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।। डायरी ।।
डायरी में हमारी तारीखों के नक्शे मिलते हैं कुछ सुदूर देख लेने के वृत्तान्त भी हमारी साँसों का व्यास और उच्चावचन भी होता है डायरी के पास यह आसमान हमारी डायरी ही है सबसे गहरी उदासी और प्रेम, टूटनों के हिसाब-किताब हमने आसमान के पन्नों पर ही लिखे हैं नभमण्डल से अधिक तारे तो हमारी डायरी की रात के अँधेरों के पास हैं देखे गए को - किए गए को , बहुत शिद्दत से जिए गए को दर्ज करते हैं डायरी में जब हम ज़िन्दगी में ही ज़िन्दगी के पीछे लौटने की बन जाती है एक जगह हम हिचकते हैं डायरी में लिखने के लिए अपने अपमान के पल कुछ गद्यांश-अधूरी कविताएँ डायरी में ही छुपे रहते हैं एकाएक चौंकाने के लिए हमें अपने लिखे-सहेजे का अचरज डायरी से अधिक और नहीं मिलता है कहीं चाभी हो जाता है जतन से डायरी में ही रखा काग़ज़ का एक टुकड़ा बहुत लम्बी उम्र के ताले खोलने के लिए -प्रेमशंकर शुक्ल (प्रेमशंकर शुक्ल ह्मारे समय के महत्वपूर्ण कवियों में से हैं, जीवन, प्रकृति और स्त्री के उनकी कविताओं में संवेदनशील छवियाँ मिलती हैं)
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