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फ़िर भी

लंबी छुट्टियों के बाद खुली थी यूनिवर्सिटी
कई ऋतुओं के बाद लौट आया था वसंत

वे कुछ लड़कियाँ थी
संख्या में ऋतुओं जितनी ही
जो वसंत का पर्याय हो सकती थीं

लौट आया था मेरा कवि, जिसने सोचा-
कितने लड़कों के अधूरे ख्वाब जा रहे‌ हैं

थोड़ी देर बाद
वे रूकी कहीं
उनसे आगे निकल गया मैं
देखता हुआ
लड़कियों के चेहरों पर मास्क
जिनमें से खिलखिला रही थी और वे

मुझे याद आए दिन
दोस्तों के साथ तफ़रीह के
मैंने ज़ोर से चिल्ला कर कहा-
ख़ुश रहो तुम सब

मैं नहीं मानता ख़ुद को
आशीर्वाद देने लायक उम्रदराज
फ़िर भी... ।

मेरे आगे चलती लड़की

आपस में टकराते थे दोनों घुटने
मेरे आगे चलती हुई उस लड़की के
एक फिल्म देखी थी मैंने
जिसके अनुसार
ऐसे लोगों को फौज़ में नौकरी नहीं मिलती
हालांकि यहां नियम अलग भी हो सकते थे

चलते-चलते उसने
बाहर निकाला छतरी से
अपना दायां हाथ
और समेटने लगी
हथेली से दोने की आकृति बनाकर
रिमझिम की बूंदे

मैंने सोचा
यदि हर मनुष्य संतुष्ट हो जाता
अंजुरी भर बारिश की बूंदे समेटकर
चलते रहने लायक ज़मीन
और छतरी भर आसमान पर
तो दरकार ही होती क्यों
फ़ौज़ों की ?

सपने में वॉल्डेमॉर्ट

आप जानते हैं
रॉल्फ फिएन्नेस को ?

"तुम जानते हो कौन......
वो, जिसका नाम नहीं लिया जाना चाहिए"

हाँ वही,
जो वॉल्डेमॉर्ट बने थे हैरी पॉटर में
जिसे देख कांप उठती थी
बच्चों की रूह

रॉल्फ मुझे दिखे
वॉल्डेमॉर्ट के गेटअप में
पर अभी प्रविष्ट नहीं हुए थे वे
किरदार की रूह में
उस समय, मेरे सपने में
वे रॉल्फ फिएन्नेस ही थे

वे कुर्सी पर बैठे हुए थे
मैं मंडराता रहा उनके पास
जितनी बार रॉल्फ दिखे, सहज दिखे
अभिवादन का विनम्रता से जवाब दिया

सपने में जब
शूटिंग ख़त्म हुई उस दिन की
वे घर जाने के लिए तैयार हो रहे थे
अभी मेकअप चेहरे से हटाना था शेष
उन्होंने मुझे देखा
और
पहचानकर अलविदा कहा

मैंने उनसे कहा
आप इतने अच्छे हैं रॉल्फ
अगर कभी चुनने को कहा गया
हैरी पॉटर और वॉल्डेमॉर्ट के बीच,
मैं वॉल्डेमॉर्ट को वोट दूँगा

यह सुनकर रॉल्फ
एकदम से बेचैन हुए
बोले-
"नहीं, नहीं ..
वोट हैरी को ही देना,
हमेशा, हैरी ही को जीतना चाहिए"

मूड स्विंग्स ज़ोन

वह ख़ुद को घोषित करती थी-

मूड स्विंग्स ज़ोन

मुझे वह कह देती थी

कभी बिल्कुल सच्चा

और मुझे ही बता देती थी कभी-कभी

कारण उसके त्वरित आवेश का

मैं जानता था

उसका इतिहास

अनावृत्त देखे थे मैंने

बचपन में पाए हुए उसके घाव

जिनसे रिसती थी वजहें

उसके मूड स्विंग्स की

दोलन करते उसके दिमाग़ को

साम्यावस्था में ही रखने की

कोशिश करती रहनी थी मुझे

साम्यावस्था से हर विचलन की

ज़िम्मेदारी भी होनी थी मेरी ही

इस बात पर हामी भरी उसने

कि बोरियत भरा होगा

उसके लिए सदा सामान्य रहना

मैंने पूछा कि क्या वह मुझे मानती है

बोरा भर हंसी और चुटकी भर उन्माद

उसने कहा-

"शायद"

शायद कहकर

उसने खुली छोड़ दी एक खिड़की

जिससे मैं आ सकता था

अपने सच और बेबाकी के साथ

हवा-रोशनी भी

यूं ही किसी खिड़की से आते थे

सहलाते थे उसका रोम-रोम

मिटाते थे बुरे छुअन की याद

और वह पुरसुकून नींद सो पाती थी।   

 

प्रेम क्लीशे

किसी भी उम्र में

प्रेम नाम की घटना की शुरुआत

उन्हीं फिल्मी गीतों से होती है

जिन्हें सुनता रहा

जवान होने के दौरान

कच्ची उम्र से दिखती है

वही मनीषा कोइराला

हंसती हुई, झूला झूलती हुई

कमबख्त, हर बार होता है प्रेम मुझे

हंसी और आंखों से

रंग और आकार बदलता रहता है आंखों का

बहुत कुछ एक जैसा होता है हर बार

इतने पर भी प्रेम का ढंग

क्लीशे* मुझे कभी नहीं लगा ।

* दोहराया हुआ, बहुत इस्तेमाल कर घिसा हुआ विषय


आंशिकता में पूर्ण


जा रहे थे म्यूजियम से बाहर
एक-दूसरे को सहारा देते
वे दृष्टि-बाधित स्त्री-पुरुष

टटोलते हुए एक पूरा रास्ता
मिलाकर
अपनी-अपनी आंशिक दृष्टि

हज़ारों वर्षों का इतिहास
भीतर भरा था
रॉयल ब्रिटिश कोलंबिया म्यूजियम* के

पर सभ्यता के सबक का निचोड़
जिसे लोग नहीं देख पाए
वह अबाधित साहचर्य
सरक रहा था
वहाँ से बाहर
चुपचाप ....

~ देवेश पथ सारिया

* कनाडा के ब्रिटिश कोलम्बिया प्रांत के विक्टोरिया शहर का एक संग्रहालय

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