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ग़जल
- 1
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ग़ज़ल - 2 कल उसकी दुनिया में ऐलान हुआ/ सस्ता अब क़त्ल का सामान हुआ हजारों क़त्ल करके वो बोला/ वक़्त मेरा बहुत जियान हुआ. कल मिला मुझको कचरा पेटी में/ इतना गंदा मेरा ईमान हुआ दे के रिश्वत वो झट से छूट गयी/ जब इमानदारी का चालान हुआ. कल इक दरख़्त गिर के टूट गया/ मानो विदर्भ का किसान हुआ. हम तो अशआर यूँ सुनाते हैं गोया ये मीर का दीवान हुआ - नीलाम्बुज |
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