मुखपृष्ठ
|
कहानी |
कविता |
कार्टून
|
कार्यशाला |
कैशोर्य |
चित्र-लेख | दृष्टिकोण
|
नृत्य |
निबन्ध |
देस-परदेस |
परिवार
|
फीचर |
बच्चों की
दुनिया |
भक्ति-काल धर्म |
रसोई |
लेखक |
व्यक्तित्व |
व्यंग्य |
विविधा |
संस्मरण |
डायरी
|
साक्षात्कार |
सृजन |
स्वास्थ्य
|
|
Home | Boloji | Kabir | Writers | Contribute | Search | Feedback | Contact | Share this Page! |
|
|
जीबन जीबन का ह? रहस्य बा ई अनोखा चलत रहे का मंतर इम्मे कौउन है फूँका? अजब बा ई पहेली एक को खोलौ तो दूजा उलझे जीवन का ई गुत्थी, भवा सुलझाये न सुलझै। का बताई, अब तोहके, हुयै लोग बहुत ज्ञानी, बोलत हैं विज्ञान की बानी। पर जीवन के बुझै में, बन गयो भवा यो भी अज्ञानी। पढ़ा रहे किताबन में, जीवन बा, सूरज का रोशनी में, पानी की बूंदन में, माटी में बा आग और अकाशो में बा, हवो में बहत ह जीवन, -अमित कुमार सिंह |
|
(c) HindiNest.com
1999-2021 All Rights Reserved. |