बालू रेत की भीगी तहों में
एक बार जब बन जाते हैं उगने के आसार
वह उठ खड़ी होती है काल के
अन्तहीन विस्तार में‚
तुम रोप कर देख लो उसे किसी ठांव
वह सांस के आखिरी सिरे तक
बनी रहेगी सजीव उसी ठौर—
अपनी बेतरतीब सी जड़ों के सहारे
थाम लेगी मिट्टी की सामथ्र्य
उतरती चली जायेगी परतों में
— संधियों के पार
सूख नहीं जायेगी नमी के शोक में!
मौसम की पहली बारिश के बाद
जैसे उजाड़ में उग आती हैं
किसिम – किसिम की घास‚
लताएं‚ पौध कंटीली झाड़ियां
वह अवरोध नहीं बनती किसी के आरोह में
जिन काम्तेदार पौधों को
करीने से सजा कर बिठाया जाता है
घरों की सीढ़ियों पर शान से
उनसे कोई अदावत नहीं रखती
वह अपनी दावेदारी के नाम पर —
इत्मीनान से बढ़ती है
उमगती पत्तियों में शान्त, अन्र्तलीन।
क्यारियों में सहेज कर उगाई जा सकती हैं
फूलों की अनेक प्रजातियां
नुमाइश के नाम पर पनपाए जा सकते हैं
गमलों में भांति – भांति के बौने‚ बन्दी पेड़
उनसे रंच मात्र भी रश्क नहीं रखती
— यह देशी पौध—
उसे पनपने के लिये
नहीं होती सजीले गमलों की दरकार
उसे तो खुले खेत की गोद और
सीमा पर थोड़ी सी निरापद ठौर
सलामत चाहिये शुरुआत में!
बस इतना – सा सद्भाव —
कि अकारण कोई रौंद नहीं डाले
उन उगते दिनों में यह नन्हा आकार
कोई काट डाले निताई के फेर में‚
अपनी ज़मीन से बेदखल
कहीं नहीं पनपेगी इसकी साख
अनचाहे बन्धन में बंधकर
नहीं जियेगी खेजड़ी!

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आज का विचार

मिलनसार The new manager is having a very genial personality. नये मैनेजर का व्यक्तित्व बहुत ही मिलनसार है।

आज का शब्द

मिलनसार The new manager is having a very genial personality. नये मैनेजर का व्यक्तित्व बहुत ही मिलनसार है।

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