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दरपन आज दरपन में धुन्धला प्रतिबिंब क्यों है या फिर मेरा अपना बिंब ही मैला है दरपन तो कालिख पुते चेहरे पर चांदनी का वर्क नहीं चढा सकता मुखौटा पहन खुद को भरमा भी लूं दरपन की सच्चाई से खुद को नहीं छुपा सकता। |
अब
कैसे तुमको प्यार करूं मैं तन में मन है मन में तुम हो सांसों की धड़कन में तुम हो अब कैसे तुमको प्यार करूं मैं है अधरों में मुस्कान तुम्हारी सुनता मैं आवाज़ तुम्हारी नैनों की ज्योति में तुम हो भोगी मैं हूं योगी तुम हो अब कैसे तुमको प्यार करूं मैं चलता मैं पर मंज़िल तुम हो मेरी मेहनत की शक्ति तुम हो लिखता मैं पर लेखक तुम हो गीत हैं मेरे गायक तुम हो अब कैसे तुमको प्यार करूं मैं तन में मन है मन में तुम हो सांसों की धड़कन में तुम हो अब कैसे तुमको प्यार करूं मैं |
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