मुखपृष्ठ  |  कहानी कविता | कार्टून कार्यशाला कैशोर्य चित्र-लेख |  दृष्टिकोण नृत्य निबन्ध देस-परदेस परिवार | फीचर | बच्चों की दुनिया भक्ति-काल धर्म रसोई लेखक व्यक्तित्व व्यंग्य विविधा |  संस्मरण | साक्षात्कार | सृजन स्वास्थ्य | साहित्य कोष |

 

 Home | Boloji | Kabir | Writers | Contribute | Search | FeedbackContact | Share this Page!

 

।। नीरज मिश्रा की कविताएं ।।

ज फ़िर हवाओं में बासुरी की आवाज़ घुल गई है
देखो मोर किसी के कदमों की आहट सुन रहे हैं
एक साथ रोने लगीं हैं खुश होकर बृज की सभी गायें
माखन किसी शगुन की तरह तैयार है
यमुना आज फ़िर उफ़ान पर है
जल से ज़ुबान खारी,
प्रेम और भी गहरा हो गया है
नंदगाँव, बरसाना, बलदेव, गोवर्धन, गोकुल
सब प्रेम के पर्यायवाची
चौरासी कोस में फैल गयी है महक भंडारे की
सज गये हैं झूले वन-उपवन में
आज वन के कांटे फ़िर से चुभने लगे हैं
बृज की मिट्टी आज फ़िर मरहम बन गयी है
अपने बाल रूप में अक्सर बृज को लौट आते हैं कृष्ण
अब इस पावन भूमि को छोड़कर
बैकुंठ कौन जाए?

*****

मैने तुम्हारे लिए चन्द्रमा से साठगांठ की
तुम्हारे लिए सूरज को सींचा मैने
तुम्हारे लिए दोपहरों को बेइज्जत किया
सुबह को देर तक उलझाए रखा बातों में अपनी
रात को अंधेरों से महरुम किया
शाम को नज़रबंद किया सिर्फ़ तुम्हारे लिए
कई बार मौसम की तस्करी की
दिशाओं पर टोटके किये
बारिशों को उलझाया,
तुम्हारे शहर में देर तक बरसने के लिये
आसमान को डराया और चुप कराया कई बार
ऐसा करने में तुम्हारी कोई रज़ामंदी नहीं थी
इस क़ुदरती असंतुलन का दोष मुझ पर है
मैं अपने गुनाह कबूल करता हूँ
तुम्हारा प्रेम पाना मेरी आख़िरी इच्छा है

- नीरज मिश्रा

मोबाइल – 9760540595

Hindinest is a website for creative minds, who prefer to express their views to Hindi speaking masses of India.

 

 

मुखपृष्ठ  |  कहानी कविता | कार्टून कार्यशाला कैशोर्य चित्र-लेख |  दृष्टिकोण नृत्य निबन्ध देस-परदेस परिवार | बच्चों की दुनियाभक्ति-काल डायरी | धर्म रसोई लेखक व्यक्तित्व व्यंग्य विविधा |  संस्मरण | साक्षात्कार | सृजन साहित्य कोष |
 

(c) HindiNest.com 1999-2021 All Rights Reserved.
Privacy Policy | Disclaimer
Contact : hindinest@gmail.com