सागर तट
भीगी माटी
लहरों का आवागमन
क्रीड़ा मग्न
चॅद्र किरण
आकर्षित चुम्बन
लहरों का उत्सव
अनायास अनुभव
उस नृत्य लीला में
सिमट गया अस्तित्व
और साक्षात्कार हुआ
निर्लेप स्वरूप
हरि ॐ तत सत
निराकार साकार हो गया।
कविताएँ
अनुभव
आज का विचार
जो अग्नि हमें गर्मी देती है, हमें नष्ट भी कर सकती है, यह अग्नि का दोष नहीं हैं।
आज का शब्द
जो अग्नि हमें गर्मी देती है, हमें नष्ट भी कर सकती है, यह अग्नि का दोष नहीं हैं।