ए लड़की!
तुझे मुझसे नहीं
अपने आप से प्यार हो चला है
मैं बस आईना हूं एक
जो तुझे खींच रही है
मेरी आँखों में तैरती
वह छवि है तेरी ही
हाँ एक आईना बस
जिसमें झांक कर
अगर किसी को
अपनी छवि आकर्षक लगती है
तो वह देर तक
आईने के आगे रुकता है
अपनी ही छवि निहारता
और जब
लगती है यही छवि उदासीन
तो
एक उपेक्षित नज़र डाल
चल पड़ता है
वैसा ही एक आईना हूँ मैं
तू मुझमें खोजती है
स्त्रोत
अपनी उद्दाम इच्छाओं के झरनों का
बैठती है अपनी ही
भावनाओं की लहरों के किनारे
और कुछ मुस्कानों के प्रतिबिम्ब ताकती
यहाँ वहाँ से काट छांट
बनाती है कोलाज
अपने स्वप्न पुरुष का
जो बिलकुल तेरे जैसा हो
वैसे ही सोचता
वैसे ही हंसता बतियाता
तभी तो कहता हूँ
न जाने तू कब से
मुझमें अपना
बेहतरीन अक्स
ढूंढती आई है
लड़की तू प्यार में है
अपने आप से प्यार में!
कविताएँ
छवि
आज का विचार
जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते तब तक आप भागवान पर विश्वास नहीं कर सकते।
आज का शब्द
जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते तब तक आप भागवान पर विश्वास नहीं कर सकते।