मुखपृष्ठ
|
कहानी |
कविता |
कार्टून
|
कार्यशाला |
कैशोर्य |
चित्र-लेख | दृष्टिकोण
|
नृत्य |
निबन्ध |
देस-परदेस |
परिवार
|
फीचर |
बच्चों की
दुनिया |
भक्ति-काल धर्म |
रसोई |
लेखक |
व्यक्तित्व |
व्यंग्य |
विविधा |
संस्मरण |
डायरी
|
साक्षात्कार |
सृजन |
स्वास्थ्य
|
|
Home | Boloji | Kabir | Writers | Contribute | Search | Feedback | Contact | Share this Page! |
|
मायूसी
बेज़ार जिन्दगी में ढूंढता हूं कुछ पल कुछ लम्हें अपने लिये, अपने सपनों के लिये उसकी याद ही तो है जो खींचे चली जाती है उसकी तमन्ना ही है जो लिये चली आती है उन हंसीन लम्हों की एक साफ तस्वीर फासले तो हुए हैं बहुत, पर उम्मीद आज भी है कायम, मायूस नहीं हूं क्यों कि ऐसी ही थी, है, और रहेगी, तकदीर हर रात देखता हूं ख्वाब सुबह उड़ाता हूं हंसीं उनकी क्यों कि रात की मधोशी में दिख नहीं पाती गहराइयां सच के उजाले की – – – सोचता हूं आज फिर किसी से प्यार का इज़हार करूं सोचता हूं आज फिर किसी के लिये हाथ में लिये दिल गिराये राह में निगाहें इंतज़ार करू पर यह तो सब बेज़ुबान दिल के हिचकोले हैं क्यों कि सच तो यह है 'कमल' मोहब्बत ने ही ज़िन्दगियों में ज़हर घोला है |
सुबह
|
तू
|
|
(c) HindiNest.com
1999-2021 All Rights Reserved. |