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नदी होना आसान नहीं होता

नदी क्यों जोड़ती है खुद को मुझसे?
क्या मुझमें भी बहती है कोई नदी?
मैं ने देखा है नदी को
ढलान के विपरीत बहते
बेपनाह ऊंचाइयों से गिरते
नदी के लिए भी क्या नदी होना
आसान नहीं होता?

आसान तो नहीं होता
यूं अपनी ही धारा के विपरीत बहना
अपने ही स्त्रोत की तरफ लौटना
बहुत भंवर पड़ते हैं
अपने ही अस्तित्व की एक लहर
उलझती है दूसरी लहर से
एक निर्वात उत्त्पन्न होता है
हृदय के बीचों - बीच
सांसारिकता के बींचों - बीच
उठे वैराग्य - सा

आसान कहां होता है
ऊंचाइयों तक पहुंच कर
फिर - फिर
गिर कर
ज़मीन पर बिखर जाना
पहाड़ों की उदात्तता से छूट कर
चट्टानों की क्षुद्रता से सर टकराना
एक सधी हुई धार का
असंख्य बूंदों में
बिखर जाना

आसान नहीं होता है
यूं जंगलों में छुप कर बहना
बर्फीली ठण्डी सतह के नीचे
गर्म गंधक की गुप्त धाराओं में बहना
तल के भीतर एक और तल को जीना
अपनी ही गहराइयों से हतप्रभ होना

अपने भीतर एक नदी खोजना
आसान नहीं होता
कहा न, नदी होना नदी के लिए भी
आसान नहीं होता

-मनीषा कुलश्रेष्ठ

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