(डायरीनुमा शैली में चन्द कागजों पर दर्ज कुछ दिलचस्प कुछ रवायती ढंग के ये निरीक्षण, लगता है, कॉलिज में पढ़ती मेरी बेटी के कॉलिज की किसी अध्यापिका के रहे होंगे। कॉलिज ने मुझे बिटिया की कक्षाओं में कम होती हाजिरी (जी हाँ, कॉलेज स्तर पर कुछ जगह ऐसा होता है !) के सिलसिले में तलब किया था। मैं थोड़ा देर से  पहुँचा था। वहाँ का स्टाफरूम सुनसान हो चुका था। मैं वहाँ के बाथरूम से निवृत्त होकर आया तो दरवाजे के दूसरी तरफ वाली मेज पर एक रजिस्टर के नीचे ये फड़फड़ा रहे थे। कोतुहलवश मैंने उठा लिए और हल्के गुनाह के अहसास के साथ पढ़ भी लिए। अगले रोज स्टाफरूम के नोटिस बोर्ड पर मैंने इन कागजों के अपने पास होने की सूचना अपने मोबाइल नम्बर के साथ लिख दी। इस बात को पर्याप्त समय हो गया है मगर किसी ने इस बाबत सम्पर्क नहीं किया। इसलिए इन्हें यहां यूं सार्वजनिक किए जाने में कोई हर्ज नहीं होना चाहिए। फिर भी, निजता की सुरक्षा की खातिर व्यक्ति, विभाग और कॉलिज के नामों को छुपा लिया गया है। मुख्यत: अंग्रेजी में लिखे मजमून का मैंने अनुवाद-सा किया है और अपनी समझ से उपरोक्त शीर्षक रख दिया है।)

ब्रिटनी स्पीयर्स भी अजीब है। समझ नहीं आता है कि इसका पागलपन कहां जाके रूकेगा। कभी शराब के नशे में धुत्त होकर ट्रैफिक की ऐसी तैसी करती है तो कभी पुलिस स्टेशन के भीतर कपड़े उतारकर नाच दिखाने लग जाएगी। केवन फेडरलिन से बच्चों की हिरासत का झगड़ा तो खैर चल ही रहा है। तलाक के बावजूद दोनों के बीच आए दिन जूतमपैजार हो जाती है। बेचारे केबिन को तो हारकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा। सत्रह साल की उम्र में तो पट्ठी माँ बन गयी थी। छब्बीस की उम्र में अभी तक दो बार तलाक ले चुकी है। दूसरी शादी तो चली ही पचपन घंटे ! खिसकी हुई है तभी तो डॉक्टरों ने भी बाइपोलर डिसऑर्डर बताया है। होगा ! कोई मानेगा कि यह लड़की कभी जिमनास्टिक्स किया करती थी और इसकी वह एलबम, क्या नाम था, ‘बेबी वन मोर टाइम’ एक करोड़ से ज्यादा बिकी थी। टेलैंटिड तो है ही तभी तो ‘टॉक्सिक” गाने पर ग्रामी इनाम जीत चुकी है। आजकल एक पाकिस्तानी पापराजी फोटोग्राफर अदनान गलिब के साथ घूम फिर रही है। देखो, कब तक चलता है। अभी कहीं पढ़ा कि इसकी छोटी बहन जो मुश्किल से पंद्रह साल की है, बिन ब्याही माँ बनने वाली है। कहीं इसकी वजह इसके बिगड़ैल मां-बाप तो नहीं। सुना है बाप, जेम्स स्पीयर्स, भयंकर पियक्कड़ था और माँ, लिन इरीन, के पता नहीं कितने मर्दो के साथ ताल्लुक थे। एक बार तो वह केविन के साथ ही रंगरलियां मनाती पकड़ी गयी थी। इन लोगों का कोई हिसाब किताब है ?  कोई लिहाज नहीं, कोई रोक-टोक, नहीं। थर्ड ईयर में मेरी एक स्टुडेंट है, अलीफिया। उसी की तरह लो-कट जीन्स – जैकेट पहनकर आती है।

