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आहूति |
![]() मैं एक व्यक्ति हूँ एक अदद व्यक्ति हैं मेरी सीमाएं सीमाएं यही मुझे देती हैं आकार यदि मैं दूं यह सीमाएं लांघ तब बढ़ेगा मेरा विस्तार बनेगी एक अलग पहचान मैं माना जाऊंगा महान जब भी हृदयाकाश में खोजता हूं अपना आप ढूंढता हूँ पहचान तब मुझे अपना नहीं दिखाई देता कोई आकार कोई निश्चित बिन्दु नहीं आता पकड़ बस सारे आकाश में होता हूँ‚ मैं ही मैं क्या ये पांच तत्त्व हैं तरंग के रूप ज्यों प्रकाश कण ' फोटोन ' है प्रकाश तरंग का रूप! |
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