मुखपृष्ठ  |  कहानी कविता | कार्टून कार्यशाला कैशोर्य चित्र-लेख |  दृष्टिकोण नृत्य निबन्ध देस-परदेस परिवार | फीचर | बच्चों की दुनिया भक्ति-काल धर्म रसोई लेखक व्यक्तित्व व्यंग्य विविधा |  संस्मरण | साक्षात्कार | सृजन स्वास्थ्य | साहित्य कोष |

 

 Home | Boloji | Kabir | Writers | Contribute | Search | FeedbackContact | Share this Page!

 

कभी
कभी किसी बासी चादर में सूघुंगा
उस पर गुज़री‚
सुख भरी नींद की गन्ध
कभी पेपरवेट के नीचे दबे‚
थप्पी भर काग़ज़
वह जायेंगे‚
उसी हवा में‚
जिसमें वे फड़फड़ाते रहे हैं

कभी डोरमैट में झड़ कर गिरी मिट्टी
में से
मैं वह मिट्टी छांटूंगा
जो मेरे गांव से आई है
परिचित पैरों में चिपककर‚
अपरिचित की तरह झड़

कभी कोई फूल बच जायेगा
चुनने वाले पुजारी की नज़र से‚
पत्तों में छुपकर‚
हो जायेगा बीज
दुनिया से दुबक कर

कभी मोहल्ले के बच्चे
मेरे हिस्से का
पिट्ठुल का वह खेल खेलेंगे
जो बचपन में मैं नहीं खेल पाया था
पापा की डांट के डर से
कभी ज़मीन से बाहर निकलती सूखी जड़
एक हरी गांठ सी उभरेगी
पर कभी‚
मैं चाहकर तुम्हें भूल जाऊंगा
उखाड़ पाऊंगा अपना ही नाखून
अपने ही मांस से
अपने ही हाथों…।

कभी मुर्दा ज़मीन पर
बनेगा एक घर
गायेंगी घूंघट वाली औरतें
ढोलक पर
बन्नो का बार बार सुना एक सा गीत
कभी पहनूंगा वही चप्पल
जो घिसती नहीं
छोड़ती जाती है अपने निशान
धूप में पिघलते रोड के डामर पर…।

— तरुण भटनागर

Top

Hindinest is a website for creative minds, who prefer to express their views to Hindi speaking masses of India.

 

 

मुखपृष्ठ  |  कहानी कविता | कार्टून कार्यशाला कैशोर्य चित्र-लेख |  दृष्टिकोण नृत्य निबन्ध देस-परदेस परिवार | बच्चों की दुनियाभक्ति-काल डायरी | धर्म रसोई लेखक व्यक्तित्व व्यंग्य विविधा |  संस्मरण | साक्षात्कार | सृजन साहित्य कोष |
 

(c) HindiNest.com 1999-2021 All Rights Reserved.
Privacy Policy | Disclaimer
Contact : hindinest@gmail.com