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ब्रिटनी के पापराजी आशिक से याद आयी टॉम क्रूज और कैटी होम्स की बात। एक पापराजी फोटोग्राफर इन्हें गुमराह कर रहा है, परेशान कर रहा है – कि उसके पास इन दोनों की फूकेट के

समुद्रतट पर बिताई छुट्टियों की कुछ चटपटी तस्वीरें हैं। डेटिंग के दौरान की। फोन पर वह आदमी अपना नाम जूल ब्राउन बताता है और कहता है कि सही रकम मिल जाने पर वह उन तस्वीरों को नेगेटिव समेत

लौटा देगा। सही रकम के मायने पता है ? दस लाख अमरीकी डॉलर। हालॉकि टाम और कैटी खूब कमाते हैं पर इतनी बड़ी रकम कोई फालतू में क्यों लुटाएगा ? टॉम क्रूज मुझे बड़ा सीधा लगता है। पता नहीं निकोल किडमैन के चक्कर में कैसे आ गया। खैर, तभी दोनों ज्यादा चले भी नहीं। कैटी कितनी स्टनिंग है। दूसरी हीरोइनों की तरह वह फालतू चर्चाओं से बचती है। मगर सिनेमा के धन्धे की मजबूरी है।  किडमैन ने इधर कीथ अर्बन को पकड़ लिया है पर मुझे नहीं लगता दोनों की चलेगी। सच या झूठ मगर आजकल वह सबको बताती फिर रही है कि पेट से है। इन लोगों को यह नहीं लगता है कि ऐसी पर्सनल चीजें अपने तक ही रखनी चाहिए। हमारे कॉलिज के कामर्स विभाग में एक टीचर है डॉली सावंत। घोर सांवली। पता चला बच्चों के बीच उसका नाम है काली सावंत। वह भी बात-बेबात बताती रहती है कि इस बार पीरियड्स कितने डिले हो गये, आज महेन (अरे, उसका पति !) से इस बात पर झगड़ा हुआ, दूसरे टीचर्स ने उसके साथ क्या बद्दतमीजी की। क्या यह कोई बीमारी है ? कुछ तो खुद को संभालकर रखो। ये क्या कि जो जो आपके साथ हो रहा है उसे किसी फटी बरसाती की तरह दूसरों पर उड़ेले जा रहे हैं। अब हिलेरी स्वांक को देखो। कितनी अच्छी एक्ट्रैस है। ऑस्कर ले चुकी है। मगर किसी दिन जिम न जा पाए तो डिप्रैस हो जाती है। आजकल अपने एजेंट के साथ गुलछर्रे उड़ाए जा रहे हैं। उसे बिस्तरे में पड़े रहकर नाश्ता करना अच्छा लगता है। क्यों नहीं। नाश्ता भी एजेंट बनाता होगा। ऑस्कर समारोह वाला गाउन एक चैरिटी के लिए नीलाम कर दिया। 

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12 दिसंबर 

कल बिग बाजार गयी थी तो एक अलग रंग का शेम्पू दिखा। अण्डे के योक को बेस लेकर बनाया हुआ। मुझे फोरन याद आया कि केट मोस और एंजलिना जोली भी इसी तरह के शेम्पू इस्तेमाल करती हैं। कितना अच्छा है कि इंडिया में भी हर चीज मिल जाती है। ये दोनों अपनी स्किन सीधे ऐग व्हाइट से संवारती है। मैंने भी ट्राइ किया। अच्छी चीज लगी। यह नहीं कि फेथ हिल की तरह बच्चों के शेम्पुओं से बाल संवारूँ। कितनी चार्मिंग है फेथ हिल ! कैसी सुराही सी गर्दन और कितनी वैल मैनटेन्ड। मगर किस्मत ! सात-आठ साल निभा ले जाने के बाद पता लग रहा है कि टिम मेकग्रो के साथ उसकी शादी टूट रही है। कारण ? वही जो होता है : मर्दो की इधर-उधर मुंह मारने की आदत। वैसे इन दिनों हर कोई अलग हो रहा है। पहले सैफ-अमृता हुए, फिर लारा दत्ता-कैली दोरजी, करीना-शाहिद, विक्रम भट्ट-अमीषा पटेल और तो और, इस बुढापे में आमिर खान के माँ-बाप भी …..। सीन पैक और रोबिन राइट अलग हो ही रहे हैं। 

