करदे कि लिंग निर्धारण के लिए किया था। और गर्भ समापन मादा भ्रूण के लिए था तो झंझट हो जायेगा। सब यही सोचते हैं कि सोनोग्राफ़ी के बाद अगर गर्भ गिराया है तो जरूर मादा भ्रूण के लिए होगा। रहे सहे यह मीडिया वाले- ये तो पागल हो गये हैं। सब पर जुनून-सा छा रहा है। बेकार सारा कैरियर स्टेक पर लग जायगा।”
लेकिन जब डॉ.पाल ने समझाया कि, यह नॉर्मल अल्ट्रासाउण्ड नहीं है वरन्‌ जैसे आपरेशन के दौरान हृदय आदि कि मोनीटरिंग करते हैं वैसे ही गर्भ समापन प्रक्रिया की मोनीटरिंग है और जब उन्हें महिला की लिखित स्वीकृति दिखाई गई तो वे राजी हो गये।
ऑपरेशन खत्म हुआ। वीडियोग्राफ़ी हो गई। महिला को होश आ गया था, उन्हे वार्ड में भेज दिया गया। सब खत्म कर सर्जन और एनेस्थेटिस्ट जब बैठने के कमरे आये तो सिस्टर ने सब को एक-एक कप कॉफी ला दी। फिर सब मशीन पर वीडियो का रीप्ले देखने लगे। वीडियो में बच्चा पूर्ण विकसित नजर आ रहा था। हाथ पाँव हिला रहा था। आँखें बन्द थी। होंठ हिला रहा था। हिल डुल रहा था। जब नीचे से डाला औजार गर्भ में आया तो बच्चे ने चौंक कर हाथ पाँव सिकोड़ लिए। फिर औजार से बचने के लिए इधर उधर होता रहा। औजार का सिरा हाथ के पास आया तो अपनी नन्ही हथेली से उसे पकड़ लिया। बाद में जब औजार उसकी बाँह पर कसा गया तो उसने पाँव फैला दिये, उसके होंठ हरकत करने लगे। सब एक टक, उस नन्हें शिशु को देख रहे थे। किसी ने कॉफी की एक घूंट तक नहीं ली थी। फिर जो दिखा उसको देखने के कुछ ही देर बाद गर्भ समापन करने वाली सर्जन चीख सी उठी, ”प्लीज स्टाप इट! इट्स होरिबल टू वाच!! ”
और उठ कर बाथरूम मे चली गई।कुछ देर बाद वापस आयी तो चेहरा बड़ा गम्भीर था। जैसे उन्हे अन्दर ही अन्दर कुछ कचोट रहा था, साल रहा था। कमरे में सन्नाटा था। कुछ देर गम्भीर, बिना पलक झपकाए बैठी रहीं, फिर बोली, ”मैं तो अब गर्भपात नहीं कर पाउँगी। दूसरी तिमाही के गर्भपात तो कभी भी नहीं।” फिर कुछ रुक कर बोली, ”उस लड़की को इसकी कॉपी बना कर जरूर दीजियेगा। कह रही थी यह उसका पहला गर्भपात नहीं है।”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

आज का विचार

जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते तब तक आप भागवान पर विश्वास नहीं कर सकते।

आज का शब्द

जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते तब तक आप भागवान पर विश्वास नहीं कर सकते।

Ads Blocker Image Powered by Code Help Pro

Ads Blocker Detected!!!

We have detected that you are using extensions to block ads. Please support us by disabling these ads blocker.