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तुम मेरी नाभि में बसो–विश्वास

सांस की तरह .जरूरी
कंधों की तरह मज़बूत
पावों की तरह यायावर
ज़िल्दों की तरह बदलने वाले
ओ मेरे
चूकते–खोते–अपरिचित होते जाते–धूमिल विश्वास
तुम लौटो

लौटो
कि बहुत से काम अधूरे हैं
जन्मने हैं बहुत से
करनी है बहुत सी बातें
झिझकते रुद्ध होते गले से

किन्हीं हथेलियों पर मेंहदी की तरह सजना है
एक इलायची अदरक की चाय पीनी है

किसी के लिए आंधी की तरह उड़ना है
कटना है किसी की छत से एक पतंग की तरह

एक फब्ती की तरह उछलना है सहसा
किन्हीं पहचाने ओठों से

इस उम्र की बेहिसाब रुई को
किसी तकली में कतना है

अंत में
एक विदा के हाथ की तरह
हिलना है बड़ी देर तक
आंसू की तरह सूख जाना है
गिरकर आंख से

तुम मेरी नाभि में बसो
कस्तूरी की तरह
ओ मेरे विश्वास

तितली की तरह रंगीन विश्वास
धूप की तरह उजले
रंभाती गाय की तरह बेचैन
भरे हुए थनों की तरह दुहे जाने को आतुर
मेरे विश्वास
खण्डित होते विश्वास
निर्वासित हापते जाते
दण्डित विश्वास‚ तुम लौटो।

– अभिज्ञात


 

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