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योग
वियोग सम विषम के भेद सीख गई थी जतन बिना सादे शब्द सादा हिसाब सन्धि विच्छेद कर अब समझ लूँगी सार और विस्तार हो जायेगा जीवन आसान यर्थाथ के धरातल की प्रयोगशाला में शब्द खरे न उतरे सम लगा देने से समता नहीं अलगाव में विषमता नहीं पास रह कर भी सिसकता वियोग और कभी मीलों की दूरी कहलाती है योग |
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