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गणतंत्र दिवस

गणतंत्र दिवस फिर आया है- हमको स्मरण कराने को
अंगेज्री शासन के अधीन भारत के वीर जवानों को

हम रहे दासता में सदियों अपना सबकुछ हम खो बैठे
राणाप्रताप और वीर शिवा, उनको सबको थे भुला बैठे

गांधी नेहरू सुभाष आये, सोते से जगा दिया हमको
खोई शक्ति फिर मिली हमें हमने यह दिखा दिया जग को

हम फिर इतिहास बना करके धीरे-धीरे आजाद हुए
पतझड वाले जो उपवन थे वे फिर से थे आबाद हुए

दो भाई यद्यपि अलग हुए, फिर भी हमने सब दिया भुला
फिर देश प्रगति में लग करके शिकवे सबके दिये भुला

भाईचारा सह अस्तित्व और आपस की खुशहाली चाही
हर बार मित्रता पथ चलकर हम रहे शान्ति के हमराही

हर बार मिला धोखा हमको, कोई भी बात बन न सकी
कश्मीर समस्या हल न हुई, प्रेम की डोरी बंध न सकी

अब भी हम इच्छुक हैं लेकिन, हम उसको छोड नहीं सकते
जो धार विलय में चुनी हमने, उसको अब मोड नहीं सकते

हम दोस्त सदा रह सकते हैं, पर रिश्ते तोड नहीं सकते
हमसे चाहे कुछ भी ले लो पर कश्मीर छोड नहीं सकते

हर बार रहे चुप हम लेकिन ऌस बार तो तय कर बैठे हैं
अब आर पार ही होना है, मन में निश्चय कर बैठे हैं

कश्मीर हमारा मस्तक है, कल था है आज रहेगा कल
मिट सकते पर झुकना मुश्किल, सौगंध हमारी यही विमल

सुरेश चन्द्र 'विमल'
जनवरी 26, 2002

 


 

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