ऐसा अद्भुत मिलन चाहती हूँ मैं
जो इस सृष्टि में सुलभ नहीं
जैसे नदी अपने समस्त आवेग से
सागर में मिल जाने को बहती है
मैं बहक कर
तुम्हारी आत्मा में
खो जाने के प्रयास में
अनवरत बहती रही हूँ
हमारी वृत्तियां तो
एक साथ डूबती – उठती हैं
किन्तु मेरे कुछ संकल्प
तुम्हारे विकल्पों से उलझ जाते हैं
जहां
मेरे लिये तुम्हारे हृदय की धडक़न
अपनी धडक़न से अधिक स्पष्ट
महसूस होती है
वहीं तुम मेरी आंखों का
मुखर आमन्त्रण भी उपेक्षित कर देते हो
मुझे तो तुम्हारा यह उपेक्षा का भाव भी
मीठा सा लगता है
क्योंकि
मैं तुम्हें प्रकृति परमेश्वर
दोनों से परे
प्यार की एक विपुल राशि
और
आन्तरिक सौन्दर्य का
अनन्त स्त्रोत समझती हूँ
जानती हूँ
तुम आधिपत्य की वस्तु नहीं
फिर भी
तुम्हें पहचान पाने का
थोडा थोडा पा लेने का आल्हाद
मेरे जीवन में उत्साह भरता है
क्योंकि तुम
हेमन्त की मीठी सुबह की धूप हो
जिसमें क्षणिक बैठ कर
मेरी ठिठुरी कामनाएं
स्वस्थ और सबल होकर
पुन: जीवन के संघर्ष में
प्रवेश करती हैं.
कविताएँ
हेमन्त की धूप
आज का विचार
द्विशाखित होना The river bifurcates up ahead into two narrow stream. नदी आगे चलकर दो संकीर्ण धाराओं में द्विशाखित हो जाती है।
आज का शब्द
द्विशाखित होना The river bifurcates up ahead into two narrow stream. नदी आगे चलकर दो संकीर्ण धाराओं में द्विशाखित हो जाती है।