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बादल

जमीन से भी गहरे बादल
झील में जाकर ठहरे बादल
हैं किसी के सपनों का रंग लिए
वर्ना देखें हैं कभी सुनहरे बादल ?

चढ़ते कभी झुकते कभी
चलते कभी रुकते कभी
आशाओं की ऊँचाईयों तक पहुँचते
अरमानों के बावरे बादल ।

पवन का चाकरÊ बिजली का सखा बादल
सबने दिल में अपने है इक रखा बादल
जाने बरसने से पहले कब तक रहेंगें ।।।
आखोँ जैसे नीर भरे बादल ।

– गरिमा गुप्ता



 

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