मुखपृष्ठ
|
कहानी |
कविता |
कार्टून
|
कार्यशाला |
कैशोर्य |
चित्र-लेख | दृष्टिकोण
|
नृत्य |
निबन्ध |
देस-परदेस |
परिवार
|
फीचर |
बच्चों की
दुनिया |
भक्ति-काल धर्म |
रसोई |
लेखक |
व्यक्तित्व |
व्यंग्य |
विविधा |
संस्मरण |
डायरी
|
साक्षात्कार |
सृजन |
स्वास्थ्य
|
|
Home | Boloji | Kabir | Writers | Contribute | Search | Feedback | Contact | Share this Page! |
|
कुछ तो हवा भी सर्द थी, कुछ था तेरा ख्याल भी कुछ तो
हवा भी सर्द थी, कुछ था तेरा ख्याल भी बात वो
आधी रात की, रात वो पूरे चाँद की सबसे नजर
बचा के वो मुझको कुछ ऎसे देखता दिल तो
चमक सकेगा क्या फिर भी तरश के देख लें शाम की
नासमझ हवा पूछ रही है एक पता
-परवीन शाकिर |
|
(c) HindiNest.com
1999-2021 All Rights Reserved. |