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इधर सुनो : कुछ कविताएं ।। तीन ।।
इधर सुनो कल नहीं मिल पाऊंगा में तुमसे
बेबजह के काम हैं कुछ निपटाने हैं कुछ हिसाब-किताब जवाब देने हैं चिट्टिठयों के चाय पर बुला रखा है पड़ोसी को छांटना है अखबारों की रद्दी
इधर सुनो कल मिल लेना तुम मुझसे आकर फिर पूरे दिन साथ ही रहना
।। चार ।।
इधर सुनो मफलर निकाल लो अब तुम ढंक कर रखा करो अपने कान
तुम तक पहुंचते-पहुंचते ठंड ना लग जाए कहीं मेरे बोले गए शब्दों को |
।। पांच ।।
इधर सुनो मैं जो बोल रहा हूं तुमसे तुम्हें ही समझाना है मुझे उसका अर्थ
।। छह ।।
इधर सुनो तुम्हें ही सुनना है मेरे कानों से मेरे न बोले गए शब्द
।। सात ।।
इधर सुनो कई दिनों से नहीं सुन पाया तुम्हें तसल्ली से
आज की शाम कर दी है खाली मैंने तुम्हारे शब्दों को सहेजने के लिए -राकेश श्रीमाल आगे पढ़ें - |
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