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.......दिन रात की तकरार से !
थक गया हूं अब तो मैं, दिन रात
की तकरार से
अब तलक है आस मुझमें, क्योंकि
बाक़ी सांस है
जो भी आया झोलियां भर कर गया
अपनी मगर ऐ जहां वालो भला क्यों आपको इलज़ाम दूं
मैं परेशां हूं बहुत, ख़ुद अपने
ही किरदार से। जब चला जाऊंगा इक दिन दूर इस संसार से। |
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