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दर्द बनकर आईना क्या-क्या दिखा देगा मुझे
ख़्वाब में भी जो हक़ीक़त की तरह लगता रहा
दुख सताता है मुझे कितना सतायेगा भला
सुख में जो मैंने गुज़ारे चार दिन तो यूँ लगा
आँख में आँसू किसी की देखना मुमकिन नहीं
जिसने शीशे की तरह'घायल'
मुझे बिखरा दिया
-आर.पी.'घायल' |
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