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ऐसा बोर सैयां               
 

 

 

रंग फेका लाल गुलाबी
वो ‘वेव–लेन्थ’ की बात करने लगा
बुद्धु नादान सैयां
आइन्स्टीन को मात करने लगा
मैंैने छोड़ी पिचकारी
वो हवा के दबाव की बात करने लगा
खिला दी मैंने कुछ मिठाई
शुगर की चिन्ता दिन–रात करने लगा
गिनी चुनी लकड़ियां
भाई लोगों ने इकठ्ठा की
जलती होली देख कर
पर्यावरण की बात करने लगा
समझाया असत्य पर
सत्य की होती विजय
होलिका जली प्रह्लाद बच गया
वो फायरप्रूफ कपड़ों की बात करने लगा
फिल्मी स्टार झूमे नाचे
दे गये होली का रंग
देखी मस्ती टी वी पर
टी वी के एन्टेना की बात करने लगा
गीत कवित्त भजन
होली–रस मे डुबा गये
हुल्लड़–टोली की गाली सुन कर
भाषा–व्याकरण की बात करने लगा
राधा किशन का होली–रास
मथुरा मे शुरू होने लगा
ऐसा बोर सैयां
वो द्वारका की खुदाई की बात करने लगा

–हरिहर झा
 

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