ऐसे कैसे चली जाऊंगी
अपने अंत की ओर
खाली हाथ
ले जाऊंगी
तन की मिट्टी में
खुदा तुम्हारा नाम
ले जाऊंगी गंध ज़रा सी
लिपटी होगी जो हवाओं में
ले जाऊंगी झर चुके फूल की
पथराई कामना
ले जाऊंगी हरी घास की नोक पर टिकी
एक जल की बूंद
आंखों से अपनी
ले जाऊंगी उतना आकाश
उतनी धरती
रस बस चुकी थी देह में जितनी
ले जाऊंगी अंत की ओर प्रेम
ज़रा सी प्रार्थना
और नक्षत्रों में से
आवाज़ दूंगी
तुम्हारे मौन में …
कविताएँ
अंत की ओर
आज का विचार
द्विशाखित होना The river bifurcates up ahead into two narrow stream. नदी आगे चलकर दो संकीर्ण धाराओं में द्विशाखित हो जाती है।
आज का शब्द
द्विशाखित होना The river bifurcates up ahead into two narrow stream. नदी आगे चलकर दो संकीर्ण धाराओं में द्विशाखित हो जाती है।