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  मदर्स डे पर विशेष
बस मां……

बड़े जतन से संजोया था मां ने उन यादों को……
हमारी किलकारियां
नन्ही ज़िद्दियां
छोटे छोटे हठ
हमें याद है उनका पूरा होना
मां को याद है वे धूप छांह
वो दिन रात के एक होने की मेहनत
वो खुद को भी भुला जाने की ताकत
फिर वो खुशी हमारे चेहरे की
आंसुओं में भी मिठास थी जिसकी
बड़े जतन से संजोया था मां ने उन यादों को……

हमारे ऊंचे अरमान
सूखते रिश्तों की पहचान
यूं सीढ़ियां बन मां बिछती गयी
उसके मिटने से जो खुद बने
उसे मिटा मान चलते गये
ऊंचाई के साये तले
बचपन की धूप अजनबी सी थी
काबिल ज़िंदगी का नशा
उसमें गुम होकर रह गई मां
बड़े जतन से संजोया था मां ने उन यादों को……

-अन्तरा करवड़े
 

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