मुझे लगता है, वहां का सिस्टम अच्छा है। जब तक खुशी-खुशी चले, संबंध चलाओ, न चले तो मूव ऑन। हमारे यहां की तरह नहीं कि गले की घंटी बने रहो। हमारे स्टाफ में ही कितने कुलीग्स अपने स्पाउसिस से त्रस्त-परेशान हैं। कई तो ऐसे जो बात चलने पर ही कन्नी काट जाते हैं। दुनिया भर की हंस-बोल लेंगे मगर ‘उसका’ जिक्र तक नहीं आने देंगे। उनको ऐसे क्या दुख हैं कि हर दम हंसी-ठिठोली करते रहते हैं। कॉलिज की हर कमेटी में अपने को उलझाकर रखेंगे। तलाक के मामले हमारे यहाँ बढ़ जरूर रहे हैं अगर जिस तरह कुंए में भाँग पड़ी है उसके हिसाब से तो ये अभी टिप ऑफ आइसबर्ग ही हैं। सही-गलत का फैसला कौन करे ? अपनी-अपनी जगह दोनों सही। मगर मैं सोचती हूँ कि ब्रेड पिट को

जेनिफर एंस्टिन से अलग नहीं होना चाहिए था। दे वर सच ए परफैक्ट लुकिंग कपल। कोई कुछ भी कहे, एंस्टिन के मुकाबले एंजलिना जोली कहीं नहीं टिकती है। साउथ का वह कौन सा इंडियन पीएम था, उसके                     

जैसा तो पाउटिंग फेस है। बस फिगर ठीक है। मगर इस धन्धे में फिगर तो सबको ठीक रखनी ही पड़ती है। ईवा लोंगोरिया की कम है ? चेहरा भी खूब चमकता सा है। ‘डेस्परेट हाउसवाइव्स” की जान है वह। टोनी पारकर से शादी के बाद काफी खुश दिखती है। खाली टाइम में अपने पैट्स के साथ खेलती है और कंम्प्यूटर का कख नहीं जानती है। अपनी रूपाली गांगुली से काफी मिलती सी है। 

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आजकल हीरोइनें खिलाड़ियों के पीछे पगलाई रहती है ! हमारे यहां पहले किम शर्मा थी, अब दीपिका भी उसी रास्ते पर है। कोलिन मैकलोघलिन ने तो मॉडलिंग करते हुए ही वेन रूनी को पकड़ लिया। शेरिल ने एशले कोल को। थोड़े दिनों बाद सबको पांव तले की जमीन दिखने लगती है। गेमा एटकिंसल को देख लो। दो साल के अन्दर-अन्दर रोनाल्डो ने उससे पीछा छुड़ा लिया। अब मीडिया को ‘सिंगल एण्ड रेडी टु मिंगल’ का ऐलान करती घूम रही है। यही हाल पॉप सिंगर्स का है। केमरून डाइज को देखो। उम्र के बावजूद कैसा गुलाब सा खिलता चेहरा है। कैसी प्राकृतिक मासूम हंसी। पिछले दिनों आई उसकी फिल्म ‘इन हर शूज’ में क्या मस्त भूमिका थी। मगर तीन साल से ऊपर साथ रहने के बाद जस्टिन टिम्बरलेक कैसा चलता बना। वह भी क्रिसमस से पहले। मैं सोचती थी कि पहले जस्टिन का स्कारलैट जोहनसन और जेसिका बीअल के साथ ही चक्कर था मगर पिछले दिनों ऑक्सफोर्ड बुक स्टोर की टी-शॉप में एक पत्रिका देखी तो पता चला कि उसका सबसे पहले तो ब्रिटनी के साथ ही लम्बा अफेअर रहा था। कुछ लोग तो टिम्बरलेक को ही ब्रिटनी के पहले बच्चे ‘सीन’ का पिता कहते हैं। भगवान जाने क्या सच है। अन्ना स्मिथ की लड़की की तरह उसका कोई डीएनए टैस्ट तो हुआ नहीं। अन्ना कोरनिकोवा को भी देखिए, इग्लेशियास के साथ कब तक चल पाती है। जो भी हो, केमरून डाइज की तरह मुझे भी सुबह देर तक सोना अच्छा लगता है। कॉलिज की वजह से जल्दी उठना पड़ता है वर्ना …… !

