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कविताएं : तिथि दानी
जी भर कर किया प्रेम

जब वह लड़की पहली बार साइकिल चलाती है बिना गिरे
तो…..संतुलन की भाषा पल झपकते समझने वाली
ऐसी लड़की से मैं प्रेम करती हूं

जब वह लड़की पहली बार लाल फलों को
अपने बचपन की कटोरी में ले कर
मां से कहती है- कि ये देखो !
मैंने बनाए थे इनके चित्र
और ये तो सचमुच निकल आए बाहर
तो ऐसा बोलते हुए उसके होंठ
अनारी रस में भीग जाते हैं
और कल्पना की कॉपी पर बिखरने के लिए
सुर्ख़ रंगों में होड़ लग जाती है
उस पल जी भर कर किया मैंने उसे प्रेम
आखिर....लड़की ने सृजन और प्रकृति का गुणसूत्र पहचान लिया था

जब खिलौना टूटने पर रोई बिलख कर वह
तो आया मुझे उस पर सबसे ज़्यादा लाड़
लड़की ने टूटने की परिभाषा समझ ली थी

जब पहली बार उसने आइने पर
अपना प्रतिबिम्ब देख कर
लगाई आइने पर बिंदी
तो मेरे मन में उसके प्रेम के लिए सीमा न बची
वह जान गई थी
सारी सृष्टि दो भौंहों के बीच लिए फिरती है
अनंत विश्वों की संचालक एक स्त्री

फिर एक दिन
मेरा प्रेम और जंगली प्रपात एक हो गए
उस लड़की ने पहली बार चलना सीखा और
पैर .....मेरे जूतों में डालते हुए वह डगमगायी नहीं
अंतत: पीढ़ियों का दायित्व संभालने की निपुणता
स्वयं सुरक्षा कवच में रहने से आती है
जूतों में छिपे हैं भविष्य की सुरक्षा के अर्थ
यह जान लिया उसने 2 वर्ष की उम्र में
.


नीली शाम और फूलदान

नीली शाम ने अपने दरवाज़े खोल दिए थे
पब को अंदर आने की दी थी अनुमति
और तरल आश्चर्य को मेरी आंखों में।

लकड़ी की सख़्त बेंच पर
न जाने कौन बिछा गया था
इश्क़ का मुलायम कुशन
जिस पर बैठते ही
एक संगीतमयी आवाज़ ने चूमे थे मेरे कान
तभी लैम्प शेड से आती पीली रोशनी ने
मारी मुझे आंख ...और मेरी ग्रीवा पर
गहरा सुनहरा नेकलेस बन कर आ गयी

जो उसके पार देखने की कोशिश की...
तो फ़ायरप्लेस का गुनगुना ताप
मेरा अंगरक्षक बन गया

मेरी नाक ने उसकी पसंदीदा सौंधी महक को
अपना घर बनाते ही...
पहली बार कराया मेरा तआरुफ़
जेकेट पोटेटो और गरमागरम चीज़ ब़ॉल्स से

मेरी प्यास बुझाने के लिए ठंडक अनुचित थी,
उचित था मीठी विशालता का एक हॉट चॉकलेट कप
चारों तरफ़ लगे दर्पणों में दिखाई देता मेरे व्यक्तित्व का अक्स
ख़ूबसूरत फूलदान में बदल रहा था
जिसकी पृष्ठभूमि में बज रही थी
ख़ुशियों की सारंगी
मुझे मालूम हो गया था,
कि.. वह फूलदान ‘तुम’ हो ।

गाला सेबों का गुच्छा

गाला सेबों का एक रसीला गुच्छा
अपने बाग़ से अभी-अभी तोड़ कर
रखा है मैंने तुम्हारे बेग में.
भूख से उन्मत्त जब टटोलोगे इसे
एक हल्की मुस्कान तुम्हारी आंखों की आभा बढ़ाएगी.
सेब का सुगंध भरा रस
उसे काटने की ध्वनि के साथ ही
घुलेगा बहुत धीरे से तुम्हारे मुंह मे.
दांत, जिव्हा और गाल प्रेम से एक दूसरे को
बार-बार गले लगाएंगे
फिर आनंद का आस्वादन
तमाम इंद्रियों में विचरण करेगा

ये रस तुम्हारे रक्त में घुलनशील होगा,
गूदा पाचन तंत्र तक पहुंचेगा
ये प्रक्रिया इस सहूलियत से घटेगी
कि, एक डकार तक नहीं लोगे तुम.
तुम्हारे शरीर की इस अनिवार्य प्रक्रिया में
जहां आभा, ध्वनि, आलिंगन और आस्वादन है
रूपांतरित हो रही होऊंगी वहां मैं भी.

तुम नहीं जानते शायद...
तुम्हारा स्वास्थ्य मेरी अपलक देखने की शक्ति है.

तुम्हारे स्वास्थ्य का सुरक्षा कवच
मेरी राहत भरी सांस का स्थायी निवास है.
मेरी प्रार्थनाएं,मंत्र, मेरी पवित्रता,प्रेम
इन सेबों को धो कर रखने के साथ ही
पहुंच गए हैं इनकी फल कोशिकाओं में।

- तिथि दानी

 

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