कुछ अद्भुत घटा है भीतर ही भीतर
रहस्यों के पारदर्शी धरातल से
आर – पार होता हुआ
सुरों के उमड़ते हुए सैलाब में
डूबते – उबरते
उस निराकार को आलिंगत करते हुए
अपनी ही आत्मा को छूकर देखा है आज
तालों और झंकारों
की गूंज से छिटक कर
आ गिरा है एक टुकड़ा
विशुद्ध आह्वान का
एक टुकड़ा नूर का
एक टुकड़ा सम्मोहन का
उन्माद और प्रेम की
पराकाष्ठा आखिर है क्या?
यह भक्ति कैसी है?
सांसारिक स्वार्थों के परे
कष्ट में सुख पाकर
ज़हर को शहद की तरह चख कर
दुखों का पहाड़ उठा
मीलों चल कर
उस एक प्रिय की कामना
में जीवन बिताने की
एक सूफियाना अदा!
भर्राये गले से उठी है
एक दीवानगी
अपनी ही आग में धू धू जलती
अस्तित्व को बिसराती
शरीर को पिघला कर
आत्मा में घोलती
तन से उड़कर
मन की दहलीज़ पर
सर नवाती
निराकार खुदा की बन्दगी
बाह्य की चेतना
देह का भान
सब कुछ भीतर को पलट रहा है
अवचेतन में फैलता
तरल ही तरल है यहां
दूर दूर तक बहता हुआ
नित नये आकारों में ढलता हुआ
टटोल रही है देह आत्मा को
आत्मा सहलाती है देह की परतें
नृत्यरत सृष्टि के
पैर आकर रुके हैं वहां
जहां रांझा रांझा करती
हीर स्वयं को ही
रांझा मान बैठी है
जल्दी जल्दी बदल रहे हैं
कृष्ण राधा में‚
राधा मीरा में
मीरा कृष्ण में
तीनों घुल कर एकाकार हो
बह रहें यमुना के श्यामल जल में
तालों और झंकारों
की गूंज से छिटक कर
आ गिरा है एक टुकड़ा
विशुद्ध आह्वान का!
कविताएँ
आबिदा परवीन को सुनते हुए
आज का विचार
मोहर Continuous hard work is the cachet of success in the life. निरंतर परिश्रम ही जीवन में सफलता की मोहर है।
आज का शब्द
मोहर Continuous hard work is the cachet of success in the life. निरंतर परिश्रम ही जीवन में सफलता की मोहर है।