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सात रंग

अब के बरस होली पर ऐसे रंग लगाना कि छुटाए नहीं छूटे‚
सात रंग का रचना ऐसा बाना कि हर रंग से नवजीवन फूटे।
पहला रंग गुलाबी प्रेम का‚ जिस तन जा लगे‚
मिटा दे ईष्र्या व लोभ को‚ सच्ची प्रीत मन मा जगे
दूजा रंग हरा उन्नति का ‚ लहरा दे हर खेत
भूख गरीबी से ना कोई मरे जीवन हो सचेत ।
तीजा रंग नीला विज्ञान का‚ करदे सपना साकार
हर प्रांत रोग मुक्त हो‚ जीवन का हो उद्धार।
चौथा रंग काला अक्षर ज्ञान का‚ पा ले जब संसार‚
ज्ञान दीप के प्रकाश से मिटा दे अज्ञान का अंधकार।
पांचवा रंग लाल क्रान्ति का‚ करे हर जड़ चेतन‚
मानव मूल्य हो सर्वोपरी‚ रंग भेद का हो पतन ।
छठा रंग श्वेत शांति का‚ रंग दो सारा संसार‚
आंतकवाद का हो सफाया‚ भाईचारे का हो सदा आचार ।
सातवा रंग पीला धर्म का‚ कर दो तिलक चंदन‚
राम रहीम ईसा सब एक हैं‚ कह गये रघुनंदन।
अबके बरस होली पर ये सात रंग लगाना‚
हर जन का कल्याण हो ऐसा अलख जगाना।

डॉ राघवन अयंगार



 

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