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वो कॉलेज के दिन!      (मीठी बाई कॉलेज की एक तस्वीर) हाय रे वो दिन क्यों ना आए…
हमें भी याद है वो कॉलेज का केन्टीन‚
वो लड़कों का‚ कॉलेज के दरवाजे पे‚
हमारा‚ बेसबरी से इंतजार करना!
वो लहराती हुई‚ रेशमी ओढ़नी का फिसलना‚                   
और हमारा बदन को छुपाना–छिपाना‚
किसीकी निगाहों में शोला भड़कना‚
किसीकी सीटीयों से वो रंगत बदलना!
हमें भी याद आता है‚ वो गुज़रा ज़माना‚
वो तेज–तेज बारिश में‚ कपड़ों का चिपकना।
जुहू बीच की तन्हाईयों में‚ वो मौजों का उछलना‚
किसी सहेली की कोमल हथेली का पकड़ना!
वो खिलखिलाती हँसी से दिल का बहलना‚
और थरथराते हुए लब का वो जादूटोना‚
वो साहिल के शिकवे‚ वो कश्ती के आँसू‚
कहाँ किसका मिलना‚ किसका बिछड़ना!!
वो माँ की दुआ हो या पापा का लाड़ हमपे‚
वो उनकी निशानी‚ ये आँखों में पानी‚
कहाँ हैं वो नगमे‚ वो भोली सी बातें‚
जिन्हें हम कहा करते थे '' मीठी सी बातें!* ''
सपना हो गयीं हैं‚ वो बातें पुरानी‚
कहानी में अब है बाकि‚ एक राजा‚ एक रानी!!

*मीठी बातें – क्योंकि मैं मीठी बाई कॉलेज में पढ़ती थी जो कि जूहू स्कीम पारले में स्थित है। इसलिए हम सखियाँ बातों को मीठी बातें कहते थे।

– लावण्या शाह

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