जिस रात ‚
शिरीष के वृक्षों से उलझेगी हवा
तिमिर उतरेगा चुपचाप
उनींदी झील के वक्ष पर
ओस से अँटी‚ बेतरतीब घास पर
काँपता होगा एक पत्ता
बस उसी रात उभर उठेंगी
वे पगडंडियाँ
जो विस्मृति से धूमिल पड़ गई थीं
उन पर उभरेंगे हमारे पद–चिन्ह
किसी पुरानी रूमानी सभ्यता की तरह
उस रात जो मेंह बरसेगा
हमारी स्मृतियों में उतर जाएगा
नन्हीं बूँदों की टपकन से सिहर अबाबील
उड़ेगी और लौट आएगी
उसी पुल के नीचे
कच्ची मिट्टी के बने घोंसलों में
फिर से झरेंगे
वे अंतिम सम्बोधन
याददाश्त की टहनी से
मैं करूँगी प्रार्थना
बिना प्रयास उगने वाली
जंगली बेलों के लिये
अपने शब्द बाँट दूँगी
पत्रहीन वृक्षों को
हृदय की हलचल सौंप जाऊँगी
उदास‚ उनींदी झील को
स्वयं मुक्त‚ भारहीन हो
खो जाऊँगी
भविष्य के अनिश्चित‚ अजाने बीहड़ में।
कविताएँ
अंतिम सम्बोधन
आज का विचार
मोहर Continuous hard work is the cachet of success in the life. निरंतर परिश्रम ही जीवन में सफलता की मोहर है।
आज का शब्द
मोहर Continuous hard work is the cachet of success in the life. निरंतर परिश्रम ही जीवन में सफलता की मोहर है।