मुखपृष्ठ  कहानी कविता | कार्टून कार्यशाला कैशोर्य चित्र-लेख |  दृष्टिकोण नृत्य निबन्ध देस-परदेस परिवार | फीचर | बच्चों की दुनिया भक्ति-काल धर्म रसोई लेखक व्यक्तित्व व्यंग्य विविधा |  संस्मरण | डायरी | साक्षात्कार | सृजन स्वास्थ्य | साहित्य कोष |

 Home |  Boloji | Kabir | Writers | Contribute | Search | FeedbackContact | Share this Page!

You can search the entire site of HindiNest.com and also pages from the Web

Google
 

 

कपास के पौधे

कपास के ये नन्हें पौधे क्यारीदार
जैसे असंख्य लोग बैठ गये हों
छतरियां खोलकर

पौधों को नहीं पता
उनके किसान ने कर ली है आत्महत्या
कोई नहीं आयेगा उन्हें अगोरने
कोई नहीं ले जायेगा खलिहान तक

सोच रहे हैं पौधे
उनसे निकलेगी धूप-सी रुई
धुनी जायेगी
बनेगी बच्चों का झबला
नौगजिया धोती

पौधे नहीं जानते
कि बुनकर ने भी कर ली है खुदकुशी अबके बरस

सावन की बदरियाई धूप में
बढ़े जा रहे हैं कपास के ये पौधे
जैसे बेटी बिन मां-बाप की.


चंद आदिम रूप

बाढ़ में फंसने पर
वैसे ही बिदकते हैं पशु
जैसे ईसा से करोड़ साल पहले.

ठीक वैसे ही चौकन्ना होता है हिरन
शेर की आहट पाकर
जैसे होता था हिरन बनने के दिनों में.

गज और ग्राह का युद्ध
होता है उसी आदिम रूप में.

...जैसे आज भी काट खाता है दांतों से
नखों से फाड़ देता है मनुष्य शत्रु को
निहत्था होने पर.

-विजयशंकर चतुर्वेदी

 

Top

तस्दीक

मां ने कहा-
ठहरो सिद्धार्थ, कहां जाते हो इस तरह सबको त्यागकर?
देखो, सिसक रही है यशोधरा
किवाड़ की आड़ में
मचल रहा है नन्हा राहुल उसकी गोद में.

घर ने कहा-
मां ठीक ही कहती है बेटा
यहां हमेशा से नहीं था घर
पहले थे बहुत झाड़-झंखाड़
ऊबड़खाबड़ नदी-पहाड़
किया गया समतल इसे चट्टानें तोड़ताड़
बांधे गये घास-फूस के झोपड़े-मकान

जरा और मृत्यु तो तब भी बेटा
अब भी है
लेकिन घर त्याग कर इस तरह
नहीं चल दिये पुरखे
उनके समय भी नहीं थी कोई फैक्ट्री
नहीं थी कोई गन्ना मिल इलाके में
फिर भी यहीं गड़ा रहा उनका खूंटा
यहीं रमाये रहे धूनी.
 

नीम का पेड़ बोला-
घर बिलकुल ठीक कहता है बेटा.
वैसे जहां भी जाओगे
कोई बोधिवृक्ष नहीं पाओगे
वहां भी ढोओगे पीड़ाआें के पहाड़
करोगे चाकरी
तोड़ोगे हाड़
दु:ख पीछा करते चले आयेंगे.


बरगद ने समझाया-
नीम कभी झूठ नहीं बोलता बेटा.
जब हम सब तुम्हें यहां नहीं देख पायेंगे
हम सबके आंसू बारिशें बन जायेंगे.

बूढ़ा पीपल इस बात की तस्दीक करता है-
सयाना वह है
जो घर में रहकर गृहस्थी की बात करता है.

-विजयशंकर चतुर्वेदी
 

Hindinest is a website for creative minds, who prefer to express their views to Hindi speaking masses of India.

 

 

मुखपृष्ठ  |  कहानी कविता | कार्टून कार्यशाला कैशोर्य चित्र-लेख |  दृष्टिकोण नृत्य निबन्ध देस-परदेस परिवार | बच्चों की दुनियाभक्ति-काल डायरी | धर्म रसोई लेखक व्यक्तित्व व्यंग्य विविधा |  संस्मरण | साक्षात्कार | सृजन साहित्य कोष |
 

(c) HindiNest.com 1999-2021 All Rights Reserved.
Privacy Policy | Disclaimer
Contact : hindinest@gmail.com