मीठा होने का नुकसान कितना होता है
कौन जानता है गन्ने से बेहतर
बूंद-बूंद निचोड़ लेते हैं लोग
जो भोले होते हैं
गरल ही आता है उनके हिस्से
सागर मंथन से निकला गरल
(अभोले) देवताओं ने
पीने से कर दिया साफ-साफ इनकार
जिन्होंने किया गरलपान
वे भोले थे/ अब भी भोले हैं
भोलेनाथ!
जेठ की तपती दोपहरी में
हरियाता है गन्ना
और वसंत आते ही
उसकी बूंद-बूंद की मिठास
निचोड़ लेते हैं लोग
सचमुच होता है कितना त्रासद
मीठा होना
भोला होना तो होता है
महादेव की तरह!
— अनिल विभाकर