कसी हुई मुट्ठी में
न चाह कर भी
एक आकांक्षा अंकुरित होती है
उसके सामने
मेरी सारी कामनाएं‚ शिकायतें
रीत–रीत जाती हैं।
मैं ‚
इसी वातावरण में
रह कर
उखड़ कर‚ जम कर
स्वयं को जोड़ती रहती हूँ
मन में कहीं
जब उस हरे–भरे मोड़ से
गुज़र रही होती हूँ।
कहीं से उड़ कर आए
पीले पत्ते सी याद‚
विचारों के अंधड़ में
घिर जाती है
और
मन के कोने में कहीं
जा अटकती है
तब
मीलों दूर से आती एक आवाज़
हवाओं में भर फुसफुसाती है
मेरा नाम
उत्तर में मेरे होंठ
भिंच जाते हैं
कानों पर हाथ रख कर भी
मन में नगाड़े सा बजता है
एक अधूरा नाम
मेरा चेहरा दर्द से
जर्द फिर सुर्ख हो जाता है
तभी मुझे रस्मन
मुस्कुराना होता है सबके सामने।
कविताएँ
गुज़रना उस हरे–भरे मोड़ से
आज का विचार
मिलनसार The new manager is having a very genial personality. नये मैनेजर का व्यक्तित्व बहुत ही मिलनसार है।
आज का शब्द
मिलनसार The new manager is having a very genial personality. नये मैनेजर का व्यक्तित्व बहुत ही मिलनसार है।