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बाल - कविता दीपावली आई आई आई दीपावली आई देखो कितनी रोशनी छाई इस शुभ अवसर पर कितनी सुंदरता लाई हमने है रंगोली सजाई कि लक्ष्मी जी आएं और घर खुशियों से भर जाए हर मनुष्य के मन में यही कामनाएं छाईं सब बच्चों को है प्रतीक्षा कब दिन ढले और रात हो जाए दिए जलाएं और पटाखे चलाएं मन उल्लास से भर भर जाएं एक यही पर्व है जब हम मित्रों के घर जाते हैं खूब मिठाई खाते हैं हर दीवाली यादगार बनाते हैं। आई आई दीपावली आई देखो कितनी रोशनी छाई इस शुभ अवसर पर कितनी सुंदरता लाई
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