गंगा कभी उलट न चाली
बही बही सागर में खाली
सागर भंवर भया दिवाना
सूरज संग करे कृत नाना
उपजे लहरों से नया हिलोरा
बने रूप बदली का रेला
उमड़ घमड़ बदरा लहराये
जाकर हिम पर्वत टकराये
छवी निराली सृष्टि मुस्काए
बूंदन बरखा माला बन जाए
ताल तलैया झूमत झरना
जीवन का नहीं अन्त है मरना
चलित चक्र रच्यो करतारा
रूप विभिन्न इक पालनहारा
कविताएँ
गंगा
आज का विचार
जो अग्नि हमें गर्मी देती है, हमें नष्ट भी कर सकती है, यह अग्नि का दोष नहीं हैं।
आज का शब्द
जो अग्नि हमें गर्मी देती है, हमें नष्ट भी कर सकती है, यह अग्नि का दोष नहीं हैं।