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ग़ज़ल
- 1
-राज वाल्मीकी
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ग़ज़ल - 2
आपका है देश पार्टी आपकी आपका इतिहास थाती आपकी आपकी मर्जी है इसको जिस तरफ भी हांकिये आपकी है भैंस लाठी आपकी यहां सुरक्षित है यकीनन चाहे जब भी खाइए आपकी है भेड़ भाटी आपकी बस हमारा रक्त इसमें तेल के सम जल रहा आपका है दीप बाती आपकी आह का या बद्दुआ का कुछ असर होता नहीं है बहुत मजबूत छाती आपकी आगाजे-वगाबत है कहीं अब मिट न जाए देखिए ये हुकूमत जुल्म ढाती आपकी -राज वाल्मीकी
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