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शुक्रवार 

आज तीसरे पीरियड के बाद काफी बच्चे भाग गये।  होगी कोई मेगा रिलीज। स्टाफरूम में आई तो लोग खूब इधर-उधर की करने में मशगूल थे। ऐसे मानो पूरे देश का बोझ उन्हीं के कन्धों पर आन पड़ा हो। वाइस प्रिंसिपल चन्द्रमा प्रकाश शास्त्री की तबियत कई दिनों से ठीक नहीं चल रही है तभी वे बड़ी आशंका जतलाते कह रहे थे कि भारत की अर्थव्यवस्था के बारे में देश-विदेश में इन दिनों जो छवि प्रोजेक्ट की जा रही है उसमें ढेर सारे झोल हैं। खुद एक शहर में बैठकर वे देश के नीति-निर्धारकों को इस बात के लिए गरियाते दिख रहे थे कि गांव-देहात की हकीकतों के सामने चन्द शहरों में वित्त, टेलिकॉम और इनफोर्मेशन टेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में बतलाई जाने वाली तरक्की कितनी खौफनाक और अधूरी है। लोग एक तरफ गरीबी-बेरोजगारी से तो दूसरी तरफ अवसाद और अकेलेपन से ग्रस्त हुए पड़े हैं। बेशुमार तरह से अपराधों के रास्ते खोज रहे हैं। आत्महत्या कर रहे हैं। पूरे तन्त्र में छा रहे असंतुलन से नई-नई व्याधियाँ पैदा हो रही हैं। सारे टीचर्स चुप थे। चुप रहने में ही समझदारी थी वर्ना बुङ्ढा शास्त्री तो तैश में आ जाता। बताइये यह भी कोई बात हुई ? आप हर चीज में अड़ंगी मार दीजिए। कितना कुछ तो यहाँ हो रहा है।

फिर आत्महत्याओं का क्या ? किसी का कुछ पता लगता है कि कब कमरा बन्द कर ले और पंखे से झूल जाए ? खेत में छिड़कने के बदले कोई किसान पेस्टीसाइड्स को बूँक डाले तो इसमें सोनिया गांधी क्या कर लेगी। पिछले दिनों हीथ लेजर ने नहीं कर ली थी।

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शास्त्रीजी के जाने के बाद सारे टीचर्स क्विज खेलने लगे। साइकोलॉजी की आरती (जिसे मैं आरटी कहती हूँ – आर्टिस्टिक मानो तो और रोमान्टिक मानो तो) ने मुझसे पूछा बताओ भारत में कितने राज्य हैं ? पहली बात तो मैं ज्योग्रफी या हिस्ट्री नहीं पढ़ाती हूँ। दूसरे, आए दिन तो ये बदलते रहते हैं। कीरा नाइटले की तरह मेरी बस दीर्घकालीन याददाश्त ठीक है। हमारे टाइम में तो इक्कीस और सात का ऑंकड़ा हुआ करता था – इक्कीस राज्य और सात केन्द्र शासित प्रदेश। मैंने वही कह दिया तो सब हंस पड़े। हो सकता है एकाध कम-ज्यादा हो गये हों। उससे क्या फर्क पड़ता है। मुल्क तो वही है। 

अरे, यह ग्लोबलाइजेशन का टाइम है या फुटकर राज्यों की गिनती का। हाँ, नहीं तो।

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आज का विचार

मोहर Continuous hard work is the cachet of success in the life. निरंतर परिश्रम ही जीवन में सफलता की मोहर है।

आज का शब्द

मोहर Continuous hard work is the cachet of success in the life. निरंतर परिश्रम ही जीवन में सफलता की मोहर है।

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