मुखपृष्ठ  |  कहानी कविता | कार्टून कार्यशाला कैशोर्य चित्र-लेख |  दृष्टिकोण नृत्य निबन्ध देस-परदेस परिवार | फीचर | बच्चों की दुनिया भक्ति-काल धर्म रसोई लेखक व्यक्तित्व व्यंग्य विविधा |  संस्मरण | साक्षात्कार | सृजन स्वास्थ्य | साहित्य कोष |

 

 Home | Boloji | Kabir | Writers | Contribute | Search | FeedbackContact | Share this Page!

 

जानती हूँ प्यार कम-कम हो चला है

भाव में श्रृंगार मद्धम हो चला है
जानती हूँ प्यार कम-कम हो चला है

पहुँचती तो है तुम्हारी बात मुझ तक
चल शिथिलता से समन्वय के पुलों पर
फूल से ये वादियाँ अब भी भरी हैं
कब से न कोई सजा इन कुन्तलों पर !

लहर में छिटके रुमालों सा सरल मन
बूड़ता, कभी तैरता, दम खो चला है
जानती हूँ प्यार कम-कम हो चला है!

प्रेम से बढ़ कर हैं मसले जीविका के
हर खुशी समराशि ऋण का भार भरती
और अति-परिचय अरुचि को जन्म देता
नहीं कहती, पर मैं सच स्वीकार करती

महानगरों में सिमटते बाग-बिरवे
चार गमलों में कोई ग़म बो चला है
जानती हूँ प्यार कम-कम हो चला है!

राधिका! अब श्याम पहले सा नहीं है
आयेगा भी तो बंधेगा क्या नयन से?
विश्वहित जो छोड़ता सर्वस्व अपना
मानिनी! प्रतिवाद क्या उसके चयन से?

वेणु! अब कटि-काछनी में लौट जाओ
युद्ध तुरही नाद पंचम हो चला है
जानती हूँ प्यार कम-कम हो चला है!

- शार्दुला नोगजा

Hindinest is a website for creative minds, who prefer to express their views to Hindi speaking masses of India.

 

 

मुखपृष्ठ  |  कहानी कविता | कार्टून कार्यशाला कैशोर्य चित्र-लेख |  दृष्टिकोण नृत्य निबन्ध देस-परदेस परिवार | बच्चों की दुनियाभक्ति-काल डायरी | धर्म रसोई लेखक व्यक्तित्व व्यंग्य विविधा |  संस्मरण | साक्षात्कार | सृजन साहित्य कोष |
 

(c) HindiNest.com 1999-2021 All Rights Reserved.
Privacy Policy | Disclaimer
Contact : hindinest@gmail.com